*सीएचएस में ई-लॉटरी के माध्यम से हुई छात्रों के दाखिले की प्रक्रिया, अभिभावकों ने किया विरोघ*
*श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी*
*वाराणसी* / काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मातृ शैक्षणिक संस्थान सेंट्रल हिंदू स्कूल (CHS ) के बच्चों का भविष्य अब भाग्य भरोसे लॉटरी पर निर्धारित होगा। साल 1898 में स्थापित CHS में इस साल भी कोरोना महामारी का हवाला देकर ई-लॉटरी के माध्यम से ही एडमिशन लिया जा रहा है। बुधवार को बीएचयू के कृषि विज्ञान संस्थान में स्थित कृषि शताब्दी प्रेक्षागृह में कक्षा 6 से 9 तक के दाखिले के लिए लॉटरी खोले जाने के साथ ही अभिभावकों ने विरोध शुरू कर दिया। अभिभावकों ने कहा कि अंदर किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है, इसलिए गड़बड़ी की पूरी आशंका है। इसके साथ ही यह प्रक्रिया दोषपूर्ण है और इसे तत्काल रोका जाए।पिछले साल बीएचयू के कई छात्रों और परिजनों द्वारा इस लॉटरी सिस्टम का खुल कर विरोध किया गया था। मगर इस वर्ष भी कोरोना के नाम पर उसी तर्ज पर एडमिशन दिया जा रहा है। अभिभावकों का कहना है कि एक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से मेधावी छात्रों का चयन तो नहीं किया जा सकता। यह सिस्टम दोषपूर्ण है और इसमें यह भी संभावना है कि रसूखदारों के बच्चों का एडमिशन ले लिया जाए।सीएचएस सीबीएसई बोर्ड में बनारस के सभी निजी स्कूलों से बेहतर स्थान रखता है। वहीं इसकी स्थापना भी एनी बेसेंट द्वारा सामाजिक मूल्यों को स्थापित करने के लिए की गई थी। यहां उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, एमपी, छत्तीसगढ़, झारखंड और कई प्रदेशों के बच्चे एडमिशन लेते हैं। मगर लॉटरी सिस्टम पर एडमिशन उन मेधावी बच्चों की मानसिक स्थिति पर बेहद घातक असर कर रहा है।
बीएचयू में कला संकाय के अभिषेक सिंह और मृत्युंजय तिवारी समेत कई छात्रों द्वारा इसका हर स्तर पर विरोध किया गया। मगर, कोरोना का हवाला देकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने दोबारा से यही आसान राह चुन ली।बीएचयू के एक अधिकारी ने कहा कि ई-लॉटरी सिस्टम कंप्यूटर सेंटर द्वारा हाई क्वालिटी का सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ है। जो एडमिशन की प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी बनाता है। कोविड के दौरान विश्वविद्यालय बच्चों की जिेंदगी के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहता। इसलिए स्थिति में जब सुधार होगी तो प्रवेश परीक्षा के माध्यम से ही एडमिशन लिया जाएगा।