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बिहार में शुरू हुई 'बहाली' की राजनीति,क्यों? - श्रीनारद मीडिया

बिहार में शुरू हुई ‘बहाली’ की राजनीति,क्यों?

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नीतीश कुमार फूंक मारकर निकाल देते हैं नियुक्ति पत्र-सुशील मोदी

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार राज्य सरकार बहाली के नाम पर खूब वाहवाही बटोर रही है। उधर भाजपा दस्तावेजों के हवाले से कह रही है कि बहाली के नाम पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार री पैकेजिंग कर रहे हैं। पहले बहाल सरकारी सेवकों को दूसरी बार नियुक्ति पत्र दिया जा रहा है। यह सब राजग में टूट और सरकार के साथ राजद के जुड़ जाने के बाद हो रहा है। क्रम यही बना है, जिस दिन मुख्यमंत्री नियुक्ति पत्र बांटेंगे, शाम तक भाजपा फर्जी बता देगी।

सत्ताधारी दलों का स्थायी जवाब है

वादा करने के बाद भी भाजपा की सरकारें बेरोजगारों को नौकरी नहीं दे रही हैं। महागठबंधन सरकार दे रही है तो भाजपा बौखला गई है। यह सच कि अभी हो रही बहालियों की प्रक्रिया राजग सरकार के समय में ही शुरू हुई थी। इनमें से कुछ विभागों में उसी समय नियुक्ति पत्र दे दिया गया था। नए बहाल कर्मचारी प्रशिक्षण लेकर कार्यस्थल पर तैनात भी हो गए थे। हालांकि, हर मामले में ऐसा नहीं है। वैसे राज्य में कोई भी नियुक्ति निर्धारित समय में पूरी नहीं हो पाती है। सरकारी एजेंसियां बहाली की प्रक्रिया पूरी करती हैं। परिणाम घोषित होने से पहले या परिणाम घोषित होने के बाद मामला हाई कोर्ट में पहुंच जाता है। अभी जिन लोगों को नियुक्ति पत्र दिया जा रहा है, उसकी प्रक्रिया पहले से चल रही है।

सितंबर से बंट रहे नियुक्ति पत्र

राज्य में महागठबंधन सरकार का गठन 10 अगस्त को हुआ। छह सितंबर को अनुसूचित जाति, जनजाति विभाग में 62 लिपिकों को नियुक्ति पत्र दिया गया। 20 सितंबर को 4,325 राजस्व कर्मियों को मुख्यमंत्री के हाथों नियुक्ति पत्र दिया गया। नीतीश सरकार में भाजपा कोटे से राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि 4,325 राजस्व कर्मचारियों को अगस्त के पहले सप्ताह में नौकरी दे दी गई थी। उन्हें जिला भी आवंटित कर दिया गया था।

27 सितंबर को 283 पशु चिकित्सक नियुक्त किए गए। मुख्यमंत्री ने तीन नवंबर को 183 उर्दू अनुवादकों और नौ नवंबर को विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग में विभिन्न पदों के लिए 425 लोगों को नियुक्ति पत्र दिया। 14 नवंबर को जल संसाधन विभाग में एक हजार से अधिक कर्मचारी बहाल हुए। 10 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र देने के लिए गांधी मैदान में 17 नवंबर को मेगा शो का आयोजन किया गया।

क्या कह रहा विपक्ष

विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जिन 10 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र दिया गया। वे सभी पहले से काम कर रहे हैं। पहले से काम कर रहे कर्मी को नियुक्ति नहीं प्रतिनियुक्ति पत्र दिया जा सकता है। सिन्हा के अनुसार पुलिसकर्मियों की बहाली के लिए नवंबर 2020 में विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। शारीरिक दक्षता परीक्षा इस साल फरवरी से अप्रैल के बीच हुई। राजग सरकार के समय ही सभी पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र दे दिया गया था।

राजद का जवाब

राजद के प्रदेश प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि महागठबंधन सरकार बेरोजगार नौजवानों के चेहरे पर मुस्कान और खुशहाली ला रही है। इससे भाजपा नेताओं में बौखलाहट और बेचैनी है। जहां भाजपा नौकरी छीन रही है। नरेंद्र मोदी की सरकार ने आठ वर्षों में 16 करोड रोजगार देने की जगह सिर्फ सात लाख 22 हजार लोगों को नौकरी या रोजगार दिया है।

नीतीश कुमार फूंक मारकर निकाल देते हैं नियुक्ति पत्र-सुशील मोदी

राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कहा कि एनडीए सरकार के समय उर्दू शिक्षक से लेकर दरोगा-सिपाही तक, जिन 10 हजार से ज्यादा लोगों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, उन्हीं को दोबारा नियुक्ति पत्र बांटने की बाजीगरी से नीतीश कुमार बेरोजगारों की आंख में धूल झोंक रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांधी मैदान में कभी गिलास से रुमाल और खाली बर्तन से कबूतर निकालने की बाजीगरी दिखाने वाले मजमा लगाते थे। आज वहीं नीतीश कुमार फूंक मार कर हजारों नियुक्ति पत्र निकाल दे रहे हैं।

जनवरी में ही नियुक्ति पत्र दिए थे एसपी-डीआइजी ने

मोदी ने कहा कि बुधवार को जिन 10,459 लोगों को दरोगा-सिपाही के पद पर नियुक्ति पत्र दिए गए, उन्हें एक साल पहले जनवरी में ही संबंधित जोन के एसपी-डीआइजी नियुक्ति पत्र दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस सेवा के लोग जब बिना प्रशिक्षण पूरा किए पूरी वर्दी नहीं पहन सकते, तब नियुक्ति पत्र लेते समय वे वर्दी में कैसे दिखे? यह पहली बार हुआ।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी प्रसाद यादव को उन नियुक्तियों के पत्र बांट कर श्रेय लेने का कोई नैतिक अधिकार नहीं, जिनकी प्रक्रिया नौ अगस्त को सरकार बदलने से पहले शुरू हो चुकी थी। मोदी ने कहा कि महागठबंधन सरकार की पहली कैबिनेट में पहले दस्तखत से 10 लाख युवाओं को “स्थायी नौकरी” देने का जो वादा किया गया था, उसका समय तो अभी तक शुरू ही नहीं हुआ। क्या वे कैबिनेट की सौ बैठकों के बाद गिनती शुरू करेंगे?

महाठगबंधन सरकार में निकली किसी एक नियुक्ति के बारे में बताएं

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने कहा कि राज्य सरकार नई नौकरियां देने में जीरो और भाजपा काल की नौकरियों का क्रेडिट लेने में हीरो की तरह एक्टिंग कर रही है। उन्होंने बुधवार को जारी बयान में कहा कि नीतीश सरकार पिछले दो महीनों से एनडीए काल की नौकरियों के सहारे, जिस तरह से अपना चेहरा चमकाने की कोशिश कर रही है, उससे साबित होता है कि जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए किसी भी हद को पार कर सकती है।

उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज के बाद अब पुलिसकर्मियों की नियुक्ति, यह सब के सब भाजपा काल के समय ही तय हो गयी थी। इनमें से बहुतों को तो दुबारा नियुक्ति पत्र दिया गया है। आज भी जिन पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र सौंपा गया है, उनमें आधे से अधिक पुलिस कर्मियों की नियुक्ति छह महीने पहले ही हो गई थी।

नियुक्ति रैली करें लालू- नीतीश : सम्राट चौधरी

विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सम्राट चौधरी ने नियुक्ति पत्र बांटने को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कटाक्ष किया है। चौधरी ने कहा कि नीतीश और तेजस्वी की गठजोड़ ने जिस तरीके से नियुक्ति घोटाले का खेल किया है, वो बिहार के लिए अभिशाप है। पुलिस विभाग की ओर से जारी बहाली की प्रति को सार्वजनिक करते हुए कहा कि ये सारी नियुक्तियां एनडीए के कार्यकाल में पूरी हो की गई। प्रमाण आनलाइन है, लेकिन नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की महत्वाकांक्षा ने युवाओं का मजाक बनाकर रख दिया है।चौधरी ने कहा कि लालू- नीतीश फर्जी तरीके से नियुक्ती पत्र बाटना छोड़कर दोनों गांधी मैदान में नियुक्ति रैली करनी चाहिए।

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