झारखंड हाईकोर्ट ने कहा, राज्य में स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त.

झारखंड हाईकोर्ट ने कहा, राज्य में स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

स्वास्थ्य मंत्री के सामने बिना इलाज कोरोना मरीज की मौत.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

राज्य में कोरोना के बढ़ते संक्रमण और स्वास्थ्य सेवाओं की वर्तमान स्थिति पर हाईकोर्ट ने एक बार फिर नाराजगी जतायी है और कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त हो गयी है। अस्पताल में बेड नहीं है। बीमारी से मौतें बढ़ गयी हैं। एक सप्ताह तक जांच रिपोर्ट नहीं आ रही है। रिम्स जैसे अस्पताल में मात्र तीन आरटीपीसीआर मशीन है। रिम्स में पांच हजार से अधिक सैंपल अभी भी लंबित है। सैंपल जांच के लिए भुवनेश्वर भेजा जा रहा है। इससे प्रतीत होता है कि सरकार अभी महामारी और बढ़ने का इंतजार कर रही है। इस स्थिति को बदलना होगा। जल्द ही हालात में काबू नहीं पाया गया तो स्थिति और भयावह हो सकती है।

चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने मंगलवार को यह टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि यह विपदा का समय है और सभी को गंभीरता से काम करना होगा। स्वास्थ्य सचिव सिर्फ कोर्ट में आकर बातें सुनते हैं। उन्हें गंभीरता दिखानी होगी और धरातल पर काम करना होगा। स्थिति से निपटने के लिए अदालत ने होटल और बैंक्वेट हॉल को आइसोलेशन सेंटर बनाने का सुझाव दिया। अदालत ने 17 अप्रैल को इस पूरे मामले पर प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

चीफ जस्टिस ने कहा कि पिछले एक साल से रिम्स की बदहाली पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। एक साल से आम लोगों के हित में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने का निर्देश कोर्ट दे रहा है, लेकिन इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। रिम्स जैसे अस्पताल में टेक्निशयन  नहीं है। कई अन्य मशीन भी नहीं है। पूरे राज्य से रिम्स में मरीज आते हैं। इससे प्रतीत होता है कि राज्य की स्वास्थ्य सेवा बेहतर नहीं है और इलाज के लिए लोगों को रिम्स आना पड़ रहा है। रिम्स पर दबाव बढ़ रहा है और वह दबाव झेलने की स्थिति में नहीं है।

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने बताया कि राज्य के निजी अस्पतालों के 50 फीसदी बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं। 35 हजार से अधि क टेस्ट हर दिन हो रहे हैं। सरकार हर दिन स्थिति में सुधार लाने का प्रयास कर रही है। महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि रिम्स की जीबी मंगलवार को हो रही है। इसमें सीटी स्कैन और अन्य मशीन खरीदने के प्रस्ताव पर चर्चा भी की जाएगी। सरकार पूरी गंभीरता के साथ स्थिति से निपट रही है। इस पर अदालत ने 17 अप्रैल को प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

सदर अस्पताल में हंगामे का मामला कोर्ट में उठा 
सुनवाई के दौरान अदालत में सदर अस्पताल में इलाज के बगैर एक कोरोना मरीज की मौत का मामला भी उठा। इस पर अदालत ने कहा कि स्थिति विस्फोटक होती जा रही है। यदि तुरंत स्थिति पर काबू नहीं पाया गया, तो लोगों का आक्रोश बढ़ेगा। यह अच्छा संकेत नहीं है।

एक दो दिन में हरमू शवदाहगृह  चालू हो जाएगा
सुनवाई्र के दौरान रांची के नगर आयुक्त ने अदालत को बताया गया कि हरमू शवदाहगृह की मरम्मत का काम एक दो दिन में पूरा हो जाएगा। इस शवदाहगृह का लोग कम इस्तेमाल करते थे। अप्रैल माह में 62 से अधिक शव जलाए गए हैं। घागरा शवदाहगृह का निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है।

राजधानी रांची में कोरोना के कहर के बीच सदर अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को सच का सामना करना पड़ा। इलाज के अभाव में एक मरीज के दम तोड़ने पर उसके परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा।   मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया कि बार-बार कहने के बाद भी न कोई डाक्टर आया और न ही कोई नर्स आई। इलाज के अभाव में उनके मरीज ने दम तोड़ दिया। परिजनों ने स्वास्थ्य मंत्री जमकर खरी-खोटी सुनाई।

स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने सदर अस्पताल में पीपीई किट पहनकर कोविड वार्ड मैं भर्ती मरीजों से मुलाकात करने और व्यवस्था की जानकारी लेने पहुंचे थे। इसी दौरान हजारीबाग के एक कोरोना मरीज ने सदर अस्पताल की दहलीज पर ही दम तोड़ दिया। अस्पताल में उसे बेड नहीं मिला था। एंबुलेंस से पहुंचने के बाद डॉक्टर मरीज को भर्ती करने में काफी देर करते रहे। इससे मरीज की मौके पर ही मौत हो गई। इसी दौरान निरीक्षण को मंत्री पहुंचे और उन्हें देखकर मरीज के परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा।

परिजनों ने कहा कि हजारीबाग से इलाज के लिए सदर अस्पताल आए थे लेकिन अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोरोना को लेकर व्यवस्था नहीं किए जाने की वजह से दम तोड़ दिया। मरीज के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि सदर अस्पताल के ना तो नर्स और ना ही डॉक्टर हमारे मरीज को देख रहे थे। अस्पताल कर्मियों की लापरवाही से मौत हुई है।

अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आ रही थी


वहीं मंत्री ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए सदर अस्पताल पहुंचकर व्यवस्था का जायजा लिया। बीते कई दिनों से अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आ रही थी। इसकी वजह से लोगों की जान जा रही है। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से कहा कि सभी प्रकार की खामियों को तत्काल दूर किया जाय। मरीजों को हर सुविधा मुहैया कराई जाय। स्वास्थ्य मंत्री ने कोरोना सक्रमित मरीजों से भी मुलाकात की। उनकी परेशानियों को जाना और शीघ्र इन्हें दूर करने का भरोसा दिलाया।

इसे भी पढ़े…

Leave a Reply

error: Content is protected !!