हेलिकॉप्टर क्रैश जांच की रिपोर्ट रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंप दी गई.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
8 दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलिकॉप्टर क्रैश मामले की जांच रिपोर्ट बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंप दी गई. सरकारी सूत्रों के हवाले से खबर है कि त्रि-सेवा जांच रिपोर्ट ने दुर्घटना के कारणों पर अपने निष्कर्ष दिए हैं. साथ ही वीआईपी उड़ान के लिए भविष्य के हेलीकॉप्टर संचालन के लिए सिफारिशें की हैं
इस दौरान वायुसेना प्रमुख वीआर चौधरी के साथ एयर मार्शल मनविंदर सिंह ने भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की. उन्होंने रक्षा मंत्री को रिपोर्ट के संबंध में संक्षिप्त जानकारी भी दी. गौरतलब है कि इस हेलिकॉप्टर दुर्घटना में देश के पहले सीडीएस जनरल रावत और उनकी पत्नी समेत कुल 14 लोगों की मौत हो गई थी. इस हादसे में एकमात्र जिंदा बजे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने भी एक हफ्ते बाद अस्पताल में दम तोड़ दिया था.
रिपोर्ट में हादसे को लेकर विस्तृत जानकारी दी गई है. इसके अलावा कई महत्वपूर्ण तथ्यों और सिफारिशें को भी शामिल किया गया है. बता दें, कुन्नूर हादसे की जांच तीनों सेना की संयुक्त समिति ने की थी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रूस निर्मित Mi-17V5 पहाड़ियों में उड़ रहा था. उड़ान के दौरान विमान घने बादल में घुस गया था. मौसम काफी खराब था, इस दौरान लो विजिबिलिटी के कारण चालक को दिखाई कम दे रहा था. अंतत: हेलिकॉप्टर एक चट्टान से टकराकर हादसे का शिकार हो गया.
हादसे में शहीद हो गये थे 14 लोग: भारतीय वायु सेना का Mi-17V5 हेलिकॉप्टर बीते साल 8 दिसंबर को हादसे का शिकार हो गया था. इस हादसे में देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी समेत 13 सुरक्षा अधिकारियों शहीद हो गये थे. सभी लोग हेलीकॉप्टर में सवार होकर वेलिंगटन डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज जा रहे थे.
जांच से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जांच समिति ने रूस में निर्मित Mi-17V5 helicopter हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की जांच पहले ही पूरी कर ली थी। पहले सूत्रों ने कहा था कि भारतीय वायु सेना का उक्त हेलिकॉप्टर किसी तकनीकी त्रुटि के कारण हादसे का शिकार नहीं हुआ। हालांकि इस दावे की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। दुर्घटना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की अध्यक्षता एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह ने की।
भारतीय वायु सेना के अधिकारी एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह की अध्यक्षता वाली ट्राई-सर्विस जांच समिति ने हादसे की जांच की। भारतीय नौसेना के एक वरिष्ठ हेलिकॉप्टर पायलट दुर्घटना की जांच का हिस्सा थे और उन्होंने जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जांच समिति ने रक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारियों को ले जाने वाले हेलिकॉप्टरों के संचालन के दौरान मानक संचालन प्रक्रियाओं को संशोधित करने के लिए कुछ सिफारिशें भी की हैं।
दुर्घटना के विवरण को लेकर सूत्रों ने कहा कि Mi-17V5 पहाड़ियों में एक रेलवे लाइन के पास उड़ रहा था, तभी वे अचानक उभरे घने बादल में घुस गए। सूत्रों ने कहा कि हेलिकॉप्टर कम ऊंचाई पर उड़ रहा था और इलाके को जानने के बाद यह जानकारी सामने आ रही है कि बावजूद इसके चालक दल ने विमान उतारने का फैसला नहीं किया। ऐसे में विमान एक चट्टान से टकरा गया।
- ‘मास्टर ग्रीन’ श्रेणी का था चालक दल
सूत्रों के अनुसार चूंकि पूरा चालक दल ‘मास्टर ग्रीन’ श्रेणी का था, ऐसा लगता है कि उन्हें भरोसा था कि वे स्थिति से बाहर निकलने में सक्षम होंगे, क्योंकि आपात स्थिति का सुझाव देने के लिए ग्राउंड स्टेशनों पर कोई कॉल नहीं किया गया। सूत्रों ने कहा कि तीन बलों के परिवहन विमान और हेलीकॉप्टर बेड़े में सर्वश्रेष्ठ पायलटों को ‘मास्टर ग्रीन’ श्रेणी दी जाती है। इन पायलटों को कम दृश्यता में विमान उड़ाने और उतारने में महारत हासिल होती है।इसके अलावा, जांच समिति द्वारा की गई सिफारिशों में कहा गया है कि भविष्य में, चालक दल में मास्टर ग्रीन और अन्य श्रेणी के पायलट होने चाहिए, ताकि यदि आवश्यक हो, तो वे जमीन पर स्टेशन से मदद ले सकें। एयर मार्शल एम सिंह की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने कई अन्य सिफारिशें भी की हैं।
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