उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व छठ हुआ संपन्न
* छठव्रतियों ने धन- धान्य व आरोग्य, सुख-शांति की कामना की
श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):
सीवान जिला के बड़हरिया प्रखंड में लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को छठव्रती शुक्रवार की भोर में ही छठघाट पर पहुंचकर छठी मईया की पूजा-अर्चना में तल्लीन थे।
भगवान भास्कर के उदीयमान होने पर व्रतियों ने उदीयमान सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। साथ ही,छठी मईया से धन-धान्य, आरोग्य प्राप्ति, वंश वृद्धि आदि की कामना की। प्रखंड के ऐतिहासिक यमुनागढ़, सदरपुर, बड़हरिया, भीमपुर, पहाड़पुर,चाड़ी, लकड़ी, झखाड़ीहाता, पकड़ी, पुरैना, मंशाहाता, सुंदरी सहित सैकड़ों छठघाटों पर छठव्रतियों ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण कर निर्जला उपवास को पूरा किया।
छठव्रतियों के पारण के साथ ही चार दिवसीय महापर्व छठ संपन्न हो गया। अलबत्ता, गुरुवार की शाम चार बजते ही छठव्रती छठघाटों पर पहुंच गये और जमकर लोकसंस्कृति के प्रतीक छठगीतों का गायन किया। छठ महापर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ हुई थी।फिर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी छह नवंबर को खरना था।
उस दिन रात में छठव्रतियों ने गुड़ में बना खीर का प्रसाद ग्रहण किया था। उसके बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हुआ था।वहीं पंचमी तिथि यानी गुरुवार की शाम को व्रतियों ने अस्तचलागामी सूर्य को अर्घ्य दिया था। चारों दिन छठव्रतियों के छठगीतों के गायन से पूरा क्षेत्र अनुगूंजित था। लोक आस्था से गांव से लेकर शहर तक हिलोरें मार रहे थे। कई गांवों में गुरुवार की रातभर भक्ति गीत बजते रहे और लगातार पटाखे छूटते रहे।
यूं कहें कि रात सो ही नहीं सकी और शुक्रवार को सूर्य के उदीयमान होने की प्रतीक्षा में छठव्रती देर तक पानी में खड़ी रहीं। जैसे ही पूरब में सूर्य की लालिमा नजर आयी। पूरे छठघाट चहक उठे। छठव्रतियों की आंखें भी चमक उठी। भगवान भास्कर सात घोड़े वाले रथ से छठव्रतियों के मनोरथ पूर्ण करने के लिए निकल पड़े थे। सूर्योदय के साथ ही छठव्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। घर पहुंचकर पारण किया और महापर्व छठ संपन्न हो गया।
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