विधानसभा अध्यक्ष को दिखाई अंगुली, कहा- ज्यादा व्याकुल मत होइये.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार विधानसभा में जिस तरह की कार्यवाही देखने को मिली, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। भाजपा विधायक और पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने मर्यादा की सभी सीमाएं लांघ दी। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि ‘व्याकुल’ मत होइये। इसपर अध्यक्ष ने मंत्री से अपने शब्द वापस लेने को कहा लेकिन मंत्री नहीं माने। ऐसे में अध्यक्ष सदन से बाहर चले गए और फिर बड़े नेताओं ने हस्तक्षेप करना शुरू किया।
विधानसभा के इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा
बिहार विधानसभा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब विधानसभा अध्यक्ष और मंत्री के बीच इस तरह का विवाद देखने को मिला और फिर सदन को स्थगित कर दिया गया। दूसरी बार जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा अध्यक्ष की कुर्सी पर नहीं आए। उनके स्थान पर जदयू विधायक नरेंद्र नारायण यादव ने सदन की शुरुआत की। हालांकि कुछ ही सेकंड में सदन को फिर से स्थगित कर दिया गया।
अध्यक्ष ने स्थगित किया सदन
विधानसभा अध्यक्ष ने पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि आपके विभाग के सभी प्रश्नों का उत्तर ऑनलाइन नहीं आता है। इसपर मंत्री ने कहा कि 16 में से 14 प्रश्नों के उत्तर ऑनलाइन हैं। विधानसभा स्पीकर ने कहा कि केवल 11 प्रश्नों के उत्तर ऑनलाइन आए हैं। इसपर चौधरी ने कहा कि ज्यादा व्याकुल होने की जरूरत नहीं है। विधानसभा अध्यक्ष ने मंत्री से शब्द वापस लेने को कहा लेकिन मंत्री तैयार नहीं हुए। उन्होंने अध्यक्ष को अंगुली दिखाते हुए कहा कि आप ऐसे निर्देश नहीं दे सकते, आप ऐसे सदन नहीं चला सकते। इसके बाद स्पीकर ने कार्यवाही को तुरंत स्थगित कर दिया।
तेजस्वी बोले- मंत्री सदन की गरिमा की महत्ता को तार-तार कर रहे हैं
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा, ‘मर्माहत हूं। बिहार में सत्ता पक्ष और मंत्री सदन की गरिमा और आसन की महत्ता को तार-तार कर रहे हैं। सरकार के एक भाजपाई मंत्री अध्यक्ष महोदय की तरफ़ उंगली उठाकर कह रहे है कि व्याकुल मत होइये। ऐसे सदन नहीं चलेगा। कैसे-कैसे लोग मंत्री बन गए है जिन्हें लोकतांत्रिक मर्यादाओं का ज्ञान नहीं?’
बिहार विधानसभा में अध्यक्ष से हुई नोक-झोंक और हंगामे के बाद पंचायतीराज मंत्री सम्राट चौधरी ने अपने कथन पर खेद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आसन के सम्मान को ठेस पहुंचाने की उनकी कोई मंशा नहीं थी। वहीं संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि मंत्री परिषद के एक सदस्य के बयान से आसन के सम्मान को ठेस पहुंची है। ऐसा भविष्य में नहीं होना चाहिए। सरकार की ऐसी मंशा कभी नहीं है। कहा कि संबंधित मंत्री को भी इस घटना पर दुख है।
क्या बोले थे पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी :
बुधवार को जैसे ही पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी विधायक विनय बिहारी के सवाल का जवाब देने के लिए खड़े हुए तो विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें टोक दिया। विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने सम्राट चौधरी को कहा कि उनके विभाग से ऑनलाइन जवाब पूरे दाखिल नहीं हुए हैं। मंत्री ने कहां कि उन्होंने 16 में से 14 सवालों के जवाब दे दिए हैं। अध्यक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि उनके विभाग से सुबह 9 बजे तक 16 में से 11 जवाब ही आए थे जो कि 69 फीसदी हैं। विधानसभा अध्यक्ष का जबाव सुनकर मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि व्याकुल नहीं होना है, आप दिखवा लीजिए। फिर सभाध्यक्ष ने व्याकुल शब्द को वापस लेने की बात कही तो मंत्री बोले कि ऐसे सदन नहीं चलेगा, व्याकुल होने की जरूरत नहीं है। इस पर सभाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित कर दी। 12 बजे भी जब सदन की कार्यवाही शुरू करने विधानसभा अध्यक्ष नहीं आए। सभापति नरेंद्र नारायण यादव ने कार्यवाही शुरू की।
विपक्ष ने घेरा :
बिहार विधानसभा में सम्राट चौधरी और विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के बीच तीखी नोंक-झोंक पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा, ‘मर्माहत हूं। बिहार में सत्ता पक्ष और मंत्री सदन की गरिमा और आसन की महत्ता को तार-तार कर रहे है। सरकार के एक भाजपाई मंत्री अध्यक्ष महोदय की तरफ़ उंगली उठाकर कह रहे है कि व्याकुल मत होईए। ऐसे सदन नहीं चलेगा। कैसे-कैसे लोग मंत्री बन गए है जिन्हें लोकतांत्रिक मर्यादाओं का ज्ञान नहीं?’ राजद विधायक राहुल तिवारी ने कहा, ‘सम्राट चौधरी को विधानसभा अध्यक्ष से माफी मांगनी चाहिए और उन्हें मंत्री पद से हटाना चाहिए। साथ ही सम्राट चौधरी की सदस्यता भी समाप्त कर देनी चाहिए। विधायक-विधायक में तू-तू मैं-मैं हो तो समझ आता है। लेकिन अध्यक्ष से तू-तू मैं-मैं सही नहीं है यह गलत है। पद की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए।’