विशेष दर्जा देने का मुद्दा:कभी थाली पीटकर अब पीछे हटा JDU,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन और बाद में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की केंद्र सरकारों के इनकार के बावजूद विशेष राज्य का दर्जा (Special Status to Bihar) बिहार की राजनीति का मुद्दा बना रहेगा। जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता और योजना व विकास मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा है कि उनकी पार्टी अब इस मांग पर जोर नहीं देगी। खास बात यह है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुराना मुद्दा था।
केंद्र सरकार ने जब साल 2014 में विशेष राज्य का दर्जा देने से इनकार कर दिया था, तब इसके विरोध में मुख्यमंत्री आवास (CM House) के बाहर जेडीयू के नेताओं व मंत्रियों ने पांच मिनट तक थाली पीटा था। राष्ट्रीय जनता दल व विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कह दिया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यह महागठबंधन का मुख्य मुद्दा रहेगा।
तेजस्वी यादव ने कही यह बात
तेजस्वी ने ट्वीट किया है कि 2024 में अगर महागठबंधन (Grand Alliance) बिहार की 40 में से 39 सीटें जीतता है तो जो भी प्रधानमंत्री (PM) होंगे, स्वयं पटना आकर राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की घोषणा करेंगे। मालूम हो कि तेजस्वी जिस महागठबंधन की बात कह रहे हैं, उसके प्रमुख घटक कांग्रेस (Congress) के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार ने आठ साल पहले ही इस मांग को खारिज कर दिया था।
तेजस्वी ने कहा है कि हम नीति, सिद्धांत, सरोकार, विचार और वादे पर अडिग रहते हैं। हमारी रीढ़ की हड्डी सीधी है। हम जो कहते है वह करते हैं। जाे पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं दिला पाए वो मुख्यमंत्री बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्या दिला पाएंगे? क्या यही 40 में से 39 सांसदों वाला डबल इंजन है? मैंने पहले ही कहा था कि नीतीश कुमार थक चुके हैं। अब तो उनकी पार्टी भी थक चुकी है।
मांग पर जेडीयू ने की थी पहल
खास बात यह है कि विशेष दर्जे की मांग के लिए जेडीयू सबसे अधिक मुखर रहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार और लगभग हरेक प्लेटफार्म पर इस मांग को उठाते रहे। राज्य विभाजन के समय आरजेडी ने भी इस मांग को जोर से उठाया था, लेकिन 2004 में केंद्र में गठित यूपीए सरकार में शामिल होने के साथ ही पार्टी का यह मुद्दा गौण हो गया।
थाली पीट कर किया था विरोध
कोरोना को भगाने के लिए थाली पीटने से पहले जेडीयू ने विशेष दर्जे की मांग को खारिज करने का विरोध थाली पीट कर किया था। यह मार्च 2014 की घटना है। केंद्र सरकार ने विशेष राज्य का दर्जा देने से इनकार कर दिया था। इसके विरोध में मुख्यमंत्री आवास के बाहर लगातार पांच मिनट तक थाली पीटा गया था। कई मंत्री और जेडीयू के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह भी उसमें शामिल हुए थे। उद्देश्य था कि जेडीयू के विरोध की आवाज केंद्र तक पहुंचे। उसी समय नीतीश कुमार पटना के गांधी मैदान में पार्टी के लोगों के साथ बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर सत्याग्रह पर बैठे थे। इससे पहले इसी मांग पर जोर देने के लिए जेडीयू ने दिल्ली में रैली भी की थी।
अब यह कह रही है कांग्रेस
महागठबंधन बात चली तो कांग्रेस का रूख जानना भी जरूरी है। सत्ता में रहने के दौरान कांग्रेस ने कभी विशेष दर्जे को प्रमुखता नहीं दी। अब उसे इसकी जरूरत महसूस हो रही है। कांग्रेस विधायक दल के नेता अजित शर्मा ने कहा कि कांग्रेस पूरे देश का विकास कर रही थी। कांग्रेस जब तक केंद्र की सत्ता में रही, बिहार से विशेष दर्जे की मांग उस तरह से नहीं हुई, जैसे पीएम मोदी के कार्यकाल में हुई। बिहार और केंद्र में डबल इंजन की सरकार रहते हुए भी बिहार को उसका हक नहीं दिया गया।
स्पेशल स्टेटस का दौर समाप्त
20 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि स्पेशल स्टेटस का दौर समाप्त हो चुका है। 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय करों में राज्यों की भागीदारी पर स्थायी फार्मूला बनने के बाद विशेष राज्य की मांग अप्रासंगिक हो चुकी है। विशेष राज्य का दर्जा देने के बदले हम बिहार को विशेष विकास पैकेज दे रहे हैं। यह एक लाख 65 हजार करोड़ का होगा। उसमें एक लाख 25 हजार करोड़ रुपये की वह रकम शामिल है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी।
2013 में केंद्र ने बनाई कमेटी
12 मई 2013 को तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने कहा कि विशेष राज्यों की पात्रता निर्धारित करने के लिए केंद्र सरकार ने मुख्य आर्थिक सलाहकार रघुराम राजन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी राज्यों का पिछड़ेपन के आधार पर मूल्यांकन करेगी। विशेष दर्जा देने की सिफारिश करेगी।
विशेष दर्जा नहीं, विशेष मदद
रघुराम राजन कमेटी ने किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने के बदले विशेष मदद की सिफारिश की। कमेटी ने पिछड़ापन के लिए प्रति व्यक्ति आय और खपत का आधार बनाया। इस मानक पर कम विकसित राज्यों की श्रेणी में बिहार के अलावा असम, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, मेघालय, उड़ीसा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को रखा गया।
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