टीबी उन्मूलन अभियान को लेकर स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य सहयोगी संस्थाएं भी पूरी तरह से गंभीर

टीबी उन्मूलन अभियान को लेकर स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य सहयोगी संस्थाएं भी पूरी तरह से गंभीर:

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स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा मरीज़ों को गोद लेना सच्ची सेवा का भाग: सीडीओ

मरीज़ों की विभिन्न समस्याओं से अवगत होने के बाद किया गया निराकरण: चिकित्सा पदाधिकारी

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):

टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार के साथ ही स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य सहयोगी संस्थाएं भी पूरी तरह से गंभीर हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर निक्षय मित्र बनाना, सामुदायिक स्तर पर बैठक का आयोजन कर लोगों को जागरूक करना, नियमित रूप से दवा का सेवन करना जैसी कई अन्य प्रकार की जानकारियां उपलब्ध करायी जा रही हैं। अनुमंडलीय अस्पताल बनमनखी के सरसी गांव स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में टीबी मरीज़ों के साथ बैठक का आयोजन किया गया। वहीं स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों के द्वारा मरीज़ों को गोद भी लिया गया। ताकि खाने के लिए समय से पौष्टिक आहार मिल सके। इस अवसर पर चिकित्सा पदाधिकारी डॉ निखिल रंजन, टीबी सहायक दिलीप कुमार, एएनएम सरिता तिर्की, ललिता कुमारी, कर्नाटक हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) के प्रखंड समन्यवयक पंकज कुमार सहित कई अन्य उपस्थित थे।

स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा मरीज़ों को गोद लेना सच्ची सेवा का भाग: सीडीओ
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मिहिरकान्त झा ने बताया कि अनुमंडलीय अस्पताल बनमनखी के अंतर्गत आने वाले अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरसी में राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के कर्मी एवं कर्नाटक हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट के संयुक्त प्रयास से देखभाल एवं सहायता समूह के सदस्यों के साथ बैठक का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान चिकित्सा पदाधिकारी डॉ निखिल रंजन, एसटीएलएस दिलीप कुमार, एएनएम सरिता तिर्की एवं कर्नाटक हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट के प्रखंड समन्वयक पंकज कुमार के द्वारा एक-एक टीबी मरीज़ों को गोद लिया गया।

मरीज़ों की विभिन्न समस्याओं से अवगत होने के बाद किया गया निराकरण: चिकित्सा पदाधिकारी
सरसी एपीएचसी के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ निखिल रंजन ने कहा कि टीबी रोगी एवं उनकी देखभाल को लेकर आयोजित बैठक के दौरान टीबी मरीज़ों के द्वारा अपनी-अपनी समस्याओं को एक-एक कर बैठक के क्रम में कर्मियों के साथ साझा किया गया। उनकी समस्याओं से अवगत होने के बाद स्थानीय स्तर से उसका समाधान किया गया। केएचपीटी के प्रखंड समन्वयक के द्वारा सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करते हुए समस्या का समाधान किया गया। मरीज़ों को दवा खाने के बाद उल्टी एवं जी मिचलाने की समस्या, खांसी से संबंधित समस्या या अंडर डोज टैबलेट खाने की समस्याओं
को विस्तृत रूप से चर्चा की गई।

 

टीबी संक्रम के मुख्य लक्षण:
-दो सप्ताह या उससे अधिक दिनों तक खांसी का आना।
-किसी भी मौसम में रात को पसीना आना।
-लगातार बुखार का होना, थकावट महसूस होना, वजन का काम होना या सांस लेने में परेशानी होना।

-बचाव के तरीके:
-जांच के बाद टीबी रोग की पुष्टि होने पर दवा का पूरा कोर्स  करना।
-मास्क पहनें तथा खांसने या छींकने पर मुंह को पेपर या नैपकीन से कवर रखना।
-मरीज को किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकना चाहिए।
-मरीज को हवादार या अच्छी रौशनी वाले कमरे में रहना चाहिए।
-पौष्टिक खाना खाने के साथ ही प्रतिदिन योगाभ्यास करना चाहिए।
-बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू या शराब के परहेज से बचना चाहिए।
-भीड़भाड़ वाली गंदी जगहों पर जानें से बचना चाहिए।

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