नहाय-खाय से शुरू हुआ छठ पूजा का पर्व

नहाय-खाय से शुरू हुआ छठ पूजा का पर्व

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

छठ पर्वछइठ या षष्‍ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व मैथिल,मगध और भोजपुरी लोगो का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है।

छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं। यहा पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति कि एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यः रुप से ॠषियो द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार मे यहा पर्व मनाया जाता हैं।

नहाए खाए का महत्व

छठ पूजा का पहला दिन नहाए खाए होता है. नहाए खाए का अर्थ है स्नान करके भोजन करना.  इस दिन कुछ विशेष रीति रिवाजों का पालन करना होता है. इस परंपरा में व्रती नदी या तालाब में स्नान कर कच्चे चावल का भात, चनादाल और कद्दू (लौकी या घीया) प्रसाद के रूप में बनाकर ग्रहण करती हैं.  मूल रूप से नहाए खाए का संबंध शुद्धता से है. इसमें व्रती खुद को सात्विक और पवित्र कर छठ व्रत की शुरुआत करती हैं.

इस दिन क्यों खाते हैं कद्दू-भात

कद्दू की सब्जी को पूरी तरह से सात्विक माना जाता है. इसलिए यही खाकर छठ पूजा व्रत की शुरुआत की जाती है. माना जाता है कि इसे खाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है. सेहत के लिहाज से कद्दू आसानी से पचने वाली सब्जी है. यही वजह है कि छठ व्रती आज कद्दु का सेवन करते हैं.

नहाय खाय नियम 

    1. नहाए खाय के दिन व्रती पूरे घर की अच्छी तरह सफाई करें, क्योंकि इस पर्व में शुद्धता का विशेष महत्व है. साथ ही व्रतियों के भी पवित्र नदी या तालाब में स्नान का विधान है.
    1. चार दिन के पर्व में तामसिक भोजन का त्याग करें. सिर्फ सात्विक भोजन ही किया जाता है. ब्रह्मचर्य का पालन करें. व्रती को चार दिन तक जमीन पर सोना चाहिए.
    1. इस दिन व्रती सिर्फ एक ही बार भोजन ग्रहण करते हैं. साफ-सफाई और शुद्धता के साथ पहले दिन का नमक युक्त भोजन बनाया जाता है. ध्यान रहे खाना बनाते वक्त जुठी वस्तु को इस्तेमाल न करें.
  • पूजा का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाएं क्योंकि मिट्टी के चूल्हा साफ और शुद्ध माना जाता है
  • नहाय खाय पूजा विधि
      1. छठ पूजा में नहाय खाय के दिन तन और मन की शुद्धता का खास खयाल रखे. नहाए खाए का अर्थ है स्नान कर भोजन करना.
      1. इस दिन पूरे घर की अच्छी तरह सफाई करें. फिर सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदी या फिर घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर लें. साफ कपड़े या नए कपड़े पहनकर ही भोजन बनाएं.
      1. नहाय-खाय के दिन भोजन में लौकी की सब्जी और चने की दाल बनाने की भी परंपरा है. इस भोजन में सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है.
    1. मान्यता है कि इस दिन पहले व्रत रखने वाली महिलाएं या पुरुष भोजन ग्रहण करते हैं फिर घर के अन्य सदस्य.

छठ पूजा के अचूक उपाय

छठ में जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर अवस्था में है तो वे पूजा कर इस ग्रह की शुभता में वृद्धि कर सकते हैं. जैसे गुड़, गेंहू, तांबा, लाल वस्त्र का दान करें. साथ ही छठ पर्व में रक्त चंदन और कमल पुष्प का पूजा में प्रयोग से सूर्य मजबूत होते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माणिक्य धारण करने से सूर्य की मजबूत होते हैं.

छठ में सूर्य की पूजा का चमत्कारी मंत्र

छठ का पर्व सूर्य देव और छठी मैय्या को समर्पित है. मान्यता है कि इस पूजा में सूर्य को अर्घ्य देते वक्त आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर। दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते।। इस मंत्र का जाप करने से तेज, बल, यश, कीर्ति और मान सम्मान में वृद्धि होती है.

छठ पर नाक तक क्यों लगाया जाता है सिंदूर ?

हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाओं के लिए सिंदूर का विशेष महत्व होता है और पूजा में भी मांग भरना अनिवार्य होता है. महिलाएं छठ पूजा के दौरान नाक से शुरू करते हुए पीले सिंदूर से मांग भरती हैं.सिंदूर सुहाग की निशानी और पति की सेहतमंद लंबी उम्र का सूचक होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जितना लंबा सिंदूर लगाया जाता है उतनी ही पति की लंबी उम्र होती है.
छठ पूजा के मंत्र

छठ पूजा पर सूर्य को अर्घ्य देते हुए इन मंत्रों का जाप करने से हर मनोकामना पूरी होती है.

ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:, ॐ सूर्याय नम:, ॐ भानवे नम:, ॐ खगाय नम:, ॐ घृणि सूर्याय नम:, ॐ पूष्णे नम:, ॐ हिरण्यगर्भाय नम:, ॐ मरीचये नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ सवित्रे नम:, ॐ अर्काय नम:, ॐ भास्कराय नम:, ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!