मानव पूंजी जितनी शिक्षित उन्नत होगी, उतनी ही तेजी से होंगे आर्थिक सुधार.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
लगभग चार वर्ष पहले लखनऊ में आयोजित इन्वेस्टर्स समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में वैल्यूज हैं, वचरूज हैं, लेकिन वैल्यू एडीशन नहीं है। सवाल यह है कि आखिर क्यों? विशेषकर उन दशकों में भी जब देश और प्रदेश उदारवाद व खुलेपन के साथ वैश्वीकरण से जुड़ रहा था। दुनिया बाजारवाद के साथ-साथ सांस्कृतिक व सामाजिक मूल्यों की एक छिपी लड़ाई लड़ रही थी, तब तत्कालीन सरकारें और उनके नेतृत्व का इनके प्रति उदासीन रहना अथवा नकारात्मक रहना, एक बड़ा प्रश्न खड़ा करता है।
इसके पीछे उत्तरदायी वजहें क्या थीं? शायद इन्हीं में उत्तर प्रदेश के बीमारू राज्य में बदलने की कहानी भी छिपी हो। इन्हें जानने पर ही इस प्रश्न का उत्तर मिल पाएगा कि उत्तर प्रदेश की वह धरती जिसने विशाल सभ्यता और साम्राज्यों की स्थापना के साथ-साथ संस्कृति के समृद्ध इतिहास को संस्थापित किया हो, वह इतना पीछे कैसे चला गया था? इसी में इस प्रश्न का उत्तर भी निहित होगा कि ज्ञान एवं प्रतिभा व क्षमता वाली युवा पूंजी से संपन्न प्रदेश व्यवसाय, विकास, नवोन्मेष और रोजगार के मामले में इतना पीछे क्यों रह गया?
किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले उदारवाद के उन दो-ढाई दशकों को देखने की कोशिश ईमानदारी से करनी होगी जब एक विकसित दुनिया उदारवाद, पूंजीवाद और बाजारवाद के साथ नवोन्मेष, वैज्ञानिकता, डिजिटल साक्षरता, आधुनिकता और नई कार्य संस्कृति के साथ प्रतिस्पर्धाओं में आगे निकलते हुए इसके मानक तय कर रही थी,
तब हम आबादी के लिहाज से भारत के इस सबसे बड़े राज्य में जातिवाद, भ्रष्टाचार, अनुदारवाद, गैर-जवाबदेही पर आधारित गैर-पारदर्शी तथा न्यूनतम सुशासन अधिकतम सरकार आदि के ऐसे उदाहरण पेश होते देख रहे थे जो सामाजिक और मानव पूंजी के लिए सर्वाधिक नुकसानदेह थे। श्रेष्ठ प्रतिस्पर्धी बनने के लिए शिक्षा व्यवस्था को शीर्षस्थ स्थान पर होना बेहद जरूरी है, लेकिन सच यह है कि उसी दौर में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में सर्वाधिक गिरावट आ गई। यह प्रदेश की मेधाओं के भविष्य से खिलवाड़ था। इसने युवा पूंजी को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया था।
वर्ष 2017 तक लगभग 18 प्रतिशत पर पहुंची बेरोजगारी की दर इसी कुव्यवस्था का परिणाम थी। इस दृष्टि से वर्ष 2017 को एक विभाजक रेखा के रूप में देखा जा सकता है, जब योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप शपथ दिलाई गई और उन्होंने शिक्षा व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन लाने के साथ नकलविहीन परीक्षा प्रणाली संपन्न कराने का कार्य किया।
इसके बाद ही उत्तर प्रदेश की प्रतिभाएं अपनी योग्यता व कौशल के अनुसार परिणाम प्राप्त कर सकीं। इससे न केवल युवा प्रतिभाओं में, बल्कि उनसे निर्मित हो रही सामाजिक पूंजी में बड़े स्तर पर वैल्यू एडीशन हुआ।
फलत: युवाओं में इनोवेशन के साथ-साथ इंटरप्रेन्योरशिप और स्टार्टअप कल्चर के प्रति रुचि बढ़ी। इसके चलते युवाओं में सरकारी नौकरियों में जाने या अन्य क्षेत्रों में रोजगार तलाशने यानी जाब सीकर या जाब सर्चर बनने के साथ-साथ जाब जनरेटर बनने के प्रति उत्सुकता भी जगी। चूंकि सरकार ने कानून व्यवस्था को शीर्षस्थ प्राथमिकता देते हुए पारदर्शी और जवाबदेह व्यवस्था के साथ एक नई कार्य संस्कृति की शुरुआत की जिसका लाभ इन युवाओं को हासिल हुआ।
उत्तर प्रदेश देश में सबसे अधिक युवा पूंजी वाला प्रदेश है। यह बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भलीभांति मालूम है, इसलिए उन्होंने प्रदेश को एक खरब अमेरिकी डालर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य भी रखा। लेकिन मानव पूंजी जितनी शिक्षित, कुशल, तकनीकी रूप से उन्नत और प्रोफेशनल होगी, राज्य उतनी ही तेजी से इकोनामिक ग्रोथ हासिल करेगा।
इसी को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गवर्नेंस को लोकाचारों से मुक्त कराने के लिए तमाम बैरीकेड्स को तोड़ा और न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन (मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस) की स्थापना की। इसी का परिणाम है कि योगी सरकार पांच वर्ष पूरे करने से पहले ही साढ़े चार लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी देने और करोड़ों युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार से जोड़ने में सफल हुई।
यही नहीं ईज आफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में उत्तर प्रदेश 2017 के 14वें रैंक के मुकाबले बड़े उछाल के साथ दूसरे स्थान पर पहुंचा जिसका सीधा सा अर्थ है कि उद्यमियों और निवेशकों ने योगी सरकार पर भरोसा जताया। यह प्रदेश में पूंजी आगमन के लिए शुभ सूचक है। इसकी वृद्धिशील निरंतरता बनी रहे इसके लिए संपर्क पर विशेष फोकस किया गया।
परिणामस्वरूप प्रदेश में नई इंटरप्रेन्योर व स्टार्टअप संस्कृति का उदय हुआ। इसने एक साथ विकास एवं रोजगार (ग्रोथ विद जाब) की नई पटकथा लिखी। इसका श्रेष्ठ उदाहरण यह है कि 2017 में प्रदेश की अर्थव्यवस्था (जीएसडीपी) देश में छठे स्थान पर व बेरोजगारी दर लगभग 18 प्रतिशत थी, जबकि आज अर्थव्यवस्था दूसरे स्थान पर और बेरोजगारी की दर लगभग चार प्रतिशत के आसपास है।
बहरहाल उत्तर प्रदेश सर्वाधिक जनसांख्यिकीय लाभांश प्राप्त कर सके इसके लिए योगी सरकार ने अर्थव्यवस्था को प्रतिस्पर्धी बनाने और विकास की प्रक्रिया को तेज करने के साथ-साथ ‘ईज आफ डूइंग बिजनेस’ में उछाल के साथ प्रदेश को देश का सर्वश्रेष्ठ बिजनेस एवं निवेश गंतव्य बनाने में सफलता पाई। इसका लाभ सभी को मिले, इस उद्देश्य से तीव्र विकास के साथ कल्याणकारी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया।
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