वैष्णव संत रामानुजाचार्य स्वामी का भव्य मंदिर.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत में पहली बार समानता की बात करने वाले वैष्णव संत रामानुजाचार्य स्वामी के जन्म के 1001 साल पूरे हो चुके हैं हैदराबाद में रामानुजाचार्य का भव्य मंदिर बनाया गया है।

मंदिर में रामानुजाचार्य की दो मूर्तियां हैं पहली मूर्ति अष्टधातु की 216 फीट ऊंची है जो स्थापित की जा चुकी है इसे स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी नाम दिया गया हैं।

दूसरी प्रतिमा मंदिर के गर्भगृह में रखी गई है जो 120 किलो सोने से बनी हैं हैदराबाद से करीब 40 किमी दूर रामनगर में प्रधानमंत्री वैष्णव संत रामानुजाचार्य स्वामी की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ देश को समर्पित किया हैं।

वैष्णव संत रामानुजाचार्य का जन्म सन 1017 में हुआ था वे विशिष्टाद्वैत वेदांत के प्रवर्तक थे उनका जन्म तमिलनाड़ु में ही हुआ था और कांची में उन्होंने अलवार यमुनाचार्य जी से दीक्षा ली थीं।

श्रीरंगम के यतिराज नाम के संन्यासी से उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली पूरे भारत में घूमकर उन्होंने वेदांत और वैष्णव धर्म का प्रचार किया।

उन्होंने कई संस्कृत ग्रंथों की भी रचना की उसमें से श्रीभाष्यम् और वेदांत संग्रह उनके सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ रहें हैं 120 वर्ष की आयु में 1137 में उन्होंने देह त्याग किया रामानुजाचार्य पहले संत थे जिन्होंने भक्ति ध्यान और वेदांत को जाति बंधनों से दूर रखने की बात कहीं धर्म मोक्ष और जीवन में समानता की पहली बात करने वाले रामानुजाचार्य ही थें।

सनातन परंपरा के किसी भी संत के लिए अभी तक इतना भव्य मंदिर नहीं बना है रामानुजाचार्य स्वामी पहले ऐसे संत हैं जिनकी इतनी बड़ी प्रतिमा स्थापित की गई हैं।

मंदिर का निर्माण 2014 में शुरू हुआ था रामानुजाचार्य की बड़ी प्रतिमा की लागत करीब 400 करोड़ रुपए हैं
ये अष्टधातु से बनी सबसे बड़ी प्रतिमा है इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है।

 

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