देश की सबसे ‘ईमानदार’ राजनेता ममता बनर्जी है,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बंगाल चुनाव 2021 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को पराजित करके लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने वाली पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी को टाइम पत्रिका ने दुनिया के सबसे प्रभावशाली 100 लोगों में शुमार किया था. ब्लूमबर्ग मैगजीन ने उन्हें ‘फाइनेंस की दुनिया में 50 सबसे प्रभावशाली लोगों’ में शुमार किया. भारत की सबसे ईमानदार महिला नेता का खिताब उन्हें इंडिया अगेंस्ट करप्शन ने दिया था.

बंगाल में वामदलों से लड़ने वाली ममता बनर्जी अकेली नेता रहीं. उन्होंने वामदलों के खिलाफ लगातार संघर्ष किया. कई बार उन पर जानलेवा हमले हुए. लेकिन, ममता ने संघर्ष का रास्ता नहीं छोड़ा और आखिरकार वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में 34 साल पुरानी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की अगुवाई में चलने वाली वामफ्रंट गठबंधन सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया.

वर्ष 2021 का चुनाव तीसरा मौका है, जब ममता बनर्जी की पार्टी अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई है. हालांकि, ममता बनर्जी खुद नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव हार गयीं हैं. ममता बनर्जी ने किसी भी चुनौती का डटकर मुकाबला किया है. लोकसभा चुनाव में जबर्दस्त सफलता के बाद जब भाजपा विधानसभा चुनाव में पूरी तैयारी के साथ उतरी, तो ममता ने अलग रणनीति के साथ भगवा दल का मुकाबला किया.

डेढ़ महीने तक ममता बनर्जी ने व्हीलचेयर पर बैठकर प्रचार किया और जब परिणाम आये, तो आराम से अपने पैरों पर खड़ी दिखीं. जीत की खुशी से लबरेज ममता बनर्जी ने अपने समर्थकों और प्रेस दोनों को अलग-अलग संबोधित किया. जब वह प्रेस से मुखातिब थीं और पीएम मोदी एवं भाजपा के साथ-साथ चुनाव आयोग को खरी-खोटी सुना रहीं थीं. चुनाव आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक बेंच में जाने की बात कह रहीं थीं, उसी दौरान उनके हारने की खबर आ गयी.

इस पर ममता बनर्जी ने कहा कि नंदीग्राम में गड़बड़ी हुई है और इसके खिलाफ वह कोर्ट जायेंगी. दरअसल, ममता बनर्जी को रविवार शाम को 1200 से अधिक मतों के अंतर से विजयी घोषित कर दिया गया था. लेकिन, बाद में कहा गया कि भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी नंदीग्राम में 1953 वोट से जीते हैं. इस परिणाम पर दोनों दलों की आपत्तियों के बाद फिर से मतगणना करायी जा रही है.

बंगाल की नौवीं मुख्यमंत्री हैं ममता बनर्जी

ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की नौवीं मुख्यमंत्री हैं. वह प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं. 5 जनवरी, 1955 को कोलकाता (पहले कलकत्ता) में निम्न-मध्यम वर्ग के बंगाली परिवार में जन्मीं ममता बनर्जी के पिता का नाम प्रोमिलेश्वर बनर्जी और मां का नाम गायत्रीदेवी था. ममता जब नौ वर्ष की थीं, तभी उनके पिता का निधन हो गया.

कोलकाता के जोगमाया देवी कॉलेज से इतिहास में स्नातक की उपाधि ली और कलकत्ता विश्वविद्यालय से इस्लामी इतिहास में मास्टर की पढ़ाई पूरी की. ममता ने कोलकाता के श्री शिक्षायतन कॉलेज से शिक्षा में डिग्री और कोलकाता के जोगेश चंद्र चौधरी लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की.

राजनीति में ममता का उदय

ममता बनर्जी ने बहुत कम उम्र में राजनीति में प्रवेश किया था. कांग्रेस (आई) पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने राजनीति शुरू की. पार्टी एवं अन्य राजनीतिक समूहों में अलग-अलग पदों पर रहीं. 1970 के दशक में उन्होंने शीघ्र ही राजनीतिक सीढ़ी पार कर ली. 1976 से 1980 तक वह महिला कांग्रेस की महासचिव रहीं.

ममता ने नहीं किया विवाह, ये है पसंद

ममता बनर्जी ने विवाह नहीं किया. उन्हें चित्रकला काफी पसंद है. पिछले दिनों जब वह चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ कोलकाता में गांधी मूर्ति के नीचे धरना पर बैठीं थीं, तब भी उन्होंने चित्रकारी की थी. कविता लिखना भी उन्हें पसंद है. एक दर्जन बांग्ला और कम से कम 4 अंग्रेजी किताबें लिख चुकीं हैं. पढ़ना, लिखना और संगीत सुनना उनके शौक हैं.

भारत की सबसे ईमानदार राजनेता

मई, 2013 में भ्रष्टाचार विरोधी संस्था ‘इंडिया अगेन्स्ट करप्सन’ ने ममता बनर्जी को भारत की सबसे ईमानदार राजनेता का खिताब दिया था. इतनी बड़ी नेता होने के बावजूद आज भी ममता की जीवनशैली बिल्कुल सरल है. हवाई चप्पल पहनने वाली वह देश की संभवत: एकमात्र नेता होंगी.

19 मई 2016 को वह लगातार दो बार जीतने वाली एकमात्र महिला मुख्यमंत्री बनीं. आठवें मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के अंत में जबरदस्त जीत के तुरंत बाद उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप भी लगे. वर्ष 1997 मेंबनर्जी ने खुद को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अलग कर लिया और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की, जिसे टीएमसी भी कहा जाता है.

कांग्रेस से अलग होकर तृणमूल बनायी और मुख्यमंत्री बनीं

वर्ष 1997 में कांग्रेस से अलग होने के बाद ममता ने तृणमूल कांग्रेस पार्टी का गठन किया. और देखते ही देखते उनकी पार्टी माकपा सरकार के खिलाफ राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी बन गयी. बाद में वह दो-दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं.

ममता की उपलब्धियां और भी हैं

  • वर्ष 2002 में रेलमंत्री बनने के बाद, उन्होंने नयी ट्रेनें चलाने का प्रस्ताव दिया. एक्सप्रेस ट्रेन सेवाओं का विस्तार किया. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कुछ ट्रेनों के फेरे बढ़ाये. भारतीय रेलवे खान-पान प्रबंध और पर्यटन निगम (आइआरसीटीसी) का प्रस्ताव किया.
  • बुद्धदेव भट्टाचार्य की अगुवाई वाली वाम मोर्चा सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल में औद्योगीकरण के लिए किसानों से जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ वर्ष 2005 में सक्रिय आंदोलन किया.
  • ममता ने 31 मई 2009 से 19 जुलाई 2011 तक रेलवे मंत्री के दूसरे कार्यकाल के दौरान कई नन-स्टॉप दूरंतो एक्सप्रेस ट्रेनों की शुरुआत की.
  • अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और एसयूसीआइ के गठबंधन ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2011 में 227 सीटों (टीएमसी -184, कांग्रेस -42, एसयूसीआई -1) पर जीत दर्ज की और वाम मोर्चा सरकार का पतन हो गया. आज यह पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पायी है.
  • 20 मई 2011 को ममता बनर्जी बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं.

ममता की राजनीतिक यात्रा

  • 1976-1980: पश्चिम बंगाल महिला कांग्रेस (आइ) की महासचिव रहीं.
  • 1978-1981: कलकत्ता दक्षिण की जिला कांग्रेस कमेटी (इंदिरा) की सचिव रहीं.
  • 1984: 8वीं लोकसभा की सदस्य के रूप में चुनी गयीं. वाममोर्चा के कद्दावर नेता सोमनाथ चटर्जी को जादवपुर लोकसभा सीट पर पराजित किया. इसके बाद अखिल भारतीय युवा कांग्रेस (आइ) की महासचिव भी बनीं.
  • 1985-1987: अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की कल्याण समिति की सदस्य बनीं.
  • 1987-1988: मानव संसाधन विकास मंत्रालय की परामर्श समिति, अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय परिषद (आइ), गृह मंत्रालय पर सलाहकार समिति की सदस्य रहीं.
  • 1988: कांग्रेस संसदीय दल की कार्यकारी समिति की सदस्य बनीं.
  • 1989: राज्य की प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारी समिति की सदस्य बनायी गयीं.
  • 1990: पश्चिम बंगाल की युवा कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं.
  • 1991: 10वीं लोकसभा की सदस्य बनीं. लोकसभा के लिए यह उनका दूसरा चुनाव था.
  • 1991-1993: युवा मामले और खेल विभाग, मानव संसाधन विकास, महिला एवं बाल विकास की राज्य मंत्री रहीं.
  • 1993-1996: गृह मामलों पर समिति की सदस्य रहीं.
  • 1995-1996: लोक लेखा समिति की सदस्य, गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति की सदस्य रहीं.
  • 1996: 11वीं लोकसभा की सदस्य के रूप में तीसरी बार चुनी गयीं.
  • 1996-1997: गृह मामलों पर गृह मंत्रालय की परामर्श समिति की सदस्य रहीं.
  • 1997: अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की और इसकी अध्यक्ष बनीं.
  • 1998: 12वीं लोक सभा के लिए चुनीं गयीं. यह चौथा मौका था, जब वह लोकसभा पहुंचीं.
  • 1998-1999: रेलवे समिति की अध्यक्ष बनीं, गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति की सदस्य, सामान्य प्रयोजन समिति की सदस्य रहीं.
  • 1999: 13वीं लोकसभा के लिए चुनी गयीं. पांचवीं बार लोकसभा पहुंचने पर इन्हें सामान्य प्रयोजन समिति की सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया.
  • 13 अक्टूबर 1999-16 मार्च 2001: रेलवे की केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बनायी गयीं.
  • 2001-2003: उद्योग मंत्रालय की सलाहकार समिति की सदस्य ममता बनर्जी को बनाया गया.
  • 8 सितंबर 2003-8 जनवरी 2004: केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बनीं, लेकिन बिना किसी पोर्टफोलियो के.
  • 9 जनवरी 2004-मई 2004: कोयला और खदानों की केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बनायी गयीं.
  • 2004: 14वीं लोकसभा के लिए चुनी गयीं. छठी बार संसद पहुंचने के बाद वह कानून एवं न्याय, लोक शिकायत और कार्मिक पर समिति की सदस्य भी बनीं.
  • 5 अगस्त 2006: गृह मामलों की समिति की सदस्य बनायी गयीं.
  • 2009: 15वीं लोकसभा की सदस्य (सातवीं बार) चुनी गयीं.
  • 31 मई 2009-जुलाई 2011: रेलवे के लिए केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बनीं.
  • 9 अक्टूबर 2011: 15वीं लोकसभा की सदस्यता से ममता बनर्जी ने इस्तीफा दे दिया.
  • 20 मई 2011: पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं.
  • 19 मई 2016: वह लगातार दूसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं.
  • 2 मई, 2021 : ममता बनर्जी की पार्टी एक बार फिर विधानसभा चुनाव में 200 से ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बनाने के लिए तैयार है. लेकिन, ममता बनर्जी खुद चुनाव हार गयीं हैं. शुभेंदु अधिकारी ने उन्हें 2036 वोटों से हरा दिया है. ऐसे में देखना है कि ममता बनर्जी उपचुनाव लड़कर मुख्यमंत्री बनेंगी या अपनी विरासत किसी और को सौंप देंगी.
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