माननीय कुलपति के प्रथम वर्ष का कार्यकाल रहा सराहनीय।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव महोदय के आगमन का एक वर्ष पूर्ण हुआ है। माननीय कुलपति महोदय राजनीति विज्ञान के एक सशक्त हस्ताक्षर के रूप में देश ही नहीं विदेशों में भी जाने जाते हैं ; जिन पर अकादमिक जगत गौरवान्वित होता है। पिछले एक वर्ष से महोदय के कुशल, सौम्य प्रशासनिक एवं अकादमिक व्यवस्था द्वारा पूरे विश्वविद्यालय परिवार को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हो रही है।
आगमन के पश्चात महोदय के द्वारा अकादमिक कमियों का सूक्ष्म अवलोकन कर बेहतर बनाने हेतु कई प्रयास किए गए। जिसमें सफलता स्वरूप हमारे समक्ष कई उदाहरण हैं :-
1. माननीय कुलपति महोदय के द्वारा अपने प्रथम वर्षीय कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि रही “विश्वविद्यालय के लिए 127.26 एकड़ भूमि का अधिग्रहण।” यह विश्वविद्यालय के सर्वांगीण विकास का मूलभूत आधार स्तम्भ है।
2. विश्वविद्यालय में प्रथम दीक्षांत समारोह का आयोजन एवं मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रपति महोदया की उपस्थिति सुनिश्चित करना माननीय कुलपति महोदय के बहुमुखी व्यक्तित्व का परिचायक रहा है।
3. आपके एक वर्ष के कार्यकाल में माननीय कुलाधिपति महोदय का दो बार विश्वविद्यालय में आगमन तथा शैक्षणिक एवं प्रशासनिक गतिविधियों में परिष्कार हेतु गहन मीमांसा।
4. सारी कक्षाओं का सम्यकतापूर्ण ऑफलाइन संचालन।
5. पीएचडी शोधार्थियों के लिए SOP बनाया गया जिसकी अति आवश्यकता थी।
6. छात्रों एवं शोधार्थियों के हित में वार्षिक शुल्क कम करना महोदय द्वारा उठाया गया संवेदनशील कदम रहा है।
7. शोध गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उच्च स्तरीय शोध-पत्र लिखने वाले शोधार्थियों के लिए धन राशि का प्रावधान किया गया है।
8. विभिन्न विभागों में समुचित अवसर पर कई राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय सेमिनार एवं वर्कशॉप का आयोजन किया गया।
9. आधुनिक सुविधाओं से युक्त वातानुकूलिति “सम्मेलन भवन” (Confrence Hall) का निर्माण कराया गया है।
10. विश्वविद्यालय में वातानुकूलित एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई है।
11. प्रत्येक सहायक प्राध्यापक को तीन लाख रुपये की अनुदान राशि प्रदान की गई है।
12. शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक विभिन्न पदों पर रिक्तियाँ निकालीं गईं।
13. उमंग 2024 के अंतर्गत फिट इंडिया वीक का आयोजन,और
14.विश्वविद्यालय के अकादमिक स्तर को आपने नई ऊंचाई तक पहुंचाया।
आपके द्वारा अभिभावक के रूप में समस्याओं का निस्तारण करना, अकादमिक निरंतरता को गतिमान रखने के लिए तमाम प्रयास करना, अध्ययन-अध्यापन और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए सदैव प्रोत्साहित करना एवं उच्च मनोबल से युक्त युवा पीढ़ी तैयार हो इस हेतु सदैव छात्र हित के लिए प्रयासरत रहना। निःसंदेह इसमें आपकी अकादमिक विद्वता, कुशल प्रशासनिक प्रतिभा एवं एक दूरदर्शी नेतृत्वकर्ता की छवि प्रकट होती है।
आभार-विजय शंकर चौधरी, शोधार्थी, राजनीति विज्ञान विभाग
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