कोरोना के डर ने शादी-ब्याह का मजा किया किरकिरा, कारोबार ठप.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अकेले आपका ही परिवार ही नहीं है, बल्कि अधिकतर लोग अपने परिवार के बीच ही शादियों को कर ले रहे हैं. सच पूछिए तो शादी-ब्याह की खुशियों पर लगातार दूसरे साल कोरोना की नजर लग गयी है. सरकार ने भी साफ कर दिया है कि बढ़ते कोरोना संक्रमण की वजह से शादियों में 20 मेहमान शामिल होंगे. उसमें भी तीन घंटे का समय निर्धारित किया गया है. इससे शादी का मजा किरकिरा हो गया है. कोरोना के संकट को पिछले वर्षों से शादियों को टाल चुके लोग कोरम पूरा करते हुए शादी भी कर रहे हैं. हालांकि शादी का पूरा आनंद नहीं उठा पाने से मायूसी भी साफ झलक रही है.

शादियों में धूम-धड़ाका भी खत्म- अप्रैल से लेकर जुलाई तक का समय आम तौर पर मांगलिक समारोह का होता है. पिछले साल भी कोरोना की वजह से शादियां प्रभावित हुई थीं. इस साल भी कोरोना ने लोगों को संकट में डाल दिया है. शादी की खुशियों पर ग्रहण लग गया है. मेहमानों पर प्रतिबंध लगने की वजह से समारोह में लोगों को वह आनंद नहीं मिल पा रहा. शादियों में धूम-धड़ाका कम होने से ढोल-नगाड़ों वाली पार्टी व टेंट हाउस से लेकर डीजे वालों की बुकिंग खत्म-सी हो गयी है. शादी की रस्मों को सूक्ष्म रूप से ही निभाया जा रहा है. शादियों की रौनक कम होने से कई कारोबारियों पर असर पड़ा है.

चमक-धमक का यह कारोबार ठप- शादी-ब्याह मामले के जानकार बताते है कि लाइट एंड साउंड, मैरेज हाउस, टेट शामियाना वालों की कोरोना के चलते कमाई बेहद कम हो गयी है. कोरोना के कारण चमक-धमक का यह कारोबार अभी फीका हो गया है. आयोजनों में बड़ी संख्या में आने वाले मेहमानों का प्रबंध करने पर कमाई करने वाले कारोबारियों को कोरोना के चलते सीधा नुकसान हुआ. इस कारण इन धंधों से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गयी है. आयोजन के लिए लोग होटल का रुख करना बेहतर समझ रहे हैं. वहां पर सब कुछ तैयार मिलता है. ऐसे में उम्मीद है कि समय के साथ यह अंधेरी रात कट जायेगी. नयी सुबह आयेगी और फिर से शादियां, कार्यक्रम पूरी सजावट के साथ होने लगेंगे. वे महज शादियों और कार्यक्रमों के दोबारा पूरे चरम से शुरू होने का इंतजार करने लगे हैं.

मेहमानों की संख्या पर निर्भर है कारोबार- हलवाई ने बताया कि शादियों में चमक-दमक और रौनक जमाने के लिए किये गये प्रावधान महमानों की संख्या पर निर्भर करते हैं. जितने कम लोग होंगे, उतना ही डेकोरेशन कम होगा. वहीं खाने के लिए कम ऑर्डर आयेगा. अब जब मेहमानों की संख्या सीमित की गयी है तो इन सबका कारोबार भी सीमित हो गया है. साथ ही कोरोना कर्फ्यू के कारण लोगों ने भी मंदी की मार झेली. इसलिए स्वाभाविक है कि शादी-विवाह जैसे आयोजनों में लोग कम से कम व्यवस्थाएं कर रहे हैं, ताकि उन पर अधिक आर्थिक बोझ नहीं पड़े.

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