Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
महंगाई पर सरकार को जल्द ही कुछ करना चाहिए. - श्रीनारद मीडिया

महंगाई पर सरकार को जल्द ही कुछ करना चाहिए.

महंगाई पर सरकार को जल्द ही कुछ करना चाहिए.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

केंद्र सरकार ने हाल ही में घरेलू रसोई गैस सिलेंडरों की कीमतों में बढ़ोतरी करके महंगाई से बेहाल देश की जनता को एक और झटका दिया है। पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों से देश का आम जन पहले से ही पूरी तरह पिसा हुआ है। ऊपर से घरेलू गैस सिलेंडर के दामों में बढ़ोतरी करना आम आदमी के लिए बहुत ही दुखदाई है। देश में आज पेट्रोल और डीजल एक सौ रुपए से अधिक प्रति लीटर की दर पर बिक रहे हैं। ऐसे में रसोई गैस की कीमत बढ़ाना बहुत बरा फैसला है। पिछले चौदह महीनों से लोगों को घरेलू गैस सिलेंडर की सब्सिडी मिलना भी बंद है।

पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में बढ़ोतरी के बाबत पिछले दिनों पेट्रोलियम एवं गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक बयान भी दिया था कि कोरोना संकट के दौरान पेट्रोलियम पदार्थों के दामों को कम करना मुनासिब नहीं है। प्रधान का यह बयान उन मतदाताओं के साथ सरासर अन्याय है। जिन्होंने भाजपा को गरीबों की हितैषी पार्टी मानकर लगातार दो बार भारी बहुमत से केंद्र में सरकार बनाने के लिए समर्थन दिया था।

देश की जनता पिछले सवा साल से लगातार कोरोना संक्रमण को झेल रही है। इस दौरान अधिकांश समय देश में लॉकडाउन लगने से लोगों को घरों में ही रहना पड़ा है। ऐसे में काम धंधे बंद होने से आम आदमी के रोजगार के अवसर समाप्त होने से उनके आय के स्त्रोत बंद हो गये। जिससे आम आदमी की कमर टूट चुकी है। दिनों दिन बढ़ती महंगाई और लगातार कम होते काम के अवसर ने देश की जनता की कमर तोड़ दी है। पेट्रोलियम पदार्थों के अलावा खाद्य पदार्थों की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। खाने का तेल दुगुनी दर पर बिक रहा है।

कोरोना महामारी के दौरान केंद्र सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों पर कस्टम एंड एक्साइज ड्यूटी से खूब कमाई हुई है। सरकार को अप्रत्यक्ष कर से आने वाला राजस्व बढ़कर 4.51 लाख करोड़ रुपए हो गया है। वित्तीय वर्ष 20-21 में पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर 37 हजार 806.96 करोड़ रुपए कस्टम ड्यूटी वसूली गई। वहीं देश में इनके उत्पाद पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी से 4.13 लाख करोड़ रुपए की कमाई हुई। 2019-20 में पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर सरकार को कस्टम ड्यूटी के रूप में 46 हजार करोड़ रुपए का राजस्व मिला था। वहीं देश में इनके उत्पाद पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी से 2.42 लाख करोड़ रुपए की वसूली हुई। अब अगर दोनों तरह की टैक्स वसूली को देखें तो सरकारी खजाने में 2019-20 में कुल 2.88 लाख करोड़ रुपए जमा हुए। महंगे पेट्रोल-डीजल से केवल आम आदमी ही नहीं बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था की हालत बिगड़ गई है। जो पहले से ही कोरोना महामारी की मार झेल रही है। केन्द्र सरकार को तत्काल पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाकर लोगों को महंगाई से राहत देनी चाहिये।

केन्द्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना संक्रमण के बावजूद भी सरकार का कर संग्रहण लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकार के नुमाइंदों का कहना है कि देश की जनता को कोरोना वैक्सीन के टीके मुफ्त में लगाए जा रहे हैं। जिन पर होने वाले खर्च की भरपाई के लिए सरकार को टैक्स में बढ़ोतरी करनी पड़ रही है। मगर सरकारी सूत्रों के अनुसार ही देश के लोगों के टीकाकरण पर अधिकतम 40 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। जबकि सरकार ने कोरोना संक्रमण के बाद बढ़ाए गए टैक्स से कई लाख करोड़ रुपए का राजस्व संग्रहण किया है।

केन्द्र सरकार ने पहले 20 लाख करोड़ का तथा गत दिनों सात लाख करोड़ रुपयों के राहत पैकेज की घोषणा की थी। मगर सरकार की इन घोषणाओं का भी आम आदमी को विशेष लाभ नहीं मिल पा रहा है। पैसों के अभाव में लोगों से बिजली के बिल जमा नहीं हो पा रहे हैं। जिन्होंने बैंकों से लोन ले रखा है उनकी किस्तों की भरपाई नहीं हो पा रही है। ऊपर से निजी स्कूल वाले भी बिना पढ़ाई बच्चों से जबरन फीस वसूल रहे हैं। जो गरीबों पर सीधा कुठाराघात है।

कोरोना संक्रमण के दौरान बीमार हुए लोगों को उपचार पर बहुत अधिक पैसा खर्च करना पड़ा है। जिसकी भरपाई का लोगों को कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। लोग कर्ज में डूबे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद कोरोना से मरने वाले लोगों को सरकारी स्तर पर कुछ मुआवजा मिलने की संभावनाएं बनी हैं। मगर अधिकांश लोगों की मृत्यु प्रमाण पत्र पर कोरोना से मौत होना दर्ज ही नहीं किया गया है। ऐसे में उन लोगों को मुआवजा मिलने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। यदि केन्द्र सरकार चाहे तो अस्पतालों को निर्देशित कर सकती है कि कोरोना संक्रमण के दौरान जिनकी वास्तव में कोरोना से मौत हुई है। उनको कोरोना से मौत का प्रमाण मृत्यु पत्र दिया जाये ताकि उनको भी मुआवजा मिल सके।

देश में कोरोना की प्रथम लहर के दौरान ही सरकार ने रेल सेवा पूरी तरह से बंद कर दी थी। कई महीनों के बाद सरकार ने कुछ रेलगाड़िया प्रारंभ की हैं। जिनमें सफर करने के लिए लोगों को पहले से अधिक किराया चुकाना पड़ रहा है। केन्द्र सरकार वर्तमान में संचालित सभी रेलगाड़ियों को स्पेशल ट्रेन के रूप में चला रही है। जिसका किराया सामान्य से काफी अधिक होता है। चूंकि रेलगाड़ियों में अमूमन आम आदमी यात्रा करता है जो पहले ही कोरोना के कारण आर्थिक मार से परेशान है। ऐसी स्थिति में उससे रेल भाड़े के रूप में भी अधिक राशि वसूल करना केन्द्र सरकार का न्याय संगत फैसला नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा कहते हैं कि मैं दिन-रात देश की जनता की उन्नति की बातें सोचता हूं व करने का प्रयास करता हूं। मगर ना जाने वह मौजूदा स्थिति से क्यों अनजान बने हुए हैं। देश का आम आदमी, गरीब, मजदूर, किसान वर्ग को ऐसा कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है जिससे आगे चलकर वह अपनी कोरोना आने से पहले की जिंदगी बसर कर सके। गांव में तो स्थिति और भी खराब हो रही है। कोरोना के कारण शहरों से पलायन कर अपने गांव आए हुए लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो रहा है।

हालांकि केंद्र सरकार ने प्रति व्यक्ति पांच किलो गेहूं प्रतिमाह मुफ्त में देने की घोषणा की है। मगर व्यक्ति को जिंदगी जीने के लिए गेहूं के साथ अन्य बहुत-सी चीजों की जरूरत होती है। जिनको खरीदने के लिए उसके पास पैसा नहीं है। केन्द्र सरकार को शीघ्र अति शीघ्र महंगाई को काबू में करने के उपाय करने चाहिए। सिर्फ कागजी घोषणाओं से ही लोगों का भला नहीं होने वाला है।

केन्द्र को आम लोगों के हित की योजनाओं को धरातल पर उतारना होगा। अन्यथा बेरोजगारी के साथ महंगाई से त्रस्त देश की जनता लंबे समय तक चुप बैठने वाली नहीं है। देश में बढ़ रही महंगाई का धनवान लोगों पर तो कोई असर नहीं है। मगर आम नागरिकों पर सीधा असर पड़ता है। किसी भी सरकार को बनवाने या हटवाने में आम आदमी की ही सबसे बड़ी भूमिका होती है। अतः समय रहते केंद्र सरकार को महंगाई पर रोक लगाकर आम आदमी की पूरी मदद करनी चाहिए।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!