उदयीमान सुर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ संपन्न।
8 नवंबर से शुरू हुआ था चार दिवसीय अनुष्ठान
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सीवान:उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही सीवान में लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ गुरूवार को संपन्न हो गया। भक्ति भाव के माहौल में विधि-विधान से सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती अपने-अपने घरों की ओर लौट गए।
बताते चलें कि लोक आस्था का महापर्व छठ का शुभारंभ 8 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ था। इसके अगले दिन 9 नवंबर को खरना का व्रत था। खरना की पूजा के बाद 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू हुआ। 10 नवंबर की शाम छठ घाटों पर व्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। गुरुवार सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व संपन्न हो गया।
गुरुवार तड़के घाटों पर आने लगा व्रतियों का कारवां
गुरुवार तड़के तीन बजे से ही व्रतियों के कारवां ने घाटों पर पहुंच सूर्य देवता और छठी माई की उपासना शुरू कर दी थी। इसके बाद सूर्योदय होते ही अर्घ्य देने का सिलसिला शुरू हो गया। गुलाबी ठंड के बावजूद आस्था में कमी नहीं दिखी। बुधवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के समय जितनी भीड़ घाटों पर उमड़ी थी, उतने ही श्रद्धालु उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने को भी आतुर दिखे।अपना और परिवार के अन्य सदस्यों का सूप चढ़ाने के बाद सुहागिनों ने एक दूसरे की मांग भरी और उनके खोइंचा में ठेकुआ व फल का प्रसाद डाला।
इस अवसर पर पटाखे भी खूब फूटे। माइक से व्रतियों और श्रद्धालुओं को शारीरिक दूरी बनाए रखने की हिदायत दी जा रही थी।इस दौरान व्रतियों द्वारा गाए जा रहे छठ गीत कांचहि बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए., छठ मइया दीही ना आशीर्वाद.., केलवा जे फरेला घवद से ऊपर सुगा मंडराए, आदि गीतों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया था। सभी लोग छठी मइया की आराधना कर सुखमय जीवन की कामना कर रहे थे। व्रतियों ने इस दौरान सूर्यदेव से यह मन्नतें मांगी कि हे सूर्यदेव, आप हर बार परिवार के संकट दूर किया है।
इससे पूर्व शहर के पुलवा घाट, शिवव्रत घाट,पंचमंदिरा,जमसिकडी़, चकरा,सिधवल,देवापाली, गांधी मैदान समेत ग्रामीण इलाकों के महाराजगंज, बसंतपुर, लकड़ी नबीगंज, दारौंदा, भगवानपुर, आंदर, बड़हरिया, सिसवन, गोरेयाकोठी, मैरवा दरौली, रघुनाथपुर, सिसवन, गुठनी समेत अन्य घाटों पर छठ पूजा को ले श्रद्धालुओं की काफी संख्या में भीड़ उमड़ा था । इस दौरान कई छठ व्रतियों की मन्नतें पूरी होने पर बैंड बाजे भी बजा रहे थे। छठ घाटों पर बच्चों द्वारा जमकर आतिशबाजी भी कर रहे थे। इससे इस महापर्व की भव्यता और बढ़ जाती है।
छठ पूजा के चौथे दिन उगते सूर्य को दिया जाता है अर्घ्य
कार्तिक मास की सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और फिर इस व्रत का समापन होता है। घाट पर सूर्य को अर्घ्य देने के लिए व्रती के साथ पूरा परिवार पहुंचता है और सूर्य आराधना करता है। अर्घ्य में लोग सूर्य देवता को जल और दूध अर्पित करते हैं। इसके बाद चीनी और नींबू का शरबत पीकर अपना व्रत तोड़ती हैं, फिर अन्न ग्रहण करती हैं।
सूर्य को जल देने का महत्व
सूर्य न केवल हमको बल्कि पूरे ब्रह्मांड को ऊर्जा प्रदान करता है और पृथ्वी पर जीवन का आधार भी सूर्य ही है। सूर्य को जल देने से कई फायदे होते हैं। केवल छठ ही नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही लोग तालाबों या नदी में स्नान करते समय सूर्य देवता को अर्घ्य देते आ रहे हैं। माना जाता है कि सूर्य को जल देने से सौभाग्य बना रहता है। सूर्य को निडर और निर्भीक ग्रह माना गया है और इसी आधार पर सूर्य को अर्घ्य देने वाले व्यक्ति को भी यह गुण प्राप्त होते हैं। साथ ही कुंडली में भी सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और शनि की बुरी दृष्टि का प्रभाव भी कम होता है। सूर्यदेव को जल देने से इसका असर हमारी बुद्धि पर पड़ता है और मान-सम्मान के साथ आर्थिक वृद्धि भी होती है।
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