पवित्र महाकुंभ में शरारती तत्वों की नापाक डिजिटल हरकतें

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छी! गलत हरकतों से यहां भी बाज न आए

✍️डॉक्टर गणेश दत्त पाठक

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

महिलाओं के नहाते रिल्स बनाना और सोशल मीडिया पर दिखाना न केवल नारी शक्ति की गरिमा उनकी गोपनीयता, निजता, धार्मिक, नैतिक, कानूनी अधिकारों का उल्लंघन है अपितु सनातनी परंपरा की प्रतिष्ठा पर भी डाल रहे नकारात्मक प्रभाव

प्रयागराज के संगम तट पर पवित्र महाकुंभ का आयोजन। आस्था का समंदर और श्रद्धा का सैलाब उमड़ा। पूरी संगमनगरी बिजली की चकाचौंध और धार्मिक उल्लास के रंग में रंगी। पांडालों में कहीं भजन तो कहीं प्रवचन, कहीं मंत्रों का जाप तो कहीं हवन, कहीं यज्ञ तो कहीं आराधना, कहीं संगीत तो कहीं नृत्य, कहीं भंडारा तो कहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम, कहीं साधना तो कहीं आराधना, कहीं सेवा तो कहीं सत्कार सदैव चलता रहा।

सनातन संस्कृति के सदियों से संचारित तमाम आयाम अपने पूरे ऊर्जस्वित आयाम में श्रृंगारित होते दिख रहे हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर संचारित हो रहे रिल्स मन को व्यथित, विचलित करते दिखते हैं। मां बहनों के स्नान करते उनके बदन से चिपके कपड़ों की करोड़ो रिल्स यू ट्यूब और फेसबुक आदि सोशल मीडिया साइट्स पर डाली और देखी जा रही है। जबकि सनातनी परंपरा में नारी को श्रद्धा का प्रतीक माना जाता रहा है। ऐसे में इन रिल्स को देखना भी किसी महापाप से कम नहीं है।

महाकुंभ एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो हर 12 वर्षों में आयोजित किया जाता है। यह त्योहार पवित्र नदी गंगा के किनारे आयोजित किया जाता है, जहां लाखों श्रद्धालु एकत्रित होकर पवित्र स्नान करते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।

महाकुंभ का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है, जब ऋषि और मुनि पवित्र नदी गंगा के किनारे एकत्रित होकर धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते थे। समय के साथ, यह त्योहार विशाल और व्यापक हो गया, और आज यह दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। महाकुंभ के दौरान, श्रद्धालु विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं, जिनमें पवित्र स्नान, पूजा-पाठ, और यज्ञ-हवन शामिल हैं।

इसके अलावा, महाकुंभ के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। कई साधु संत अपनी साधना में रत रहते हैं तो यज्ञ हवन का क्रम निरंतर चलता रहता है। ध्यान और योग शिविरों के आयोजन के साथ धार्मिक और आध्यात्मिक संवाद का भी क्रम चलता रहता है। सामुदायिक भोजन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सेवा का निरंतर क्रम चलता रहता है। महाकुंभ का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजन भी है। यह त्योहार लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को मनाने का अवसर प्रदान करता है।

परंतु इस बार के महाकुंभ का एक बेहद अशोभनीय शरारती तत्वों का हरकत यह सामने आया कि संगम और महाकुंभ क्षेत्र में नहाती नारी शक्ति के कई अशोभनीय रिल्स बनाए गए और उसे सोशल मीडिया पर करोड़ों अरबों व्यूवर को दिखाया गया। यह विशुद्ध रूप से मानसिक दिवालियापन का प्रतीक ही माना जाएगा। जहां वासना श्रद्धा पर हावी होती दिखाई देती है। इन हरकतों की जितनी निंदा की जाए उतनी ही कम होगी।

ऐसा क्यों हुआ इस कुंभ में इस पर विचार करें तो पाते हैं कि कुछ कारक जिम्मेवार अवश्य है। आज के युवाओं में विशेष तौर से सोशल मीडिया पर सनसनी बनने की ख्वाहिश देखी जा रही है। यू ट्यूब और अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर वीडियो और रिल्स लोड करके धन कमाने की आकांक्षा बलवती हो रही है। युवाओं में सोशल मीडिया की लत बेतहाशा तौर पर बढ़ती दिखाई दे रही है और तथ्य यह भी है कि अश्लील और नारी गरिमा का हनन करने वाले कंटेंट प्राथमिकता में रह रहे हैं।

निश्चित तौर पर आज हर मोबाइल में गुणवत्तापूर्ण कैमरा रह रहा है और हर हाथ में मोबाइल रह रहा है। मानसिक रूप से चरित्रहीन लोग महाकुंभ जैसे पवित्र क्षेत्र में भी नारी शक्ति के नहाते वीडियो बनाते और सोशल मीडिया पर अपलोड करते दिखाई देते हैं। जिसका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ नकारात्मक मनोरंजन का प्रयास ही रहता है। कुछ महिलाएं ऐसे भी रहीं जिन्होंने स्वयं सोशल मीडिया की सनसनी बनने की ख्वाहिश में रिल्स बनवाया और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड भी करवाया। इन नापाक डिजिटल हरकतों ने देश की प्रतिष्ठा को अंतराष्ट्रीय स्तर पर धूमिल किया। जबकि नारी शक्ति के प्रति श्रद्धा और सम्मान की भावना सनातनी परंपरा की विशेष प्रतिष्ठा रही है।

सनातनी परंपरा में महिलाओं के प्रति सम्मान की एक विशेष समृद्ध परम्परा रही है। इस संस्कृति में महिलाओं की बातों, भावनाओं, अधिकारों का सम्मान विशेष महत्व रखता है। प्राचीन वैदिक ग्रंथों, उपनिषदों आदि में भी नारी सम्मान के प्रति आग्रह का ही आधार मिलता है। फिर महाकुंभ में महिलाओं की गोपनीयता के उल्लंघन के साथ उनके अपमान की डिजिटल हरकत बेहद निंदनीय और शर्मनाक है।

महिलाओं का वीडियो बिना उनकी अनुमति के डालना कानूनी तौर पर बहुत गलत है। यह न केवल उनकी गोपनीयता और सम्मान का उल्लंघन है, बल्कि यह उनके अधिकारों का भी उल्लंघन है। विधि विशेषज्ञ चंद्रचूड़ पांडेय बताते हैं कि भारत में यह कानूनी अपराध है और इसके लिए कई कानूनी प्रावधान हैं जैसे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत, किसी व्यक्ति की अनुमति के बिना उनका वीडियो या फोटो प्रकाशित करना एक अपराध है।


भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत, किसी व्यक्ति की अनुमति के बिना उनका वीडियो या फोटो प्रकाशित करना एक अपराध है, जो अश्लीलता या अपमानजनक हो सकता है। महिला सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत, महिलाओं के खिलाफ ऑनलाइन अपराधों को रोकने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। भारतीय न्यायालय ने राइट टू प्राइवेसी को एक मौलिक अधिकार माना है, जिसके तहत किसी व्यक्ति की अनुमति के बिना उनका वीडियो या फोटो प्रकाशित करना एक अपराध है।
इन कानूनी प्रावधानों के तहत, महिलाओं का वीडियो बिना उनकी अनुमति के डालने वाले व्यक्ति को दंडित किया जा सकता है, जिसमें जुर्माना या जेल की सजा शामिल हो सकती है।

महिलाओं का कुंभ में नहाते हुए वीडियो डालना धार्मिक, नैतिक और सामाजिक तौर पर भी बहुत गलत है। यह न केवल उनकी गोपनीयता और सम्मान का उल्लंघन है, बल्कि यह उनके धार्मिक अधिकारों का भी उल्लंघन है। हिंदू धर्म में महाकुंभ मेला एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जहां लोग पवित्र नदी में स्नान करते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। इस आयोजन के दौरान, महिलाओं को भी स्नान करने का अधिकार है, लेकिन उनकी गोपनीयता और सम्मान का ध्यान रखना आवश्यक है। महिलाओं का नहाते वीडियो बनाना धार्मिक अनुष्ठानों का अपमान भी है।

महिलाओं के नहाते हुए उनके वीडियो बनाना एक शर्मनाक कृत्य है। ऐसी डिजिटल हरकतों के रोकथाम के प्रयास लाजिमी है। जैसे देश में चुनाव के दौरान, हेट स्पीच, फेक न्यूज और पैड न्यूज पर बारीक नजर प्रशासन द्वारा रखी जाती है वैसे ही महाकुंभ जैसे आयोजनों में महिलाओं के तस्वीरों के संदर्भ में बारीक नजर अवश्य रखनी चाहिए। साइबर सेल ऐसे वीडियो पर सतर्क नजर रखें और ऐसे वीडियो को जारी करने वाले पर आई टी एक्ट और विधिक प्रावधानों के सुसंगत धाराओं के तहत कड़ी कारवाई करनी चाहिए।

साथ ही सोशल मीडिया प्रोवाइडर के सहयोग से ऐसे वीडियो के तत्काल डिलीट किए जाने की व्यवस्थाओं को बनाना होगा। व्यक्तिगत स्तर पर हर संजीदा व्यक्ति को ऐसे वीडियो न तो देखने चाहिए न ही इसे शेयर करना चाहिए। क्योंकि व्यू और प्रसार बढ़ने से ऐसे वीडियो को डाउन लोड करने वाले का मनोबल बढ़ता है। ऐसे वीडियो जिसे भी दिखाई दे अगर रिपोर्ट करे तो ऐसे वीडियो डालने वाले हतोत्साहित होंगे।

महाकुंभ में महिलाओं का नहाते वीडियो डालने वाले शरारती तत्वों की नापाक हरकतों पर रोक लगाना बेहद आवश्यक है। यह नारी शक्ति के गरिमा और उसके कानूनी, धार्मिक, नैतिक, सामाजिक अधिकारों का सरासर उल्लंघन है। इस संदर्भ में प्रशासनिक सख्ती तो अनिवार्य है ही सामाजिक और धार्मिक स्तर पर सावधानी और संजीदगी भी बेहद जरूरी है। ऐसे वीडियो और रिल्स को न देखना भी आवश्यक है। महिलाओं के सम्मान और उनके गोपनीयता, निजता, अधिकारों के संरक्षण के लिए समन्वित और सार्थक प्रयासों की आवश्यकता अवश्य है।

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