कार्तिक मास की महिमा अद्वितीय है।

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कार्तिक मास स्नान, ध्यान एवं अनुष्ठान का अद्भुत संगम है।

कर्म और क्रियाशीलता का मास है कार्तिक।

“कार्तिक मास हे सखि पुण्य महिना हे,
सब सखि गंगा जी स्नान हे।”

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कार्तिक माह की सुबह घास में पड़ने वाली ओस सूरज की पहली किरण पड़ते ही मोतियों जैसी चमकने लगती है। सुबह -शाम गुलाबी ठंडक ने दस्तक दे दिया है।
शरद पूर्णिमा का चांद अपनी समस्त कलाओं के साथ प्रकट हो रहा है। इस धवल, उज्जवल चंद्रमा की किरणें पृथ्वी पर रात भर अमृत वर्षा करेंगी। माँ ने जो छत पर खीर रखी है उस पर भी यह अमृत कण गिरेंगे और इसे भोग लगाने वाले समस्त जन निरोग और दीर्घायु हो जाएंगे। मां लक्ष्‍मी का प्राकट्योत्‍सव भी हैं।

भारतीय जीवन में उत्सव एवं पर्व हमारे चित्त में बैठे हुए वासना को शुद्ध एवं निर्मल करने का माध्यम है। कार्तिक मास के पूरे महीने में व्यक्ति दैहिक एवं आत्मिक रूप से जल में स्नान करता है। इस मास में चंद्रमा से निकलने वाली अमृत रूपी किरणों का प्रभाव पूरे मानस में बना रहता है, वहीं सूरज की तीखी किरणों से कीड़े-मकोड़े समाप्त हो जाते है। धनतेरस, रूप चतुर्दशी, दीपावली, भैया दूज, देवोठान एकादशी, कार्तिक पूर्णिमा तक प्रकाश पर्व से प्रकाशित जनमानस को शरद ऋतु का अमृत प्रसाद भी मिलता है।

कार्तिक मास अवश्य ही फागुन का जुड़वा भाई होगा क्योंकि यह महीना सब तरह से अच्छा होता है। त्योहारों की बहार रहती है, सूरज का जन्मदिन होता है। मौसम भी कितना सुहावना होता है। धूप कोमल रहती है। अंधेरा होने के बाद घर के पीछे खुले मैदान में रात भर टप-टप गिरे हरसिंगार के फूल एक तिलस्मी सुगंध से वातावरण को सराबोर कर देते हैं। इस मास में हरी-हरी सब्जियां एवं धनिया की चटनी ने भोजन के जायका को बढ़ा दिया है।

हालांकि त्योहारों का मौसम कुॅआर से चल ही रहा है। नवरात्र अभी समाप्त हुई है, देवी मां की अगले नवरात्र में आने के लिए विदाई हो चुकी है। दशहरा के दिन रावण जल चुका है, बच्चे मेला का आनंद ले चुके हैं। अब भगवान राम लंका से अयोध्या नगरी वापस लौटेंगे, तब दीपावली मनाई जाएगी। घर के कोने-कोने की सफाई हो रही है। अमावस्या की अंधेरी रात में भगवान राम के स्वागत में घर, आंगन, खेत, खलिहान को दियों से रोशन किया जाएगा। बच्चे पटाखे फोड़ेंगे और महाजन नया खाता प्रारंभ करेंगे। इसके बाद विशेषकर लोकआस्था के महापर्व छठ की धूम मचेगी। कार्तिक गंगा स्नान कार्तिकी पूर्णिमा की तैयारियां शुरू हो जाएंगी। कार्तिक स्नान के बाद बहनों का त्योहारों पीड़िया आयेगा।

खेती-किसानी चलती रहेगी, फसलें काटी और बोई जाती रहेंगी। अभी खेतों में धान के पौधों के तने और पत्तियां अभी हरी हैं लेकिन उनकी मोटी एवं हवा के साथ लहराती बालियां पककर सोने की रंगत ले चुकी हैं। दूर से देखने पर ऐसे लगता है मानो प्रकृति ने अद्भुत श्रृंगार कर रखा है।

माता जी ने  सारे रजाई- गद्दे धूप में डाल दिए हैं, कह रही थी अब मोटे चद्दर से भी काम नहीं चलेगा, तड़के कुछ ज्यादा ही ठंड हो जाती है। पिताजी  कर रहे थे कि इससे पहले कि आंधी-पानी आए, कोई आवश्यक कार्य पड़ जाये, उसके पहले फसल घर आ जानी चाहिए । इसलिए वह धान काटने वालों की गिनती कर आए हैं। धान काटेंगे, फिर एक- आध हफ्ता उनको खेत में सूखने में लगेगा। उसके बाद धान की फसल के बोझ बांधकर खलिहान लाये जाएंगे। अब मशीनों के द्वारा पुआल से धान अलग कर लिया जायेगा।

आज कार्तिक पूर्णिमा है आज ही गुरु नानक देव जी का जन्म दिवस भी है। गुरुद्वारों में लंगर और कई तरह के समारोह का आयोजन हो रहा है। देश की सभी पवित्र नदियों के घाटों पर कार्तिक स्नान हो रहा है। मान्यता है कि ब्रह्ममुहुर्त में कातिक नहाने से आपकी प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है। इसलिए हमारे समाज में कार्तिक स्नान का बड़ा महत्व है। सोनपुर का प्रसिद्ध मेला आज से प्रारंभ हो जायेगा जो एक महीने तक चलेगा। इस मास में भजन-कीर्तन, दीपदान और तुलसी के पोधे की पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है।

क्या है रूप चतुर्दशी/ नरक चतुर्दशी त्योहार का वास्तविक संदेश?

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