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संसार के देशों का बढ़ता रक्षा बजट, नए शीत युद्ध की दस्‍तक.

संसार के देशों का बढ़ता रक्षा बजट, नए शीत युद्ध की दस्‍तक.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

रूस, आस्‍ट्रेलिया, चीन और ताइवान ने अपने रक्षा बजट में अपार वृद्धि की है। इसके साथ अब यह सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या दुनिया में एक बार फिर शस्त्रों की होड़ प्रारंभ हो गई है। क्‍या शस्‍त्रों की यह होड़ दुनिया में एक नए शीत युद्ध की दस्तक है। आखिर दुनिया के मुल्‍कों ने क्‍यों बढ़ाया अपना रक्षा बजट। इसके क्‍या है बड़े कारण। इसके क्‍या होंगे दूरगामी परिणाम। इसके लिए कौन है जिम्‍मेदार। भारत की क्‍या है रणनीति।

क्‍या रक्षा बजट में वृद्धि से दुनिया में गरीबी को दूर करने का सपना भी समाप्‍त होगा। इसके लिए कौन सी परिस्थितियां है जिम्मेदार। इस सभी सवालों का जवाब देंगे हमारे व‍िशेषज्ञ हर्ष वी पंत। इसके साथ दुनिया के 5 प्रमुख देशों के रक्षा बजट के बारे में जानेंगे। आइए जानते हैं कौन सा देश रक्षा बजट पर कितना खर्च करता है

रक्षा बजट में वृद्धि के क्‍या है कारण

1- शीत युद्ध की समाप्ति के बाद ऐसा लगा था की दुनिया में शस्त्रों की होड़ खत्‍म हो जाएगी। यह उम्‍मीद की जा रही थी कि इस पर सहज और स्‍वाभाविक रूप से विराम लगेगा। पूर्व सोवियत संघ के पतन के बाद दुनिया में शीत युद्ध का एक अध्‍याय समाप्‍त हो गया। तब यह उम्‍मीद जगी थी कि अब दुनिया के विकसित और विकासशील देश अब शस्त्रों की होड़ के बजाए मानव कल्‍याणकरी योजनाओं की ओर उन्‍मुख होंगे।

रूस और अमेरिका ने जिस तरीके से शस्‍त्रों की कटौती की‍ दिशा में कदम उठाए उससे यह सपना हकीकत में बदल रहा था। अब निश्चित रूप से यह प्रश्‍न महत्‍वपूर्ण है कि अब विकासशील देशों का ध्‍यान रक्षा बजट के अलावा अपने देश में गरीबी को दूर करने, शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य पर केंद्रित होगा। यह कहा जा सकता है कि बदलते अंतरराष्‍ट्रीय परिदृष्‍य ने एक बार फ‍िर दुनिया को मुश्किल में डाल दिया है।

2- चीन की विस्‍तारवादी नीति के चलते एक बार फ‍िर शस्‍त्रों की होड़ का एक नया संकट खड़ा हो गया है। देखिए, दक्षिण चीन सागर, इंडो पैसिफ‍िक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्‍व और ताइवान और पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक रवैये ने इस संकट का और विस्‍तार किया है। चीन की महाशक्ति बनने की ललक से यह संकट और गहराया है। एक बार फ‍िर दुनिया शस्‍त्रों की प्रतिस्‍पर्द्धा में कूद गई है। बदलते सामरिक समीकरण ने दुनिया में सुरक्षा के क्षेत्र में बड़ी चुनौती पैदा की है।। इसका असर देशों के रक्षा बजट पर भी पड़ा है।। दुनिया के कई मुल्कों की रक्षा बजट में वृद्धि हुई है। इसका नतीजा यह रहा है कि देशों ने अपने सुरक्षा कारणों के चलते अपने रक्षा वजट का विस्‍तार किया है।

स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट

स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट दुनिया के सैन्य बजट से लेकर रक्षा के बदलते तौर-तरीकों पर नजर रखता है उसके मुताबिक वर्ष 2019 में पूरी दुनिया का रक्षा बजट 1917 अरब डालर था यह पिछले साल के मुकाबले 3.6 फीसद ज्यादा था। भारत रक्षा बजट के मामले में दुनिया के टाप 5 देशों में शामिल है। स्टाकहोम की सूची के मुताबिक टाप 5 देश अपने रक्षा बजट पर जितना पैसा खर्च करते हैं, वह पूरी दुनिया के सब बजट का लगभग 62 फीसद है।

दुनिया के टाप 10 देशों का रक्षा बजट

अमेरिका: रक्षा बजट के मामले में अमेरिका शीर्ष स्थान पर है। उसने 2019 में रक्षा बजट पर 732 बिलियन डालर खर्च किया। अमेरिका अपनी जीडीपी का 3.4 फीसद हिस्सा केवल रक्षा पर खर्च करता है। इतना ही नहीं अमेरिका दुनिया में हथियारों का बड़ा निर्माता देश भी है। इसकी अर्थव्यवस्था में हथियारों का बड़ा रोल है।

चीन: भारत का पड़ोसी मुल्‍क चीन दूसरे स्‍थान पर है। चीन का रक्षा बजट 261 बिलियन डालर से अधिक है। चीन ने अपनी जीडीपी का 1.9 फीसद अपनी सुरक्षा पर खर्च किया। भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में बढ़ते तनाव के बीच चीन ने हथियारों की होड़ शुरू की है।

भारत: रक्षा बजट के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है। इसका रक्षा बजट 71.1 बिलियन डालर से ऊपर है। पाकिस्तान और चीन से मिल रही सामरिक चुनौती के कारण भारत अपनी जीडीपी का 2.4 फीसद रक्षा पर खर्च करता है। भारत को अपनी पूर्वी और पश्चिमी सीमा दोनों ही की रक्षा करनी होती है।

रूस: रक्षा बजट के मामले में रूस का चौथा स्थान है। रूस का रक्षा बजट 65.1 बिलियन डालर से ऊपर है। रूस का रक्षा बजट इसकी जीडीपी का 3.9 फीसद हिस्सा है। अमेरिका से तनाव के चलते रूस अपने रक्षा बजट पर अधिक खर्च करता है।

सऊदी अरब: सऊदी अबर अपनी रक्षा बजट पर अपनी जीडीपी का आठ फीसद हिस्सा खर्च करता है। सऊदी का रक्षा बजट 61.9 बिलियन डालर के ऊपर है। रक्षा बजल के लिहाज से वह दुनिया में 5वें स्थान पर है। दुनिया के टाप 10 देशों की सूची में सऊदी एकमात्र ऐसा मुल्‍क है, जो अपनी जीडीपी का सबसे अधिक हिस्सा रक्षा बजट पर खर्च करता है।

 

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