सावन का महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हिंदू धर्म में सावन का महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है। हर वर्ष सावन माह में भगवान भोले की आराधना की जाती है। इसी माह में कांवड़ यात्रा का आयोजन होता है और सुहागिन व युवतियां भगवान भोले को प्रसन्‍न करने के लिए सोमवार के व्रत करती हैं। इस वर्ष सावन माह चार जुलाई से शुरू होने जा रहा है। वहीं खास बात यह है कि इस बार सावन 59 दिन का होने वाला है, जिसमें आठ सोमवार पड़ेंगे।

अधिकमास के दिनों का समायोजन सावन माह में

प्रख्यात ज्योतिषी ने बताया कि ज्योतिष गणना के अनुसार एक चंद्रमास 354 व सौरमास 365 दिनों का होता है। इस तरह से इन दोनों में 11 दिन का अंतर आ जाता है। लिहाजा तीन साल में यह अंतर 33 दिन का हो जाता है।

इस तरह हर तीसरे वर्ष में 33 दिनों का अतिरिक्त एक माह बन जाता है। इन 33 दिनों के समायोजन को ही अधिक मास कहा जाता है। साल 2023 में अधिकमास के दिनों का समायोजन सावन माह में हो रहा है। इस कारण से सावन एक की बजाय दो महीने का होगा और सावन में आठ सोमवार पड़ेंगे।

इस बार 8 सावन सोमवार

  • इस साल सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त का चलेगा।
  • सावन महीना 30 दिन की बजाय 59 दिन का होगा।
  • इस साल सावन सोमवार भी 4 की बजाय 8 होंगे।
  • इस बीच 18 जुलाई से 16 अगस्त तक सावन अधिकमास रहेगा। इसे मलमास व पुरुषोत्तम माह भी कहा जाता है।
  • सावन 2023 के व्रत त्योहार

    • 4 जुलाई 2023, मंगलवार: सावन आरंभ
    • 6 जुलाई 2023, गुरुवार: संकष्टी चतुर्थी
    • 13, जुलाई 2033, गुरुवार: कमिका एकादशी
    • 14 जुलाई 2023, शुक्रवार: प्रदोष व्रत
    • 15 जुलाई 2023, शनिवार: मासिक शिवरात्रि
    • 16 जुलाई 2023, रविवार: कर्क संक्रांति
    • 17 जुलाई 2023, सोमवार: श्रावण अमावस्या
    • 29 जुलाई 2023, शनिवार: पद्मिनी एकादशी
    • 30 जुलाई 2023, रविवार: प्रदोष व्रत

    सावन सोमवार व्रत का महत्व

    इस साल सावन का महीना 59 दिनों का होगा और ऐसे में सोमवार के व्रत 8 पड़ेंगे. जबकि आमतौर पर सावन के महीने में 4 या 5 सोमवार के व्रत होते हैं. कहते हैं सावन में सोमवार के व्रत रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस दौरान भोलेनाथ का पूजन करते समय शिवलिंग पर दूध मिश्रित जल, गुड़, अक्षत, बेलपत्र, भांग और धतूरा अर्पित किए जाते हैं. इसके अलावा पीले रंग का कनेर का फूल भोलेनाथ को बहुत प्रिय है ऐसे में यदि कनेर का फूल भी उन्हें अर्पित किया जाए तो वह प्रसन्न होते हैं. जिस व्यक्ति पर भोलेनाथ की कृपा होती है उसके जीवन में आ रहे सभी कष्टों का नाश होता है.

  • जब भगवान विष्णु चार माह के लिए योगनिद्रा में जाते हैं तो धरती का कार्यभार भगवान शिव को सौंप देते हैं. इस दौरान भगवान शिव धरती की कार्यभार संभालते हैं और ये चार महीने भोलेनाथ की अराधना के लिए बेहद ही शुभ माने जाते हैं. इन्हीं चार महीनों में सावन का महीना भी आता है जो कि धार्मिक दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण है और इस दौरान सोमवार के व्रत कर भोलेनाथ को प्रसन्न किया जाता है. कहते हैं यदि कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धाभाव से सावन के सोमवार का व्रत करें व शिवलिंग पर जल अर्पित करें तो भगवान शिव उसे कभी निराश नहीं करते.
  • भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन का महीना

    शास्त्रों में बताया गया है भगवान शिव को सावन का महीना अति प्रिय है। ऐसा इसलिए क्योंकि पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सावन के महीने में कठोर तपस्या की और इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी यह मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद दिया था। इसलिए मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना करने से वह आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं।

    एक कथा यह भी प्रचलित है कि भगवान शिव सावन के महीने में धरती पर आकर अपने ससुराल जाते हैं। जहां उनका स्वागत किया जाता है। इसलिए उनके स्वागत के लिए शिव भक्त जलाभिषेक अथवा रुद्राभिषेक करते हैं।

    सावन में क्या है भगवान शिव को जल चढ़ाने का महत्व?

    धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि सावन मास में ही देवता और असुरों द्वारा समुद्र मंथन किया गया था। जिसमें हलाहल विष विश भी निकला था। यह ऐसा विष था जिससे पूरे सृष्टि को सर्वनाश निश्चित था। इसलिए संसार के उत्थान के लिए भगवान शिव ने स्वयं उस विष को कंठ में धारण कर लिया था। इसलिए उन्हें नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। सभी देवताओं ने विष के वेग को कम करने के लिए शिवजी पर जल का अभिषेक किया था। यही कारण है कि सावन के महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से, वह जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं भक्तों की सभी प्रार्थना सुनते है.

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