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लोहड़ी का उद्देश्य जीवन में खुशियों का संचार व कठिनाइयों को दूर करना है - श्रीनारद मीडिया

लोहड़ी का उद्देश्य जीवन में खुशियों का संचार व कठिनाइयों को दूर करना है

लोहड़ी का उद्देश्य जीवन में खुशियों का संचार व कठिनाइयों को दूर करना है

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लोहड़ी को फसल के उत्सव के रूप में देखा जाता है

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

लोहड़ी एक प्रमुख त्योहार है जो पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है. यह पर्व विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग शाम को अग्नि प्रज्वलित करते हैं और उसकी पूजा करते हुए उसके चारों ओर परिक्रमा करते हैं, साथ ही उसमें तिल और मूंगफली डालते हैं. इस क्रिया का उद्देश्य जीवन में खुशियों का संचार करना और कठिनाइयों को दूर करना होता है. इसके अतिरिक्त, लोहड़ी के अवसर पर लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और संगीत का आयोजन कर गीत गाते हैं. इस पर्व के दौरान लोहड़ी की कथा सुनना भी आवश्यक माना जाता है, क्योंकि इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है.

लोहड़ी की पौराणिक कथा

लोहड़ी से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में मकर संक्रांति की तैयारियों के समय कंस ने भगवान कृष्ण को मारने के लिए एक राक्षस को भेजा. उस समय, भगवान कृष्ण को मारने के लिए कई राक्षस आते रहते थे. मकर संक्रांति से एक दिन पहले, कंस ने लोहिता नामक राक्षस को भेजा, लेकिन भगवान कृष्ण ने उसे खेल-खेल में समाप्त कर दिया. इस घटना के कारण लोहड़ी का पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई.

एक अन्य मान्यता के अनुसार, दक्ष प्रजापति की पुत्री माता सती के योगाग्नि दहन की याद में लोहड़ी की अग्नि प्रज्वलित की जाती है. इसीलिए, लोहड़ी के अवसर पर इस कथा का श्रवण करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.

दुल्ला भट्टी की कथा लोहड़ी के अवसर पर अत्यंत प्रसिद्ध है. दुल्ला भट्टी का जन्म 1547 में पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में हुआ था. वह गरीबों के उद्धारक माने जाते थे, जो अमीरों से धन छीनकर उसे गरीबों में वितरित करते थे. गरीब लोग उन्हें मसीहा के रूप में देखते थे. लोहड़ी से जुड़ी एक और कहानी में, सुंदर दास नामक एक किसान था, जिसकी दो बेटियाँ थीं – सुंदरी और मुंदरी. उन बेटियों के प्रति स्थानीय नंबरदार की नीयत ठीक नहीं थी, और वह उनसे विवाह करना चाहता था.

किसान ने अपनी बेटियों के लिए अपने पसंद के दूल्हे से विवाह कराने की इच्छा व्यक्त की और अपनी सारी समस्याएँ दुल्ला भट्टी को बताई. दुल्ला भट्टी ने लोहड़ी के दिन नंबरदार के खेतों में आग लगाई और सुंदरी और मुंदरी के भाई बनकर उनकी शादी करवाई. इस घटना की स्मृति में लोहड़ी की अग्नि प्रज्वलित की जाती है. कहा जाता है कि बादशाह अकबर के आदेश पर दुल्ला भट्टी को पकड़कर फांसी दी गई थी.

 

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