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जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग ने अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग ने सोमवार को विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों का नये सिरे से निर्धारण करने संबंधी अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए जनता से आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं. परिसीमन आयोग ने प्रस्तावों के संबंध में भारत के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के राजपत्रों में अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की है.

आयोग ने आपत्तियां और सुझाव मांगे

आयोग के सचिव केएन भर ने अधिसूचना में कहा कि आयोग इस संबंध में आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित करता है. अधिसूचना के अनुसार, प्रस्तावों के संबंध में कोई आपत्ति और सुझाव 21 मार्च को या उससे पहले सचिव, परिसीमन आयोग कार्यालय में पहुंच जाने चाहिए.

28, 29 मार्च को होगी सार्वजनिक बैठक

अधिसूचना में कहा गया है कि आयोग इन (सुझावों) पर 28 और 29 मार्च को केंद्रशासित प्रदेश में सार्वजनिक बैठकों के दौरान विचार करेगा. इसमें कहा गया है, ‘उपरोक्त बैठकों का स्थान और समय अलग से अधिसूचित किया जायेगा.’ राजपत्र की प्रतियां जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और केंद्र शासित प्रदेश के सभी जिलों में चुनाव अधिकारियों के संदर्भ के लिए उपलब्ध है.

दो महीने का मिला था आयोग को विस्तार

आयोग को 6 मार्च को दो महीने का विस्तार दिया गया था. उसे 6 मई से पहले एक रिपोर्ट जमा करनी थी. सोमवार को सार्वजनिक किये गये मसौदा प्रस्ताव के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में लोकसभा सीटों की संख्या में कोई वृद्धि नहीं हुई है. इसी तरह, केंद्रशासित प्रदेश की संसदीय सीट में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए कोई आरक्षण नहीं है.

7 सीटें एससी और 9 एसटी के लिए होंगी आरक्षित

रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा सीटों की संख्या 90 करने का प्रस्ताव है, जिसमें से 7 सीट एससी और 9 सीट एसटी के लिए आरक्षित होंगी. मसौदे में कहा गया है कि जम्मू संभाग में जम्मू-रियासी और उधमपुर-डोडा निर्वाचन क्षेत्र होंगे, जबकि कश्मीर संभाग में श्रीनगर-बडगाम और बारामूला-कुपवाड़ा होंगे. अनंतनाग-पुंछ सीट दोनों संभागों का हिस्सा होगी.

जम्मू में 43 और कश्मीर में होंगी 47 सीटें

जस्टिस (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में मार्च 2020 में गठित तीन सदस्यीय आयोग ने 90 सदस्यीय सदन में जम्मू क्षेत्र में छह और सीट तथा कश्मीर में एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव रखा है. 90 सदस्यीय विधानसभा में से 47 सीट कश्मीर में जबकि 43 सीट जम्मू क्षेत्र में होंगी.

 परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में बदलाव का प्रस्ताव दिया है, जिसे केंद्रशासित प्रदेश के पांच सहयोगी सदस्यों को उनके सुझावों के लिए सौंपा गया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि विस्तृत रिपोर्ट में जम्मू संभाग (Jammu Division) से राजौरी और पुंछ को शामिल करके अनंतनाग संसदीय सीट (Anantnag Parliamentary Seat) के पुनर्निर्धारण का प्रस्ताव किया गया है, इसके अलावा कश्मीर संभाग (Kashmir Division) में बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए हैं.

कई विधानसभा सीटें हो जायेंगी खत्म

तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य की कई विधानसभा सीटें खत्म कर दी गयी हैं. इसमें हब्बा कदल सीट भी शामिल है, जिसे प्रवासी कश्मीरी पंडितों के पारंपरिक गढ़ के रूप में देखा जाता था. अधिकारियों ने कहा कि श्रीनगर जिले की खानयार, सोनवार और हजरतबल विधानसभा सीटों को छोड़कर, अन्य सभी सीटों का पुनर्निधार्रण किया गया है और चन्नापुरा तथा श्रीनगर दक्षिण की तरह नयी विधानसभा सीटों के साथ विलय कर दिया गया है.

हब्बा कदल के वोटर अब तीन क्षेत्रों का हिस्सा होंगे

उन्होंने कहा कि नयी प्रस्तावित रिपोर्ट में हब्बा कदल के मतदाता अब कम से कम तीन विधानसभा क्षेत्रों का हिस्सा होंगे. इसी तरह, पांच विधानसभा क्षेत्रों वाले बड़गाम जिले का पुनर्निर्धारण किया गया और बारामूला संसदीय क्षेत्र के साथ विलय कर दिया गया, इसके अलावा कुछ क्षेत्रों को विभाजित किया गया और उत्तरी कश्मीर में कुंजर जैसी नयी विधानसभा सीटों का निर्माण किया गया है. पुलवामा, त्राल और शोपियां के कुछ इलाके, जो अनंतनाग लोकसभा सीट का हिस्सा थे, अब श्रीनगर संसदीय सीट का हिस्सा होंगे.

फारूक अब्दुल्ला समेत इन 5 लोगों को भेजी गयी मसौदा रिपोर्ट

रिपोर्ट पांच सहयोगी सदस्यों फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी और अकबर लोन (नेशनल कॉन्फ्रेंस के लोकसभा सदस्य) तथा जितेंद्र सिंह और जुगल किशोर (भारतीय जनता पार्टी के सांसद) को शुक्रवार को भेजी गयी है. अधिकारियों ने कहा कि उन्हें 14 फरवरी तक अपनी राय देने को कहा गया है, जिसके बाद रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जायेगा. रिपोर्ट ने पिछले साल 31 दिसंबर को नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा दर्ज करायी गयी आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया है.

अगले महीने खत्म हो रहा है कि आयोग का कार्यकाल

नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने जम्मू संभाग में 6 विधानसभा सीटों और कश्मीर संभाग में सिर्फ एक सीट बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था. मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और राज्य निर्वाचन आयुक्त के के शर्मा के साथ सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में छह मार्च 2020 को आयोग की स्थापना की गयी थी और इसे छह मार्च 2021 को एक वर्ष का विस्तार दिया गया था, जिसका कार्यकाल अगले महीने खत्म होने वाला है.

2021 में परिसीमन आयोग की हुई दो बैठकें

परिसीमन आयोग ने पिछले साल 18 फरवरी और 20 दिसंबर को सहयोगी सदस्यों के साथ दो बैठकें की. नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीन सांसदों ने जहां पहली बैठक का बहिष्कार किया, वहीं दूसरी बैठक में वे शामिल हुए थे. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मसौदा प्रस्तावों का जोरदार विरोध किया था, जिसके तहत जम्मू संभाग में विधानसभा सीटों की संख्या 37 से बढ़ाकर 43 और कश्मीर में 46 से 47 करने का सुझाव है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस को परिसीमन के फॉर्मूले पर आपत्ति

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि आयोग का गठन जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन कानून 2019 के कारण हुआ है, जो न्यायिक समीक्षा के दायरे में है और सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक अपना आदेश नहीं दिया है. पार्टी की प्रमुख आपत्ति उस फॉर्मूले को लेकर है, जिसे आयोग ने जनसंख्या की अवधारणा को खारिज कर अपनाया था और कहा कि जम्मू की तुलना में अधिक संख्या में लोगों के होने के बावजूद कश्मीर संभाग को केवल एक सीट मिली है.

जम्मू-कश्मीर में अब 83 की जगह होंगी 90 विधानसभा सीटें

परिसीमन की कवायद पूरी होने के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जायेगी. जम्मू-कश्मीर राज्य की तत्कालीन विधानसभा में, कश्मीर में 46, जम्मू में 37 और लद्दाख में 4 सीटें थीं.

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