आरोग्य की दृष्टि से आयुर्वेद की महत्ता सर्वदा बनी रहेगी।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
महर्षि पतञ्जलि योग एवं आयुर्वेद अध्ययन केंद्र, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार के तत्वावधान में ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम श्रृंखला के अंतर्गत ‘रोग प्रतिरोधक क्षमता के संवर्धन में आयुर्वेद की भूमिका’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन आभासीय मंच के माध्यम से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो.संजीव कुमार शर्मा ने की।
प्रति-कुलपति प्रो.जी.गोपाल रेड्डी का सान्निध्य सभी को प्राप्त हुआ। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो.सुनील कुमार जोशी, माननीय कुलपति, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, देहरादून थे।संगोष्ठी का प्रारंभ श्री ताराकांत मित्र(शोधार्थी,संस्कृत) द्वारा प्रस्तुत वैदिक मंगलाचरण से हुआ। स्वागत-वक्तव्य देते हुए प्रो.प्रसूनदत्त सिंह(अध्यक्ष, संस्कृत विभाग,महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार) ने कहा कि, ‘स्वस्थ शरीर’ और ‘स्वास्थ्य रक्षा’ आयुर्वेद का मुख्य लक्ष्य है।
संगोष्ठी के सम्मानित अतिथि वक्ता प्रो.विजयपाल शास्त्री( श्रीरघुनाथकीर्ति परिसर,देवप्रयाग,केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली) ने कहा कि शरीर और मन की स्थिति को संतुलित रखना ही जीवन का उद्देश्य है। आयुर्वेद के माध्यम से ही ‘संतुलित दृष्टिकोण’ संभव है।मुख्य अतिथि प्रो.सुनील कुमार जोशी(माननीय कुलपति, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, देहरादून) ने अपने वक्तव्य से संगोष्ठी को विस्तार दिया। व्यक्तिगत एवं सामुदायिक स्वास्थ्य की चर्चा करते हुए आपने कहा कि आयुर्वेद में चारों वेदों की चिकित्सकीय बातों का समावेश है। कोरोना के चुनौतीपूर्ण समय में हम एक बार फिर आयुर्वेद की ओर लौट रहे हैं। आयुर्वेद में वर्णित औषधियों के नियमित एवं संयमित सेवन से हम अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि कर सकते हैं।
‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम श्रृंखला के अध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो.जी.गोपाल रेड्डी ने अपने संक्षिप्त वक्तव्य में कहा कि, आयुर्वेद भारत की आधारभूत औषधि है। भूमंडलीकरण की भागदौड़युक्त जीवन शैली ने हमें हमारी संस्कृति से अलग किया है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से हम अपनी जड़ों की ओर लौट रहे हैं।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रो.संजीव कुमार शर्मा(माननीय कुलपति, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार) ने कहा कि,निश्चित रूप से साम्राज्यवादी शक्तियों ने प्रभावित किया है किंतु आरोग्य की दृष्टि से, संतुलित जीवनशैली की दृष्टि से आयुर्वेद की महत्ता सर्वदा बनी रहेगी
डॉ. श्याम कुमार झा(समन्वयक, महर्षि पतञ्जलि योग एवं आयुर्वेद अध्ययन केंद्र,महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार) ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
संगोष्ठी का सफल संचालन डॉ. विश्वेश वाग्मी(सह-समन्वयक,महर्षि पतञ्जलि योग एवं आयुर्वेद अध्ययन केंद्र, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार) ने किया।
आभार-रश्मि सिंह
शोधार्थी, हिंदी विभाग
महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार।