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श्रीराम की कर्म भूमि बक्सर में चल रहे सनातन संस्कृति समागम में बह रही है संस्कृति बोध की ज्ञान गंगा  - श्रीनारद मीडिया

श्रीराम की कर्म भूमि बक्सर में चल रहे सनातन संस्कृति समागम में बह रही है संस्कृति बोध की ज्ञान गंगा 

श्रीराम की कर्म भूमि बक्सर में चल रहे सनातन संस्कृति समागम में बह रही है संस्कृति बोध की ज्ञान गंगा

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सनातन संस्कृति समागम में देश भर से पधारे है सैकड़ों साधु-संत।

श्रीराम की कर्म भूमि बक्सर के सिद्धाश्रम में उमड़ी ज्ञान भक्ति की धारा।

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

Mohan Bhagwat

श्रीराम कर्म भूमि न्यास व चिति (प्रज्ञा प्रवाह) के संयुक्त तत्वाधान में बिहार के बक्सर में 7 नवंबर से 15 नवंबर तक पाँच आयाम में विराट सांस्कृतिक-आध्यात्मिक समारोह का आयोजन किया गया है।
समारोह का विधिवत उद्घाटन 8 नवंबर (मंगलवार) को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत, पद्म विभूषण जगत गुरु रामभद्राचार्य जी समेत देश भर से पधारे सैकड़ों साधु-संतों के द्वारा किया गया।

इस अवसर पर डॉ मोहन भागवत जी ने कहा कि संत उदार हृदय और सरल होते हैं। मैं संत नहीं हूं, संत के मन में केवल ईश्वर की इच्छा प्रकाशित होती है।संत की मनोकामना पूर्ण होती है और इसकी पूर्ति के लिए हमें कर्म करना पड़ता है,पुरूषार्थ करना पड़ता है। हमारी इच्छा पूर्ण करने के लिए वह आए हैं वे लगातार कहते रहते हैं कि “वही होगा जो राम रचि राखा”। मन में आप राम को रखें, इससे कार्य सफल होगा। यह धार्मिक कार्य है, धर्म से समाज जागृत होता है।हमें समाज को जागृत करना है, धर्म सर्वत्र सुख देने वाला होता है।

भारत की आत्मा शिव जी है और भारत की पूरी प्रकृति मां पार्वती है। श्री राम ने समाज को जोड़ा, उन्होंने भारत को उत्तर से दक्षिण को जोड़ा और श्री कृष्ण ने पूरब से पश्चिम को जोड़ा। इच्छा के साथ ज्ञान की प्राप्ति करना और उसका प्रयोग विनम्रता पूर्वक करना श्रीराम हमें सिखाते रहते हैं। विश्वामित्र जी अयोध्या गए और वशिष्ठ मुनि से श्री राम और लक्ष्मण जी को लेकर बक्सर आए और उनकी मनोकामना पूर्ण हुई।

हमें याचना नहीं, अपना कर्म करना है। संतों के आशीर्वाद से मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी।
जगदगुरू रामभद्राचार्य जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि श्रीराम ने इसी बक्सर की भूमि से अपनी विजय यात्रा प्रारंभ की थी और उनके चरणों में आज हम बैठकर भारत की समस्याओं का अंत करना चाहते हैं। हम चाहते हैं भारत अखंड होना चाहिए।
– पाक अधिकृत कश्मीर हमें मिलना चाहिए,
-हिंदी राष्ट्रभाषा होनी चाहिए, -रामचरितमानस राष्ट्रीय पुस्तक होनी चाहिए,
– चीन अधिकृत कश्मीर हमारा होना चाहिए,
– हिंदुओं की संख्या बढ़नी चाहिए और -परिवर्तन से परावर्तन की ओर हमें आगे बढ़ना चाहिए अर्थात जिनका धर्म बदल गया है, जिन्होंने बदल लिया है उन्हें हिंदू धर्म में शामिल करना चाहिए।

 

वहीं अयोध्या की धरती से पधारे राम विलास वेदांती महाराज ने कहा की मोदी जी तीसरी बार भी प्रधानमंत्री बनेंगे और कृष्ण जन्मभूमि का निर्णय आएगा। यह बक्सर की पावन भूमि भगवान वामन की भूमि है,जो विष्णु के अवतार थे। बक्सर में ही मारिच को भगवान राम ने बाण मारा था जो सौ जोजन दूर जाकर आज के मॉरीशस में गिरा था। मरीच ताड़का का बेटा था और ताड़का में 1000 हाथी का बल था।

ऐसे में विश्व का मानदंड यह बिहार है। बिहार के ही श्रृंग ऋषि ने अयोध्या में जाकर यज्ञ किया और श्रीराम का अवतरण हुआ। हम सरकार से मांग करते हैं कि विश्वामित्र कॉरिडोर का निर्माण बक्सर में किया जाए क्योंकि राम आज की प्रबल आवश्यकता है। किसी भी समस्या का तर्कसंगत समाधान, युक्तियुक्त समाधान हमारे राम में है। इसलिए इस सनातन संस्कृति समागम का ध्येय वाक्य है “चलो रामराज्य की ओर”।

जबकि ऋषिकेश की पावन भूमि से पधारे चिंता मुनि जी ने कहा यह विश्वामित्र की धरती है। श्रीराम पर ऐसा फैसला आया कि सारे फासले ही दूर हो गए। भारत के प्रधानमंत्री के पास एक दृष्टि है, वह भारत की दिव्य दृष्टि है,जिससे भारत विश्व में अपने मानदंड को खड़ा कर सकता है।

बिहार की इस धरती ने बुद्ध दिए, महावीर दिए,नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय दिए, साथ ही स्वतंत्रता के बाद भारत का पहला राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद दिए, जिन्होंने सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन कर एक बार फिर से जनता के लिए समर्पित किया। भारत एक सभ्यता है, संस्कृति है, परंपरा है, संस्कार है, दिव्यदृष्टि की भूमि है, यह निर्वाण नहीं निर्माण की धरती है। यह धरती विजय के साथ विनय भी सिखाती है।

विश्वामित्र की धरती से यह संदेश है कि विश्व के साथ मित्रता की धरती को अपनाया जाए, संस्कार लाया जाए, संस्कृति लाई जाए, सत्ता के लिए संत बात नहीं करते। समय के साथ हमें चलना होगा, भारतीय संस्कृति को जलवायु परिवर्तन पर भी ध्यान देना होगा, इसके लिए पेड़ लगाएं, जल का संचय करें, सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करें। सनातन संस्कृति समागम का यही मुख्य उद्देश्य है।

सनातन संस्कृति समागम के द्वारा पाँच आयाम में विराट सांस्कृतिक आध्यात्मिक समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इसमें पहले आयाम के तहत पद्म विभूषण जगदगुरू रामभद्राचार्य जी द्वारा राम कथा का वाचन अपराह्न 3 बजे से 6 बजे तक हो रहा है।
दूसरे आयाम के तहत जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी अनंताचार्य जी महाराज द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का उद्बोधन प्रातः 9:00 बजे से अपराहन 12:00 बजे तक हो रहा है। तीसरे आयाम के तहत प्रज्ञा प्रवाह द्वारा राम कथा ज्ञान यज्ञ में विभिन्न विद्वानों का उद्बोधन दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक हो रहा है।

चौथे आयाम के तहत संध्या समय गंगा महाआरती बनारस के प्रसिद्ध पंडितों के द्वारा किया जा रहा है और पाॅचवे आयाम के तहत विश्व प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा प्रतिदिन सांस्कृतिक व साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन रात्री में हो रहा है।

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