शिक्षा मंत्रालय ने ‘पढ़े भारत’ का 100 दिवसीय पठन अभियान शुरू किया है।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
शिक्षा मंत्रालय ने ‘पढ़े भारत’ का 100 दिवसीय पठन अभियान शुरू किया है।
- 21 फरवरी जिसे अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है, को भी हमारे समाज की स्थानीय भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस अभियान के साथ एकीकृत किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- परिचय:
- यह अभियान राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप है, जो स्थानीय/मातृभाषा/क्षेत्रीय/आदिवासी भाषा में बच्चों के लिये आयु उपयुक्त पाठय पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित करके बच्चों के लिये आनंदपूर्ण पठन संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर देता है।
- NEP 2020 का उद्देश्य “भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना” है।
- एनईपी आजादी के बाद से भारत में शिक्षा के ढाँचे में केवल तीसरा बड़ा सुधार है। इससे पहले की दो शिक्षा नीतियाँ वर्ष 1968 और 1986 में लाई गई थीं।
- इसमें बालवाटिका से कक्षा 8 तक के बच्चों पर फोकस किया जाएगा
- इस अभियान को फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरसी मिशन के विजन और लक्ष्यों के साथ भी जोड़ा गया है।
- इसका उद्देश्य बच्चों, शिक्षकों, माता-पिता, समुदाय, शैक्षिक प्रशासकों आदि सहित राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर सभी हितधारकों की भागीदारी है।
- यह अभियान राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप है, जो स्थानीय/मातृभाषा/क्षेत्रीय/आदिवासी भाषा में बच्चों के लिये आयु उपयुक्त पाठय पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित करके बच्चों के लिये आनंदपूर्ण पठन संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर देता है।
- अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस:
- इसकी घोषणा यूनेस्को द्वारा 17 नवंबर, 1999 को की गई थी और जिसे विश्व द्वारा वर्ष 2000 से मनाया जाने लगा। यह दिन बांग्लादेश द्वारा अपनी मातृभाषा बांग्ला की रक्षा के लिये किये गए लंबे संघर्ष की भी याद दिलाता है।
- 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का विचार कनाडा में रहने वाले बांग्लादेशी रफीकुल इस्लाम द्वारा सुझाया गया था। इन्होंने बांग्ला भाषा आंदोलन के दौरान ढाका में वर्ष 1952 में हुई हत्याओं को याद करने के लिये उक्त तिथि प्रस्तावित की थी।
- इस पहल का उद्देश्य विश्व के विभिन्न क्षेत्रों की विविध संस्कृति और बौद्धिक विरासत की रक्षा करना तथा मातृभाषाओं का संरक्षण करना एवं उन्हें बढ़ावा देना है।
भारत में शिक्षा
- संवैधानिक प्रावधान:
- भारतीय संविधान के भाग IV, राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) के अनुच्छेद 45 और अनुच्छेद 39 (f) में राज्य द्वारा वित्तपोषित होने के साथ-साथ समान और सुलभ शिक्षा का प्रावधान है।
- 1976 में संविधान के 42वें संशोधन ने शिक्षा को राज्य से समवर्ती सूची में स्थानांतरित कर दिया।
- केंद्र सरकार की शिक्षा नीतियाँ एक व्यापक दिशा प्रदान करती हैं और राज्य सरकारों से इसका पालन करने की अपेक्षा की जाती है। लेकिन यह अनिवार्य नहीं है, उदाहरण के लिये तमिलनाडु 1968 में पहली शिक्षा नीति द्वारा निर्धारित त्रि-भाषा फार्मूले का पालन नहीं करता है।
- 2002 में 86वें संशोधन ने शिक्षा को अनुच्छेद 21-A के तहत लागू करने योग्य अधिकार बना दिया।
- संबंधित कानून:
- शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना और शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में लागू करना है।
- यह गैर-अल्पसंख्यक निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को अधिक एकीकृत और समावेशी स्कूली शिक्षा प्रणाली बनाने हेतु वंचित वर्गों के बच्चों के लिये अपनी प्रवेश स्तर की सीटों में से कम-से-कम 25% सीटों को अलग रखने का आदेश देता है।
- शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना और शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में लागू करना है।
- संबंधित सरकारी पहल:
- प्रधानमंत्री पोषण योजना
- निपुण भारत मिशन
- समग्र शिक्षा
- NISHTHA (स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों की समग्र उन्नति के लिये राष्ट्रीय पहल)
- ज्ञान साझा करने के लिये डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर (दीक्षा)
- स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स (स्वयं)
- शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने के लिये योजना (SPARC)
- प्रज्ञाता दिशा-निर्देश
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
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