मिथक को तोड़कर इतिहास रचने का मौका प्रतीक्षा के गर्भ में है।

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मोदी है तो नौकरी मिलना मुश्किल-तेजस्वी यादव

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ऐतिहासिक लड़ाइयों के लिए शुमार रहे बक्सर लोकसभा का एक दिलचस्प सियासी पहलू यह भी है कि यहां के चुनावी रण में सांसद बनने के बाद जो एक बार हार गया वो फिर संसद नहीं पंहुचा। अब तक के 17 लोकसभा चुनावों के बाद भी यह मिथक टूट नहीं पाया है। इस साल के चुनाव में तो वैसे भी पुराने दिग्गज चुनाव मैदान में ही नहीं हैं। लिहाजा इस मिथक को तोड़कर इतिहास रचने का मौका प्रतीक्षा के गर्भ में है।

बक्सर की जनता ने अब तक कई दिग्गजों की झोली में जीत बख्शी है। पांच दिग्गजों को दो बार सदन भेजा। इसमें कमल नारायण सिंह (1952 व 1957), अनंत प्रसाद शर्मा (1962व 1971), प्रो केके तिवारी (1980 व 1984), तेज नारायण यादव (1989 व 1991) व अश्विनी कुमार चौबे (2014 व 2019) शामिल हैं। तीन धुरंधरों रामसुभग सिंह (1967), रामानंद तिवारी (1977) व जगदानंद (2009) सिंह को सिर्फ एक बार मौका दिया। सिर्फ लालमुनि चौबे ऐसे दिग्गज रहे जिन्होंने रिकॉर्ड चार बार भाजपा के टिकट पर लगातार जीत दर्ज की।

हालांकि, चुनावी जंग में बक्सर की जनता ने जिसे एक बार नकार दिया उनकी राजनीतिक पारी पर सदा के लिए विराम लग गया। साल 1952 में शाहाबाद उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र से पहली बार डूमरांव नरेश कमल नारायण सिंह संसद पंहुचे। 1957 में बक्सर लोकसभा क्षेत्र से दूसरी बार जीत दर्ज की। 1962 में तीसरे लोकसभा चुनाव में अनंत प्रसाद शर्मा से चुनाव हार गए। इसके बाद उनकी संसदीय पारी पर विराम लग गया।

रामसुभग सिंह 1967 में सांसद बने और 1971 में हारे तो फिर संसद नहीं पंहुचे। अनंत प्रसाद शर्मा 1977 में रामानंद तिवारी से हारने के बाद बक्सर की राजनीति से सदा के लिए ओझल हो गए। रामानंद तिवारी को 1980 में प्रो. केके तिवारी ने हराया। इसके बाद वो भी दोबारा संसद नहीं पंहुचे। प्रो.केके तिवारी साल 1980 एवं 1984 में यहां से सांसद बने। 1989 में सीपीआई के तेज नारायण यादव से हारने के बाद तिवारी की भी सियासी पारी खत्म हो गई।

तेज नारायण यादव 1996 में लालमुनि चौबे से हारे तो फिर उनको बक्सर ने मौका नहीं दिया। लालमुनि चौबे की जीत का चौका लगाने वाली पारी का अंत 2009 में हो गया। परिसीमन के बाद बक्सर से आरजेडी के टिकट पर जगदानंद सिंह ने जीत दर्ज की ओर फिर लालमुनि चौबे का सियासी करियर थम गया। जगदानंद सिंह को 2014 में अश्विनी कुमार चौबे ने हराया। इसके बाद जगदानंद सिंह दोबारा जीत दर्ज नहीं कर पाए। वर्तमान चुनाव में जगदानंद सिंह और अश्विनी चौबे नैपथ्य में चले गए हैं। जाहिर है बक्सर में सांसद बनने के बाद जो एक बार चुनाव हार गया वो दोबारा संसद नहीं पंहुचा।

तेजस्वी यादव ने शनिवार को कहा कि दूसरे चरण के लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के नेता डिप्रेशन में हैं। देश की जनता कह रही है कि नरेंद्र मोदी हैं तो नौकरी मिलना मुश्किल है। पीएम मोदी मुद्दों की बात छोड़कर सिर्फ हिंदू मुसलमान करते हैं। उनका काम समाज में जहर बोना है। लोकसभा चुनाव के चरण में ही 400 पार वाली फिल्म फ्लॉप हो गई। अब प्रधानमंत्री दूसरे चरण के चुनाव के बाद अबकी बार 400 पार वाला नारा भूल ही गए हैं।

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम एवं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब से दूसरे चरण का मतदान हुआ है, तब से बीजेपी के नेता डिप्रेशन में आ गए हैं। पीएम मोदी ने इतना झूठ बोला कि देश की जनता सहन नहीं पा रही है। लोग कह रहे हैं मोदी हैं तो गरीबी और बेरोजगारी मिटाना मुश्किल है।

तेजस्वी ने आगे कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी पढ़ाई, दवाई, कमाई, सिंचाई, रोजगार, गरीब, किसान और महंगाई पर बात नहीं करते हैं। उनको हिंदू-मुस्लिम के अलावा किसी अन्य मुद्दे पर बात करना नहीं आता है। अब देश की जनता उन्हें पहचान चुकी है।

तेजस्वी यादव ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को दो जगह बिहार में थे। एक बार भी उन्होंने अपने 10 सालों की किसी भी उपलब्धि का जिक्र नहीं किया। कोई उपलब्धि होगी तो जिक्र करेंगे ना? उन्होंने यह भी नहीं बताया कि उनके 40 में से 39 सांसदों ने बीते पांच सालों में क्या किया? मोदी इतना झूठ और असत्य बोल चुके हैं कि अब उनके पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं बचा। अब वो मुद्दों से भाग रहे हैं।

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