कवि सम्मेलन सह मुशायरे का आयोजन

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श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):

साहित्यिक संस्था बज्मे इक़बाल उर्दू हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में नगर के दखिन टोला स्थित राजीव मंजिल में गत की विदाई अवगत की शुभकाना पर एक भव्य कवि सम्मेलन सह मुशायरे का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता मशहूर शायर क़मर सिवानी ने किया तथा सभा का संचालन संस्था सचिव होमियोपैथी चिकित्सक डॉ अली असगर सिवानी ने किया उक्त अवसर पर शहर गांव से अनेकों कवि शायर साहित्यकार उपस्थित हुए प्रो जया कुतबी, अल्हाज मास्टर हमीद, प्रो डॉ असरार अहमद,

 

प्रो आर एस पाण्डेय, एडवोकेट राजीवरंजन राजू,युनूस सिवानी, मास्टर अजय कुमार अजीत, सफीर मखदुमी, मुस्ताक सिवानी , परवाना सिवानी राजेश कुमार राजू,एडवोकेट अरशद सिवानी, प्रो प्रेम नाथ उपाध्याय, गणेश सोनी, डॉ एफ ए आजाद, ज़ीनत प्रवीन जोया, रमीज अंसारी देहलवी, अनेकों कवि, शायरों और वक्तओ ने अपने अपने लेखनी से उपस्थित श्रोताओं का दिल मोह लिया, उस्ताद शायर कमर सिवानी ने कहा,

आज़ार को गेसू का ही बदल लिखते रहे
अश्कों को समंदर का बदल लिखते रहे
ता उम्र कमर करते रहे फ़िकरे सुखन
हम खून से पत्थर पे ग़ज़ल लिखते रहे
सफीर मखदुमी की ग़ज़ल भी खूब सराही गई जो नहीं जानता अख्लाक की अजमत क्या है
उसको मालूम नहीं हुस्ने शराफत क्या है
प्रो जया कुतबी की ग़ज़ल नसिहत भरी हुई रही,
आंच आयेगी तुम्हारी अजमते किरदार पर
तुम अमीरे शहर की दहलीज तक जाना नहीं
डॉ अली असगर सिवानी ने खूब बहाबही लूटी,

मौसम हो अगर खुश्क तो बरसात न लिख
जो बात ग़लत हो वह ग़लत बात न लिख
पहचानो मेरे दोस्त अपनी कलम की ताकत
पत्रकार है तू, दिन को कभी रात न लिख
एडवोकेट अरशद सिवानी की पारिवारिक सलाह भी खूब सराही गई
घर न बन जाए जंग का मैदान
भाइयों से कभी लड़ाई न करो
ज़ीनत प्रवीन जोया ने उर्दू की आबरू बचाई
कहते हैं सब एक शीरी ज़ुबान है उर्दू
हमारे मुल्क हिंदुस्तान की शान है उर्दू
अजय कुमार अजीत की भोजपुरी कविता सुन कर श्रोताओं ने खूब सराही

साल बितल पुरानका, नया साल आइल
मन में खुशी भरल, कुछ मधुर याद आइल
वहीं अब्दुल हमीद की भोजपुरी गीत भी मार्मिक रही
दहेज़वा के मार से अबतक ना सहेजलीं बेटी डोली तोहार हो,
जो पसंद की गई
युनूस अंसारी की ग़ज़ल भी पसंद आई
ऐ जिंदगी तू ही बता कैसे तुझे प्यार करूं
तेरी हर सांस मेरी उम्र घटा देती है
मुस्ताक सिवानी की रचना उच्चस्तरीय रही
हर हाल में अफ़लाक से अफ़ज़ल यह जमी है
काबा भी यहीं, गुम्बदे खजरा भी यहीं है
परवाना सिवानी की भोजपुरी गीत भी मार्मिक रही
सांसे से करे पटीदारी हर बात में
भुनूर भुनूर गाली देले खइला पियाला रात में।
इस प्रकार कवि सम्मेलन सह मुशायरे में श्रोताओं ने खूब लुत्फ उठाया अंत में समाजसेवी राजेश जी ने उपस्थित अतिथियों का धन्यवाद अर्पित किया और गत को अलविदा कहते हुए अवगत की शुभकाना व्यक्त किया।

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