Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
बांग्लादेश में लगातार घट रही हिंदुओं की आबादी,क्यों? - श्रीनारद मीडिया

बांग्लादेश में लगातार घट रही हिंदुओं की आबादी,क्यों?

बांग्लादेश में लगातार घट रही हिंदुओं की आबादी,क्यों?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय पर एक बार फिर से हमले तेज होने की खबरें आ रही हैं। मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में इन दिनों एक झूठी अफवाह की आड़ लेकर बांग्लादेश में दुर्गा पूजा पंडालों, मंदिरों और हिंदुओं के घरों पर जैसे भीषण हमले किए गए, उससे यही साबित होता है कि इस देश में बचे-खुचे हिंदू समुदाय के लिए रहना दूभर होता जा रहा है। इस माहौल के बीच बांग्लादेश के सूचना राज्य मंत्री मुराद हसन ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश है जो राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के बनाए 1972 के संविधान की तरफ वापस लौटेगा। बांग्लादेश धार्मिक कट्टपंथियों का अड्डा नहीं बन सकता है।

बांग्लादेश का धर्म इस्लाम नहीं 

मुराद हसन ने कहा कि हमारी रगों में स्वतंत्रता सेनानियों का खून बह रहा है। किसी भी कीमत पर हमें 1972 के संविधान पर वापस लौटना होगा। उन्होंने कहा कि मैं बंगबंधु के संविधान पर वापस लौटने के लिए संसद में बोलूंगा। इस दौरान उन्होंने यहां तक कह दिया कि बांग्लादेश का धर्म इस्लाम नहीं है।

हिन्दुओं पर बधते हमले और घटती आबादी

1971 की जंग के बाद जब बांग्लादेश का जन्म हुआ तो 1974 में जनगणना हुई। उस समय वहां मुस्लिमों की आबादी 86% तो हिंदुओं की आबादी 13.5% हो गई। 2011 में जनगणना हुई थी और उस वक्त के आंकड़ों के हिसाब से अभी वहां 8.5 फीसदी हिंदू बचे हैं। हालांकि दावा किया जाता है कि ये आबादी पर घटकर 6 फीसदी के करीब हो गई है। पिछले 9 साल में हिंदुओं पर 3600 से ज्यादा हमले हुए हैं।

क्या है 1972 का संविधान

बांग्लादेश में 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर एक नया देश बना था। 4 नवंबर 1972 को बांग्लादेश का संविधान बना और उसे धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया। लेकिन 1977 में बांग्लादेश ने संविधान में संशोधन कर खुद को इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर दिया।

बांग्लादेश सरकार से हर किसी की धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए एक नया कानून लागू करने मांग करते हुए देशभर में प्रदर्शनकारियों और विद्वानों ने हिंदू समुदाय पर भीड़ के हमलों और दुर्गा पूजा समारोहों के दौरान मंदिरों व प्रतिमाओं को तोड़े जाने की निंदा की। दुर्गा पूजा समारोहों के दौरान सोशल मीडिया पर कथित तौर पर ईश निंदा करने वाले एक पोस्ट पाये जाने के बाद पिछले बुधवार से बांग्लादेश में हिंदुओं और उनके मंदिरों पर हमले बढ़ गये। रविवार देर रात भीड़ ने बांग्लादेश में हिंदुओं के 66 मकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया और कम से कम 20 मकानों को आग के हवाले कर दिया।

ढाका ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक हिंदू समुदाय पर हमले की निंदा करते हुए प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को छठे दिन देशभर में प्रदर्शन किया। खबर के मुताबिक, विभिन्न कार्यक्रमों में वक्ताओं ने हिंसा को अंजाम देने वालों को न्याय के दायरे में लाने तथा बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए अन्य कदम उठाने की मांग की। ढाका यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ने मंदिरों और दुर्गा पूजा आयोजन स्थलों पर हुए हमले में शामिल लोगों को अनुकरणीय सजा देने की मांग की। उसने हर किसी की धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए एक नया कानून लागू करने का भी सरकार से अनुरोध किया। ढाका विश्वविद्यालय परिसर में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के सैकड़ों शिक्षकों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया और एक मानव श्रृंखला बनाई।

हिंसा की निंदा करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति एम अख्तरूज्जमान ने कहा, ‘‘इस देश का दुर्गा पूजा समारोह पूरी दुनिया के लिए धर्मनिरपेक्षता का एक मॉडल है। यह उत्सव सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला हुआ माना जाता है।हम सरकार से हिंसा को अंजाम देने वालों की फौरन पहचान करने और उन्हें न्याय के दायरे में लाने का अनुरोध करते हैं।

जगन्नाथ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति मिजानुर रहमान ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम देने वाले अक्सर बगैर सजा के रह जाते हैं और इसे रोके जाने की जरूरत है। प्रोग्रेसिव स्टूडेंट अलायंस के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं तथा खुलना यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ने भी हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की निंदा की। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी मंगलवार को शाहबाग में नेशनल म्यूजियम के सामने रैली निकाली।

Leave a Reply

error: Content is protected !!