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तेजी से बढ़ रहे ऑनलाइन बाजार से करोड़ों की रोजी-रोटी को खतरा, बड़ी कंपनियों के आगे कैसे टिकेंगे छोटे कारोबारी - श्रीनारद मीडिया

तेजी से बढ़ रहे ऑनलाइन बाजार से करोड़ों की रोजी-रोटी को खतरा, बड़ी कंपनियों के आगे कैसे टिकेंगे छोटे कारोबारी

तेजी से बढ़ रहे ऑनलाइन बाजार से करोड़ों की रोजी-रोटी को खतरा, बड़ी कंपनियों के आगे कैसे टिकेंगे छोटे कारोबारी

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श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, सीवान (बिहार):

ऑनलाइन शापिग बाजार के मायाजाल ने बाजार की चाल बिगाड़ कर रख दी है। पहले भारत के मेट्रो शहरों, फिर महानगरों और अब ग्रामीण इलाकों में खुद की जड़े मजबूत कर रहे ऑनलाइन शापिग के बढ़ते क्रेज ने स्थानीय खुदरा व्यापारियों की कमर तोड़ कर रख दी है। पिछले कई सालों से फल-फूल रहे ऑनलाइन शापिग कारोबार से भले ही ग्राहक संतुष्ट हो रहे हों लेकिन इसने रिटेल बाजार को काफी प्रभावित किया है। बाजार में लाखों करोड़ों का इन्वेस्टमेंट कर के बैठे दुकानदारों की स्थिति यह है कि कई को खर्चे निकालना मुश्किल हो रहा है। फेस्टिव सीजन में लोगों को बाजार के उठने की उम्मीद रहती है लेकिन अमेजन, फ्लिपकार्ट, मित्रा समेत अन्य कई कंपनियों की ओर से मोबाइल, इलेक्ट्रानिक्स गैजेट्स, गारमेंट्स व जूतों समेत अन्य कई चीजों पर लुभावने ऑफरों की चकाचौंध में खुदरा दुकानदारों की होली पर दीवाला न निकल जाए सबको यही डर सता रहा है।

सस्ता सामान लुभा रहा ग्राहकों को

लोगों के मन में एक धारणा सी बैठ गई है कि बाजार में मिलने वाले सामान की अपेक्षा ऑनलाइन मिलने वाले सामान पर ज्यादा डिस्काउंट मिलता है। प्रतिस्पर्धा के चक्कर में ऑनलाइन कपंनियां ग्राहकों को 50 से 70 फीसद तक की छूट भी देती हैं। इससे ग्राहकों का झुकाव ऑनलाइन बाजार की तरफ बढ़ता जा रहा है। हालांकि कई बार ग्राहक ऑनलाइन शापिग में ठगी का शिकार भी होते रहे और घटिया उत्पादों की आपूर्ति से कई ग्राहकों का मन भी टूटा है।
सबकुछ सिर्फ एक क्लिक पर
घर-घर इंटरनेट की पहुंच के बाद लोगों के हाथों में मौजूद स्मार्ट फोन की एप्लिकेशन स्टोरेज में मौजूद फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे एप्स में मात्र एक क्लिक में ही कपड़ा, जूता, मोबाइल, टीवी, फ्रिज, फर्नीचर यहां तक की हवन सामग्री और गोमूत्र सब कुछ घर की दहलीज पर उपलब्ध हो जा रहा है। बाजार में धक्के खाने के झंझट से मुक्ति का एहसास करते हुए युवा, महिला ग्राहक को यह खरीदारी काफी लुभावनी लगती है। ग्राहकों के इसी व्यवहार को कैश कराने की मंशा से कंपनियां भी लगातार कुछ न कुछ नए ऑफर रोज दे रही हैं।
क्या करना चाहिए
जानकारों के मुताबिक किसी भी सरकार का काम अपने किसानों-व्यापारियों के लिए बाजार और इसके लिए उपयुक्त मंच उपलब्ध कराना है। लेकिन आज जरूरत के अनुसार अपने किसानों-व्यापारियों के लिए ऑनलाइन बाजार के अवसर भी उपलब्ध कराना चाहिए।

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