वायरस का रूप बदल रहा है,इसलिए हमें सावधान रहना है.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

महामारी से जूझते हमारे देश के लिए यह निश्चित ही बेहद सकूनदेह खबर है कि अब संक्रमण के रोजाना मामलों की तादाद करीब तीन माह में सबसे कम है. लगातार पांच दिन से कोरोना से होनेवाली मौतों की संख्या दो हजार से नीचे है. अब कहा जा सकता है कि दूसरी लहर के खौफ के दिन पीछे छूटते लग रहे हैं. लेकिन पहले की स्थिति से तुलना कर अभी हम संतुष्ट नहीं हो सकते हैं.

बीते दिन 58.4 हजार से अधिक लोग कोविड-19 वायरस की चपेट में आये हैं और लगभग 16 सौ मौतें कोरोना की वजह से हुई हैं. जब तक इस वायरस पर पूरी तरह काबू नहीं पा लिया जाता, तब तक हमें हर तरह से सतर्क रहना है और किसी भी गंभीर स्थिति के लिए जरूरी तैयारियों पर ध्यान केंद्रित रखना है. ध्यान रहे, जनवरी की स्थिति की तुलना में ही अभी संक्रमण कई गुना अधिक है.

करीब सवा साल के इस संकट काल में 3.86 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. अभी भी 7.29 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं. लेकिन हम अपने को यह सांत्वना दे सकते हैं कि अब तक लगभग 2.88 करोड़ लोग संक्रमण से मुक्त होकर स्वस्थ हो चुके हैं. बहरहाल, जांच के आंकड़ों के हिसाब से अब भी संक्रमण दर 3.22 है. दूसरी लहर की आक्रामकता और उससे फैली अफरातफरी तथा टीकों की उपलब्धता में हुई समस्याओं की वजह से हाल के कुछ महीनों में टीकाकरण अभियान की गति बाधित हुई थी, जो अब फिर जोर पकड़ने लगी है.

कुछ समय पहले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद टीकों की खरीद केंद्र सरकार कर रही है और राज्यों को केवल आवंटित टीकों को लोगों को देना है. टीका बनानेवाली कंपनियां भी आपूर्ति बढ़ा रही हैं. ऐसे में महामारी के खिलाफ लड़ाई फिर गति पकड़ रही है. संक्रमण की आक्रामकता घटने के साथ पाबंदियों में छूट का सिलसिला भी शुरू है.

निश्चित रूप से हमें इसका फायदा अपनी गतिविधियों को बढ़ाने में उठाना है, पर पहले के अनुभवों को देखते हुए लापरवाही करने से भी परहेज करना है. पहली लहर के मद्धिम पड़ने के साथ लॉकडाउन और अन्य रोकों को उठाने का सिलसिला शुरू हुआ था, लेकिन हमने यह मान लिया कि महामारी से हमारा पीछा छूट गया है. पिछले साल के उत्तरार्द्ध में चिकित्सक और विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे थे कि मास्क पहनने, सैनिटाइजर इस्तेमाल करने, शारीरिक दूरी बरतने तथा भीड़-भाड़ न करने की हिदायतें दे रहे थे.

लेकिन इस पर ठीक से अमल नहीं हुआ और नतीजे में हमें दूसरी लहर का कहर भोगना पड़ा. अब फिर कहा जा रहा है कि कुछ देशों की तरह हमें भी तीसरी लहर को झेलना पड़ सकता है. ऐसे में किसी भी तरह की लापरवाही भयावह हो सकती है क्योंकि वायरस भी रूप बदल रहा है. इसलिए हमें सावधान रहना है और आगे के लिए तैयार रहना है.

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