सोशल मीडिया पर पोस्ट की बमबारी से हकीकत के उड़ रहे चीथड़े!
रहस्यमय युद्ध प्रोपगंडा स्तर पर भी हो रहा है रूस और यूक्रेन के बीच, धरातल पर रूस और सोशल मीडिया पर यूक्रेन हासिल कर रहा फतेह!
पश्चिमी देशों की मीडिया के हवाले से आती खबरें हो रही वायरल, यथार्थ की पड़ताल करके ही खबरों पर विश्वास करना होगा दुनिया को
✍️गणेश दत्त पाठक, स्वतंत्र टिप्पणीकार:
रूस यूक्रेन युद्ध रहस्य की पराकाष्ठा पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। जिसकी हकीकत को जानना एक तिलस्मी प्रश्न बन चुका है। सोशल मीडिया पर आती खबरों पर विश्वास करें तो यूक्रेन की सफलता का चित्र सामने आ रहा है। जबकि दूसरे स्रोत और युद्ध की प्रवृति कुछ और तथ्य ही बयां कर रही है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिमी देशों की अगुवाई वाली सोशल मीडिया यूक्रेन के संदर्भ में ही तथ्यों को वायरल कर रही है।
कुछ वर्षों पहले मीडिया संस्थानों ने खबरों की निष्पक्षता से बनाई थी विशेष पहचान
पहले जब राष्ट्रों के बीच युद्ध हुआ करते थे तो संबंधित राष्ट्रों की मीडिया युद्ध की एक एक घटना का विश्लेषण अपने राष्ट्रीय संदर्भों के परिप्रेक्ष्य में करती आई है। ऐसे में कुछ मीडिया संस्थानों ने अपनी विशिष्ट प्रतिष्ठा खबरों की निरपेक्षता और निष्पक्षता के संदर्भ में हासिल की थी। लेकिन हालिया रूस और यूक्रेन के संदर्भ में प्रोपगंडा युद्ध भी चल रहा है। सोशल मीडिया पर पश्चिमी देशों के विचार के अनुरूप खबरों की बमबारी होती दिख रही है। जिससे हकीकत के चीथड़े उड़ते दिख रहे हैं।
चल रहा प्रोपगेंडा वार भविष्य के लिए बड़े खतरे की घंटी
जिस भारी स्तर पर प्रोपगंडा वार चल रहा है। यह भविष्य के लिए बहुत बड़े खतरे की घंटी है। सोशल मीडिया के दौर में यह प्रोपगंडा वार विश्व जनमत को बेहद नकारात्मक स्तर से प्रभावित करेगा। इससे कई राष्ट्रों की छवि खराब हो सकती है जो वाजिब जंग भी लड़ रहे होंगे। इससे उन राष्ट्रों के राष्ट्रीय और कूटनीतिक हितों को भी भारी नुकसान पहुंच सकता है। भारत के पड़ोसी देशों के व्यवहार को देखते हुए भविष्य में प्रोपगेंडा वार से निबटने के लिए भी आवश्यक तैयारी पर ध्यान देना चाहिए।
पश्चिमी देशों की अगुवाई वाली सोशल मीडिया ने बनाया रूस को खलनायक और यूक्रेन को नायक
हालिया रूस और यूक्रेन विवाद के संदर्भ में देखा जाए तो यूक्रेन के राष्ट्रीय संप्रभुता और आजादी का तर्क उतना ही महत्वपूर्ण है जितना रूस का अपने राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सचेत होने का। क्या अमेरिका के पड़ोस मैक्सिको में किसी विरोधी सैन्य संगठन की उपस्थिति को अमेरिका कभी पसंद कर पायेगा। क्यूबा के प्रति अमेरिका का व्यवहार जग जाहिर है। फिर रूस अपने पड़ोस में भला नाटो जैसे आक्रामक सैन्य संगठन की मौजूदगी को कैसे स्वीकार कर सकता है? गलती दोनों राष्ट्रों की है। थोड़े संयम और थोड़े संवाद से बात बन सकती थी युद्ध की नौबत ही नहीं आती। जंग के लिए जिम्मेदार दोनों राष्ट्रों का राजनीतिक नेतृत्व ही है। फिर भी पश्चिमी देशों की अगुवाई वाली सोशल मीडिया पर रूस की जबरदस्त आलोचना और यूक्रेन की हौंसला आफजाई का दौर चल रहा है।
हकीकत जानना विश्व के हर नागरिक का अधिकार और जनसंचार माध्यमों का दायित्व भी
हालात यहां तक पहुंच जा रहे हैं कि यूक्रेन की राजधानी कीव में पहुंच चुकी रूसी सेना के हारने की बातें भी सोशल मीडिया पर वायरल हो जा रही है। जबकि हकीकत को जानना विश्व के हर नागरिक का अधिकार भी है और जनसंचार के माध्यमों का दायित्व भी। निश्चित तौर पर तकनीक की उन्नति के साथ युद्ध के आयाम भी समय के साथ परिवर्तित होते रहे हैं। साइबर युद्ध, जैविक युद्ध, रासायनिक युद्ध के साथ नवीनतम प्रोपगंडा युद्ध का भी चुनौती अब भविष्य में राष्ट्रों को करना है।
राष्ट्रीय स्वाभिमान को चोटिल करता है प्रोपगेंडा वार
प्रोपगेंडा वार की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि यह राष्ट्र के मनोबल और राष्ट्रीय उत्साह को अंतराष्ट्रीय पटल पर तोड़ता है। विदेशों में रहनेवाले राष्ट्र के समर्थक भ्रम में पड़ जाते हैं। राष्ट्र के तर्कों और तथ्यों को गलत तरीके से सामने रखा जाता है। जिससे राष्ट्रीय छवि को बेहद नुकसान पहुंचाया जाता है। इससे राष्ट्रीय स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है। राष्ट्रीय सेनाओं, आर्थिक परिवेश पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। राष्ट्र को मिलनेवाले अंतराष्ट्रीय समर्थन में भी कमी आती है।
पाकिस्तान और चीन भी प्रोपगेंडा वार के शातिर खिलाड़ी
भारत के संदर्भ में देखे तो उसका पड़ोसी देश पाकिस्तान प्रोपगंडा युद्ध का शातिर खिलाड़ी है। चीन के साथ सीमा विवाद और दक्षिण चीन सागर के ताजा रणनीतिक माहौल भविष्य में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में बड़े खतरे भी है। चीन भी प्रोपगंडा वार का एक माहिर खिलाड़ी है। इसलिए भारत को भी प्रोपगंडा वार से निबटने की तैयारियों को पुख्ता करना चाहिए। विशेषकर सोशल मीडिया पर चलनेवाले प्रोपगेंडा वार के बारे में सतर्कता और सावधानी विशेष तौर पर जरूरी है।
सोशल मीडिया के सकारात्मक तथ्यों ने मानवता की महान सेवा की है तो प्रोपगेंडा वार, फेक न्यूज आदि ने जनसंचार माध्यम की विश्वसनीयता पर प्रश्न भी खड़े किए हैं। प्रोपगेंडा वार भी एक जटिल चुनौती है जिससे निबटने के प्रयास के संदर्भ में सभी राष्ट्रों को मंथन अवश्य करना चाहिए। विश्व के शांति और सुकून के रणनीतिक माहौल को नुकसान पहुंचाने की क्षमता से लैस प्रोपगेंडा पर राष्ट्रों के समन्वित प्रयास ज्यादा कारगर साबित होंगे। यह प्रयास विश्व में शांति और सद्भाव के लिए भी सार्थक साबित होंगे।
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