महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय,मोतिहारी,बिहार की पत्रिका ‘ज्ञानाग्रह’ का हुआ लोकार्पण.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
“फ़स्ल बोई भी हम ने काटी भी
अब न कहना ज़मीन बंजर है।”
(साबिर)
महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय,बिहार की वार्षिक पत्रिका ‘ज्ञानाग्रह'(2021-2022) का लोकार्पण आचार्य बृहस्पति सभागार(महात्मा बुध परिसर) में संपन्न हुआ।
पत्रिका के मुख्य संरक्षक प्रो.संजीव कुमार शर्मा, परामर्शदात्री समिति के सम्मानित शिक्षक प्रो.आनंद प्रकाश(माननीय कुलपति, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार), प्रो.प्रणवीर सिंह(कुलानुशासक सह आचार्य, प्राणी विज्ञान विभाग), प्रो.आशीष श्रीवास्तव(संकायप्रमुख सह अध्यक्ष, शैक्षिक अध्ययन संकाय), प्रो.प्रसूनदत्त सिंह(अध्यक्ष,संस्कृत विभाग), प्रो.पवनेश कुमार(संकाय प्रमुख, पंडित मदन मोहन मालवीय वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय) एवं पत्रिका के मुख्य संपादक प्रो.राजेन्द्र सिंह(संकायप्रमुख सह अध्यक्ष, मानविकी एवं भाषा संकाय,हिन्दी विभाग) ने पत्रिका का लोकार्पण किया।
‘ज्ञानाग्रह’ पत्रिका का तीसरा अंक ‘लोक अंक’ है। लोक को सहेजने, विस्तार देने एवं सभी से जोड़ने के लिए पत्रिका के मुख्य संपादक प्रो.राजेन्द्र सिंह ने इस अंक को विस्तार दिया है। सर ने हर कार्य की तरह इसे भी साधा है। कुछ कहे बिना…बस काम करना है और सीखना है।
संपादक मंडल के सम्मानित शिक्षकों डॉ. बिमलेश कुमार(अध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग), डॉ.अंजनी श्रीवास्तव(सह-आचार्य,हिन्दी विभाग), डॉ. अनिल प्रताप गिरी(सह-आचार्य,संस्कृत विभाग), डॉ. कल्याणी हाजरी(सहायक आचार्य,अंग्रेजी विभाग), डॉ. गोविंद प्रसाद वर्मा(सहायक आचार्य,हिन्दी विभाग) एवं डॉ. विश्वेश वाग्मी(सहायक आचार्य,संस्कृत विभाग) के मार्गदर्शन में पत्रिका ने आज अपने ‘लोक रंग’ से सभी को जोड़ा है।
गिलहरी के रूप में मुझे भी बहुत कुछ सीखने को मिला है। ‘विद्यार्थी संपादक’ के रूप में सीखने का अवसर देने के लिए विश्वविद्यालय, प्रधान संपादक प्रो.राजेन्द्र सिंह सर एवं सभी शिक्षकों के प्रति आभारी हूँ…
आभार-रश्मि सिंह
शोधार्थी,हिन्दी विभाग.
- यह भी पढ़े……
- बिहार में मोतिहारी के जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक को राष्ट्रपति जी ने राष्ट्रीय जल पुरस्कार से सम्मानित किया.
- आजू 29 मार्च 1857 एगो खास दिन अमर शहीद मंगल पांडे से जुड़ल बा.
- पूर्व मुखिया स्व.संत आत्मा राम कुशवाहा की मनाई गई 16 वीं पुण्यतिथि
- रूस के 17,200 सैनिक मारे गए–यूक्रेन.