सुभाष राय की पुस्तक भोजपुरी आलोचना के प्रस्तावना का हुआ विमोचन

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भोजपुरी में आलोचना का मापदंड यह पुस्तक अवश्य तय करेगी- तंग इनायत पुरी

आलोचना के माध्यम से भोजपुरी को उत्कृष्ट करने का कार्य उक्त लेखन में हुआ है- तंग इनायतपुरी

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीवान नगर के राजेंद्र पथ स्थित वर्मा ट्रांसपोर्ट के सभागार में ‘भोजपुरी आलोचना के प्रस्तावना’ लेखक सुभाष राय के पुस्तक का लोकार्पण समारोह साहित्य कला मंच के संरक्षण में शनिवार को किया गया।

नगर के नामचीन शायर तंग इनायत पुरी ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए अपने उद्बोधन में कहा की यह पुस्तक भोजपुरी आलोचना का मापदंड तय करेगी। भोजपुरी की पुस्तक को पढ़ना चाहिए। जिससे हमारी बोली व्यापक होगी। सुभाष राय जी ने पुस्तक में कई पुस्तकों का वृतांत दिया है। भोजपुरी में यह कमी है कि हम केवल फेसबुक पर लिखते हैं और पुस्तकों को कम पढ़ते है। इस प्रकार के कार्यक्रम समाज को सांस्कृतिक रूप से जीवंत बनाए रखते है। भोजपुरी में लेखन करने वालों का मनोबल बढ़ाया जाए। पुस्तक को खरीद कर पढ़ा जाए। सुभाष राय की यह पुस्तक भोजपुरी आलोचना के प्रस्तावना निश्चित ही साहित्य के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।

भोजपुरी के प्रति जन आंदोलन का अभाव है- डॉ. वीरेंद्र नारायण यादव

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रो. वीरेंद्र नारायण यादव ने कहा की भारत अभी तक सांस्कृतिक रूप गुलाम है,उसे स्वतंत्र होने की आवश्यकता है। अपनी बोली-वाणी भोजपुरी के प्रति हमारे समाज में जन आंदोलन का अभाव है। लेखन एक उत्कृष्ठ शैली है जो उस व्यक्तित्व को चरितार्थ करती है। संसार मेल मिलाप व समन्वय से सुन्दर बनेगा। इस प्रकार के आयोजन समाज को सांस्कृतिक रूप से उन्नत करेंगे। शिक्षा का माध्यम लोक भाषा होने से समाज व्यापक, विराट एवं सुंदर बनेगा, यह नई शिक्षा नीति का अहम् विषय है।

आलोचना पर लिखना कठिन विधा है- डॉ. अशोक प्रियंवद
कार्यक्रम में स्थानीय जेड.ए. इस्लामिया महाविद्यालय में हिंदी विभाग के वरीय प्राध्यापक डॉ. अशोक प्रियंवद ने कहा कि भोजपुरी बोली- वाणी की जड़ सभी भाषाओं की तरह पुरानी है। भोजपुरी को लेकर हमारे समाज में चेतना का अभाव है। इसके प्रयोग व व्यवहार को लेकर हम सदैव हिचकते रहते है। भोजपुरी के लिए हुए आंदोलन से हम अपनी बातों को जनमानस तक नहीं पहुंच पाए हैं। सुभाष राय जी ने भोजपुरी में पुस्तक लिखकर साहसिक कार्य किया है। आलोचना पर लिखना कठिन विधा है। उन्होंने उक्त विधा को भोजपुरी बोली-वाणी में सरल शब्दों एवं वाक्य विन्यास के माध्यम से समझाया है। आम जनमानस भाषा की गति तय करती है। भाषा प्रयोग से समृद्ध होती है।

 भोजपुरी अश्लीलता का नहीं सलीलता की बोली है- सुभाष राय


वहीं पुस्तक के लेखक सुभाष राय ने कहा की भाषा को तार्किक ढंग से रखते हुए हमने इसकी सामंजस्यता को सामने रखा है। अंग्रेजी का शिक्षक होने के बावजूद भी मैने अपनी बोली-वाणी का सम्मान करते हुए इसे भोजपुरी में लिखा है। भोजपुरी में मार्मिकता है इसमें अभिव्यक्ति की बेजोड़ क्षमता है। भोजपुरी अश्लीलता का नहीं सलीलता की भाषा है। भोजपुरी आठवीं अनुसूची में शामिल हो, इस कामना के साथ मैंने इस पुस्तक को सुधी पाठकों के लिए प्रस्तुत किया है।

ग़ौरतलब है कि सुभाष राय सीवान जिले के भगवानपुर प्रखंड स्थित महम्मदा पंचायत में स्थित गजियापुर गांव में स्थित मध्य विद्यालय में अंग्रेजी विषय के शिक्षक का कार्य करते हैं।आपकी प्रारम्भिक शिक्षा आपके गांव सठवार से होने बाद आपने दसवीं की परीक्षा भट्ठी गांव के उच्च विद्यालय से की। इसके बाद आप नारायण महाविद्यालय गोरियाकोठी से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण किया। तत्पश्चात सीवान नगर स्थित डीएवी महाविद्यालय से आपने अंग्रेजी विषय में स्नातक प्रतिष्ठा की परीक्षा उत्तीर्ण किया। आगे चलकर आपने नालंदा खुला विश्वविद्यालय पटना से भोजपुरी विषय में स्नातकोत्तर किया है।


जबकि सारण जिले के लाल और पंजाब में गुरू काशी विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में कार्यरत प्रो. विजय शंकर प्रसाद ने कहा की भाषा एवं साहित्य का अनूठा संगम इस पुस्तक में है। अंग्रेजी साहित्य की गूढ़ तथ्यों को लेखक ने सरल ढंग से प्रस्तुत किया है, जो हम सभी भोजपुरी बोली के लिए बड़ा ही सराहनीय कदम है। कार्यक्रम में मंच का संचालन पूर्णिया विश्वविद्यालय में सहायक कुलसचिव डॉ. जितेंद्र वर्मा ने किया जबकि कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी यशवंत कुमार सिंह ने किया। समारोह में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के सहायक प्रो. मुन्ना कुमार शर्मा , विजय शंकर तिवारी , हरेंद्र शर्मा मुँहफट , अमित कुमार यादव सहित कई बुद्धिजीवियों ने अपने विचार रखें।

इससे पहले कार्यक्रम में सर्वप्रथम सभी अतिथियों का स्वागत पादप भेंट देकर किया गया। सभी का स्वागत करते हुए साहित्य कला मंच के अध्यक्ष दिलीप कुमार शर्मा ने किया और उन्होंने अपनी कई कविताओं से सभागार में उपस्थित प्रबुद्ध जन को मंत्रमुग्ध किया। साहित्य कला मंच साहित्य के क्षेत्र में कार्य करने वाली दशकों पुरानी संस्था है जिसे प्रतिष्ठित लेखक, विचारक, चिंतक सूर्यदेव पाठक पराग ने आरंभ किया था। इस अवसर पर नगर के कई विद्वान, लेखक, विचारक, शिक्षक, माताएं एवं बहनें उपस्थित रही।

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