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जिले में कालाजार मरीजों की संख्या मात्र 63, लेकिन बचाव ही इसका मुख्य उपाय  - श्रीनारद मीडिया

जिले में कालाजार मरीजों की संख्या मात्र 63, लेकिन बचाव ही इसका मुख्य उपाय 

जिले में कालाजार मरीजों की संख्या मात्र 63, लेकिन बचाव ही इसका मुख्य उपाय

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कालाजार मरीजों की संख्या कम होने का मतलब कालाजार मुक्त अभियान सफ़लता सफ़ल:

इलाजरत मरीजों को श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाती है सहायता राशि: डॉ एम आर रंजन

अत्यधिक नमी एवं अंधरे वाले स्थान पर कालाजार की बालू मक्खियों का ज्यादा होता है पनपना: जिला प्रतिनिधि

श्रीनारद मीडिया, सिवान (बिहार):

जिलेवासियों को संक्रमित बालूमक्खी के काटने से होने वाले बीमारी कालाजार से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के सभी प्रखंडों में चयनित गांवों में कालाजार छिड़काव अभियान की शुरुआत कर दी गई है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मणिराज रंजन ने बताया कि वीएल, पीकेडीएल और एच आई वी – वीएल मरीजों की बात की जाए तो विगत वर्ष 2021 में 186 थी तो 2022 में 108 जबकि 2023 में मात्र 63 मरीजों का शिनाख्त हुई थी। जिसका इलाज स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जा गया है। हालांकि जड़ से मिटाने के उद्देश्य से जिले के 123 पंचायतों के 179 राजस्व गांवों में 5, 87, 671 जनसंख्या के 1, 11, 268 घरों के 3, 67, 462 कमरों में कालाजार छिड़काव कार्य चल रहा है। प्रभावित क्षेत्रों में वर्ष में दो बार छिड़काव किया जाता है।

 

कालाजार मरीजों की संख्या कम होने का मतलब कालाजार मुक्त अभियान सफ़लता सफ़ल: वीबीडीसीओ
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (वीबीडीसीओ) राजेश कुमार ने बताया कि जिले के ऐसे संभावित कालाजार ग्रसित गांवों में सिंथेटिक पैराथायराइड (एसपी) का छिड़काव अभियान की शुरुआत की गई है। जहां पिछले तीन वर्षों में कालाजार के संभावित मरीज पाए गए हैं। किसी के हाथ, पैर और पेट की त्वचा काली होने की शिकायतें मिलती हैं, जिसे पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) कालाजार से ग्रसित मरीज कहा जाता है। क्योंकि मुख्य रूप से पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) एक त्वचा रोग है जो कालाजार के बाद होता है।

लेकिन जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में कालाजार का इलाज आसानी से हो सकता है। जिसको लेकर छिड़काव अभियान के दौरान क्षेत्रों में ऐसे मरीजों की भी खोज की जाएगी तथा उन लोगों को तत्काल इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल भेजा जाएगा। जिले में कालाजार मरीजों की संख्या धीरे धीरे कम होते जा रहा है इसका मतलब यही हुआ कि कालाजार मुक्त अभियान सफ़लता की ओर अग्रसर है।

इलाजरत मरीजों को श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाती है सहायता राशि: डॉ मणिराज रंजन
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ मणिराज रंजन ने बताया कि कालाजार मरीजों को सरकारी अस्पताल में इलाज के साथ ही कालाजार संक्रमित मरीजों को सरकार द्वारा श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सहायता राशि भी प्रदान की जाती है। सरकार द्वारा विसरल लीशमैनियासिस (वीएल) कालाजार से पीड़ित मरीज़ को 7100 रुपये की श्रम- क्षतिपूर्ति राशि भी दी जाती है। यह राशि भारत सरकार के द्वारा 500 एवं राज्य सरकार की ओर से कालाजार राहत अभियान के अंतर्गत मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि के रूप में 6600 सौ रुपये दी जाती है। वहीं पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) कालाजार से पीड़ित मरीज को राज्य सरकार द्वारा 4000 रुपये की सहायता राशि श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में प्रदान की जाती है।

 

अत्यधिक नमी एवं अंधरे वाले स्थान पर कालाजार की बालू मक्खियों का ज्यादा होता है पनपना: जिला प्रतिनिधि
पीरामल स्वास्थ्य के जिला प्रतिनिधि कुंदन कुमार ने बताया कि कालाजार बीमारी बालूमक्खी के काटने से होने वाला रोग है। क्योंकि अत्यधिक नमी एवं अंधरे वाले स्थान पर कालाजार की मक्खियां ज्यादा फैलती है, लेकिन इससे ग्रसित मरीजों का इलाज आसानी से संभव है। हालांकि यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रवेश कर जाता है। दो सप्ताह से अधिक बुखार, पेट के आकार में वृद्धि, भूख नहीं लगना, उल्टी होना, शारीरिक चमड़ा का रंग काला होना सहित कई अन्य कालाजार बीमारी के मुख्य लक्षण हैं। ऐसे लक्षण वाले मरीजों को विसरल लीशमैनियासिस (वीएल) कालाजार की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसा लक्षण शरीर में महसूस होने पर ग्रसित मरीज को अविलंब जांच कराना जरूरी होता है। इसका इलाज कराने के बाद भी ग्रसित मरीज को सुरक्षित रहना अतिआवश्यकता होता है।

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