लोहार समाज के लोगों ने लोहार जाति को जनजाति श्रेणी में जोड़ने को लेकर सांसद को दिया ज्ञापन
सांसद ने लोहार समाज के लिए पटना से दिल्ली तक आवाज बनने का दिया आश्वासन
श्रीनारद मीडिया, प्रकाश चन्द्र द्विवेदी, सीवान (बिहार)
बिहार प्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य राजकुमार शर्मा के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल जिले के लोकप्रिय एवं यशस्वी सांसद श्रीमती कविता सिंह एवं जदयू के वरीय नेता अजय सिंह के पैतृक आवास नंदामुड़ा में मिलकर लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति में जोड़ने से संबंधित एक ज्ञापन सौंपा। उन्होंने बताया कि पूरे देश में मध्य प्रदेश तथा उड़ीसा के बाद बिहार तीसरा राज्य है जो आदिवासी बहुल है। जिसमें लोहार/ लोहरा उनमें से एक है। यह दोनों जनजातियां एक ही है व लोहरा का ही मूल रूप लोहार है। सुबे में इनकी जनसंख्या लगभग 35 लाख के करीब है। यह सामाजिक रूप से जन्म से लेकर मृत्यु तक समाज के हर कोटि के लोगों के सहयोगी रहते हैं। पूरे भारतवर्ष की जनसंख्या में 2 करोड़ से अधिक लोहार/ लोहरा जनजातियां आदिवासी निवास करते है। भाजयुमो नेता शर्मा ने बताया की भारतीय जनसंख्या में ये लोग 6% है और देश के 18% इलाकों पर उनका नियंत्रण है।
ये सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण सीमा क्षेत्रों में प्रहरी का काम करते हैं। लोहार समुदाय के लोग कुछ किसान, कर्मकार, शिल्पी हैं। उद्योगों और खेती में भी काफी संख्या में काम कर गुजर-बसर कर रहे हैं। यह लोग अपने परंपरागत पेशा लोहार गिरी, कर्मकार, शिल्पकार के अलावा सुंदर व उपयोगी औजार, आखेट का सामान एवं दैनिक उपभोग की वस्तुएं बनाकर समाज की सेवा कर रहे हैं। इसके साथ ही खिलाड़ी और सैनिकों के रूप में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। शर्मा ने कहा की आजादी के पूर्व से ही देश की सेवा में चाहे महाराणा प्रताप का शासनकाल हो या वीर शिवाजी का या देश की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाते हुए योगदान दिया है। परंतु दुख के साथ कहना है इतनी सारी सेवाओं को देने के बावजूद आज भी समाज के लोग उपेक्षित हैं। देश की आजादी के पश्चात 1950 से संविधान में वर्णित लोहार/ लोहारा जो अनुसूचित जनजाति श्रेणी में आते हैं फिर भी आजादी के 75 वर्षों के बाद भी लोहार समुदाय के लोग आर्थिक सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से कमजोर है और उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं।
विगत एक 1 वर्ष पूर्व राज्य के यशस्वी मुख्यमंत्री ने समाज के उपेक्षित वर्ग लोहार को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में रखने की अपील सर्वे कराकर केंद्र सरकार को दी। वर्तमान केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री के पहल को स्वीकृति देते हुए आदेश निर्गत कर दिया। इस आदेश पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए राज्य के लोहार समुदाय के युवाओं ने भविष्य का स्वर्णिम सपना देखा। परंतु एक माह पूर्व ही सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली की एक खंडपीठ के द्वारा लोहार समाज को अनुसूचित जनजाति के लाभ से वंचित करने का फैसला दिया, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इस फैसले से बिहार के लगभग 45 लाख लोहार समुदाय के लोग मर्माहत है। बता दे कि सुबे में 45 लाख लोहार समुदाय की जनसंख्या है जो आर्थिक सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से हाशिए पर है। राजनीति में 1% भी भागीदारी नहीं जो दुखद है। सभी सरकारे समाज के उपेक्षित वर्गों के उत्थान के लिए कार्य करने की प्रतिबद्धता दोहराती है परंतु किसी खास विशेष जाति के उन्नति में लग जाती है जो हर तरह से सबल है।
उन्होंने बताया कि जिले की यशस्वी सांसद श्रीमती कविता सिंह एवं लोकप्रिय जदयू नेता अजय सिंह ने बड़ी ही सहजता के साथ बातों को सुना और आश्वस्त किया कि मैं निश्चित रूप से लोहार समाज का पटना से दिल्ली तक आवाज बनूंगा। भाजयुमो नेता ने कहा कि आपसे आशा ही नहीं उम्मीद भी है कि आप लोहार समाज के कल्याण, उत्थान एवं अनुसूचित जनजाति से वंचित समाज के लिए आवाज बनेंगे व प्रमुखता से बिहार और देश में बात रखें। शिष्टमंडल में भारतीय युवा मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य राजकुमार शर्मा के अलावा भाजपा जिला अनुसूचित जनजाति के अध्यक्ष सुजीत शर्मा, Dr विनोद शर्मा, देविन्द्र शर्मा आदि उपस्थित थे।
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