पाप का फल बहुत कठिन होता है‚ मनुष्य को मरने के समय बहुत तड़पना पड़ता है ः ममता पाठक
श्रीनारद मीडिया‚ सिधवलिया‚ गोपालगंज (बिहार)
पाप का फल बहुत कठिन होता है।मनुष्य को मरने के समय बहुत तड़पना पड़ता है। उसका फल सन्तानो को भी झेलना पड़ता है।उक्त बातें सिधवलिया स्टेशन के समीप आयोजित श्रीराम कथा महायज्ञ में प्रवचन प्रवक्ता ममता पाठक ने कही। उन्होंने कहा कि जब श्रीराम, सीता और लक्ष्मण तीनो बन में चले गए तब, महाराज दशरथ ने तड़पते हुए कौशल्या से कहा कि मेरे तड़पन का मुख्य भेद आज खोल रहा हूँ।एक समय की बात है, जब मैं बन में आखेट करने गया तो, नदी के किनारे पानी पीते हिरन को देखा। और मैं तीर चला दिया।
वह तड़पने लगा था,मैं दौड़ा,नदी के तट पर दूसरा कोई नही, श्रवण तड़प रहा था, जो अपने अंधे माता-पिता के पीने के लिए पानी लाने गया था।महाराज दशरथ देखकर भौचक रह गए। उन्होंने श्रवण को उठाकर उनके माता-पिता से क्षमा याचिका करने लगे। लेकिन श्रवण को मरते ही माता पिता ने श्राप दे दिया कि आपको भी पुत्र के लिए तड़प कर मरना पड़ेगा।
महाराज दशरथ की साँसे रुक गई।मरते वक्त महाराज को पाप का फल भोगना पड़ा।उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, महाराज दशरथ के मरने के बाद नॉनिहल से भरत जी आए।
जब उन्होंने भाई राम का बन गमन और पिता का मरण सुना तो मानो, उनके आगे अंधेरा-सा हो गया। वे भी तड़पने लगे।और भाई श्री राम को वापस लाने के लिए सुमन्त के साथ बन में चल दिये। जहाँ श्रीराम के साथ उन्होंने काफी विलाप किया। परन्तु पुरुषोत्तम राम ने पिता का बचन का पालन करने के लिए वापस नही आ पाए।
भरत को भी अपने पिता द्वारा पाप का फल भोगना पड़ा। कथा वाचिका ममता पाठक के भजन”हम हो गए,भौं से पार, लेकर नाम तेरा”सुनकर लोग झूमने लगे। मौके पर, जितेंद्र सिंह, लड्डू पांडेय,विशाल कुमार, विकास कुमार,प्रमोद साह, राजन,शशि,रविरंजन,जितेंद्र गुप्ता,जिद्दी जितेंद्र,हरेन्द्र व्यास, सहित हजारो श्रद्धालु उपस्थित थे ।
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