खेल खुल्लम-खुल्ला!उन्हें चाहिए मंडल अध्यक्षी का रसगुल्ला?

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भाजपा जिलाध्यक्ष बदलने के बाद जनपद के कई मंडलों में मंडल अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाने को बेताब है कई भाजपाई ?

आकाओं की हो रही है गणेश परिक्रमा? प्रदेश नेतृत्व से संकेत नहीं लेकिन जारी है रार!

आका भी चाहते हैं कि हमारा प्यादा बन जाए मंडल अध्यक्ष?

कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया) बाराबंकी (यूपी):

प्रदेश नेतृत्व के द्वारा बाराबंकी जिलाध्यक्ष के पद पर अरविंद मौर्य की ताजपोशी के बाद अब जनपद के मंडलों में मंडल अध्यक्ष पद को पाने के लिए कई भाजपाई बेताब नजर आ रहे हैं? कहीं यह मामला चुपचाप चल रहा है तो कहीं इस पद को पाने के लिए खुल्लम-खुल्ला खेल खेला जा रहा है? अर्थात मंडल अध्यक्ष रूपी रसगुल्ला चापने के लिए व्यग्र कई भाजपाइयों ने आकाओं की परिक्रमा भी शुरू कर रखी है! यही नहीं ऐसे कई लोग आपसी बातचीत में वर्तमान मंडल अध्यक्ष पर आरोपों की बौछार करते नजर आते हैं? वहीं इस मुद्दे की रार को लेकर कई भाजपाइयों के बीच अब औपचारिक नमस्कार ही बची है?जबकि मंडल अध्यक्ष पद पर बदलाव होगा कि नहीं! अभी पार्टी स्तर पर इसके दूर-दूर तक संकेत खुले तौर पर नजर नहीं आ रहे हैं।

भाजपा नेतृत्व आगामी 2024 में लोकसभा के चुनाव के मद्देनजर बड़ी सफलता के लिए अपनी पूरी ताकत लगाए हुए हैं। ऐसे में पार्टी के कई बड़े कार्यक्रम संगठन स्तर पर लगातार जारी हैं। लेकिन बाराबंकी में जिला अध्यक्ष के पद पर अरविंद मौर्य की ताजपोशी के बाद कई बेचैन भाजपाइयों की नजर मंडल अध्यक्ष के पदों पर जाकर टिक गई है! साफ है कि जो मंडल अध्यक्ष इस समय काम कर रहे हैं वह अपने पद की रक्षा के लिए तत्पर है। जबकि इसे पाने के लिए बेचैन भाजपाईयो की भी पूरी कसरत जारी है? सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जनपद के कई मंडलों में ऐसे कई बेचैन भाजपाइयों ने मंडल अध्यक्ष का पद पाने के लिए अपने जुगाड़ दर जुगाड़ तेज कर दिए हैं! इन भाजपाइयों का मानना है कि प्रदेश नेतृत्व ने जिलाध्यक्ष के पद पर बदलाव किया है। तो आने वाले समय में मंडल अध्यक्ष के पद पर भी बड़े स्तर पर बदलाव किया जाएगा? यहां यह भी स्पष्ट है कि अभी मंडल अध्यक्षों को उनके पदों पर बनाए रखा जाएगा या हटाया जाएगा! इसके कोई संकेत प्रदेश नेतृत्व संगठन के द्वारा नहीं मिले हैं। लेकिन इससे इतर भाजपाइयों में भविष्यगत इस पद को पाने के लिए घमासान जारी है? खबर है कि अभी हाल ही में प्रवासी पदाधिकारियों ने संगठन स्तर पर जो रायशुमारी की है उसमें भी मंडल अध्यक्ष पद को लेकर जारी खटास की जानकारी सामने आई है? प्रवासी पदाधिकारियों ने इसकी जानकारी प्रदेश नेतृत्व को सौंप दी है?

चर्चा के मुताबिक कई मंडल ऐसे हैं जहां पर मंडल अध्यक्ष पद को पाने के लिए संगठन में एक साथ काम कर रहे कई पदाधिकारी आज एक दूसरे को फूटी आंख नहीं देखना चाहते! अर्थात मंडल अध्यक्ष का पद हमारा है इसे लेकर काट जारी है ? मंडल अध्यक्ष के पद पर बदलाव किया जाए ऐसा भाजपा कार्यकर्ताओं का एक वर्ग चाहता है। जबकि पद की लड़ाई से दूर रहने वाले भाजपाइयों का यह तर्क है कि लोकसभा की लड़ाई को जीतने के लिए एकजुट होकर मेहनत करनी चाहिए ना कि मंडल अध्यक्ष पद के लिए आपस में संघर्ष। लेकिन जिन भाजपाइयों के अंदर पद पाने की आग भड़की हुई है वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। उनका एक लक्ष्य है कि हमें मंडल अध्यक्ष बनना है तो बनना है? गौरतलब हो कि भाजपा संगठन की संरचना के मुताबिक मंडल अध्यक्ष के पद का कार्यकाल 3 वर्ष है। जबकि कई मंडल अध्यक्ष इस समय सीमा को पार कर चुके हैं?

भाजपा कार्यकर्ताओं से की गई वार्ता के बाद जो स्थिति सामने आई है उसमें यह भी है कि कई मंडल अध्यक्षों के कारनामे से स्वयं भाजपा के कार्यकर्ता व मंडल स्तर के पदाधिकारी भी आहत है? भाजपाइयों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया ऐसे कई मंडल अध्यक्ष व पदाधिकारी है जो आम कार्यकर्ता को कुछ समझते ही नहीं है! यदि अभी नगर निकाय व अन्य चुनाव को देखा जाए तो ऐसे कई मंडल अध्यक्ष व पार्टी पदाधिकारी थे जिन्होंने अपने स्वार्थ के लिए पार्टी की अस्मिता को भी दांव पर लगा दिया? ऐसे में क्या हम जिंदगी भर दरा ही बिछाते रहेंगे?

उधर दूसरी तरफ मंडल अध्यक्ष के पद पर काबिज यदि कुछेक अध्यक्षों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर मंडल अध्यक्ष अपने पद को बचाने के लिए सतर्क हैं ।शशांक कुशमेश जब जिलाध्यक्ष थे तो उनके आगे पीछे घूमने वाले कई मंडल अध्यक्ष अब वर्तमान जिला अध्यक्ष अरविंद मौर्य के दरबार में हाजिरी बजा रहे हैं? उनके खास लोगों के यहां अपने तार बिछाने में लगे हुए हैं! जो एक दूसरे को देखना पसंद नहीं करते थे वह आज गलबहिया डालें साथ घूम रहे हैं। मंडल अध्यक्ष के पद का रसगुल्ला चापने के लिए कई बेताब भाजपाई भाजपा जनप्रतिनिधियों से लगाकर जिला व प्रदेश पदाधिकारी तक गणेश परिक्रमा कर रहे हैं। कटु सत्य यह भी है कि यदि कुछ मंडलों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर मंडलों में भाजपायों के बीच मंडल अध्यक्ष के पद को पाने के लिए युद्ध चल रहा है? लेकिन क्योंकि पार्टी सत्ता में है इसलिए सब कुछ बड़े ही सलीके से चलाया जा रहा है!तो कुछ मंडलों में यह खेल खुल्लम-खुल्ला नजर आता है? अर्थात बेताबी के लक्ष्य में मंडल अध्यक्ष का रसगुल्ला है! अब इस स्थिति में भले ही भाजपा संगठन के जिम्मेदार कहते हो कि पार्टी में कहीं कोई रार नहीं है ।सभी कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं?
फिलहाल भाजपा नेतृत्व की तरफ से अभी ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं ।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले यह कतई नहीं चाहेगी कि पार्टी में किसी भी प्रकार से आपसी सिर फुटौव्वल हो!लेकिन जिन्हें मंडल अध्यक्ष के पद का रसगुल्ला चाहिए उनका खेल तो खुल्लम-खुल्ला जारी ही है??

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