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UPSC में बिहार का नाम रोशन करने वाले की बेमिसाल है कहानी. - श्रीनारद मीडिया

UPSC में बिहार का नाम रोशन करने वाले की बेमिसाल है कहानी.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सर्विसेज (UPSC) की परीक्षा में बिहारियों ने एक बार फिर अपना जलवा दिखा दिया है।

मधेपुरा के नितेश जैन हैं हार न मानने और जिद ठानकर सफलता पाने की मिसाल

मधेपुरा के उदाकिशुनगंज अनुमंडल अंतर्गत पुरैनी निवासी IRS अधिकारी नितेश कुमार जैन ने इस बार UPSC की परीक्षा में 22वां रैंक लाकर नाम रौशन किया है। इससे पहले भी उन्होंने 2018-19 में 96वां रैंक पाया था, लेकिन संतुष्ट नहीं थे। इस बार 22वां रैंक आने से नितेश के घर में खुशियों का माहौल है।

नितेश के पिता कपड़ा व्यवसायी हैं। पुरैनी बाजार में उनकी कपड़े की दुकान है। नितेश की बहन खुशी जैन और मौसम जैन इंजीनियरिंग और भाई योगेश जैन बीकॉम कर रहे हैं। उनके पुरैनी बाजार स्थित घर पर लोगों और सगे संबंधियों का बधाई देने वालों का तांता लगा है। फोन पर भी लोग बधाई और शुभकामनाएं दे रहे हैं।

नितेश ने 2008 में श्री वासुदेव उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, नयाटोला से मैट्रिक की परीक्षा पास कर कोलकाता के श्रीजैन विद्यालय, कोलकाता में इंटर किया। कोलकाता के मशहूर सेंट जेवियर्स कॉलेज से बीकॉम किया। 2013 में CMA और 2014 में CA की परीक्षा में पहले ही प्रयास में सफलता प्राप्त किया। फिर UPSC की तैयारी करने का मन बनाया। पहली बार 2015 में शामिल हुए, जिसमें प्रारंभिक परीक्षा भी पास न कर सके। दूसरी बार 2016 में साक्षात्कार तक पहुंचे, लेकिन सफलता न मिली। तीसरी बार 2017 में पुन: प्रारंभिक परीक्षा भी पास न कर सके। नितेश ने असफलता से हार माने बिना हौसला बरकरार रखा और पूरे जोश के साथ 2018 की UPSC परीक्षा में शामिल हुए। इसमें उन्हें 96 वां रैंक आया था।

समस्तीपुर से हैं टॉप-10 में शामिल तीसरे बिहारी समेत तीन सफल कैंडिडेट

समस्तीपुर के तीन युवकों ने UPSC की अंतिम परीक्षा में सफल होकर जिला का नाम पूरे देश में रौशन किया है। इसमें सत्यम गांधी को 10वां, प्रशांत किरण को 144वां व अल्तमस गाजी को 282वां स्थान मिला है। पूसा प्रखंड के दिघरा गांव निवासी अखिलेश कुमार के पुत्र सत्यम गांधी ने पहली बार में ही UPSC की परीक्षा पास की हैं। सत्यम ने अपनी शुरुआती पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय, पूसा से की है।

सत्यम के परिवार वालों का कहना है- ‘केंद्रीय विद्यालय से 12वीं पास करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह कॉलेज से राजनीति शास्त्र से 2020 में स्नातक किया।’ सत्यम के पिता केंद्रीय कृषि विवि, पूसा के पौधा रोग एवं सूत्र कृमि विभाग में वरीय तकनीकी सहायक के पद पर कार्यरत हैं। उनकी मां गृहिणी हैं। छोटा भाई शिवम गांधी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, चंडीगढ़ से बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन की पढ़ाई कर रहा है। इस उपलब्धि पर सत्यम के दादा सच्चिदानंद राय, पिता अखिलेश कुमार, मां मंजू देवी, छोटा भाई शिवम गांधी के साथ-साथ ग्रामीण काफी खुश हैं।

समस्तीपुर के ही प्रशांत किरण ने UPSC की अंतिम परीक्षा में 144वां स्थान प्राप्त किया है। वहीं, शहर के न्यू काॅलोनी निवासी और RSB इंटर महाविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक इम्तेयाज अहमद के इकलौते पुत्र अल्तमस गाजी को 282वां रैंक मिला है। अल्तमस गाजी ने सीपीएस स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने चाचा इरशाद अहमद, माता समीना खातून, बहन फलक नूर सहित अपने साथियों को दिया है।

बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने अपनी इसी साइकिल से जाते हैं मनीष।
बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने अपनी इसी साइकिल से जाते हैं मनीष।

सहरसा के मनीष हैं संघर्ष की मिसाल, मिला है 581वां रैंक

सफलता के लिए एकमात्र उपाय मेहनत व लगन है, इसको सहरसा के मनीष ने सिद्ध कर दिया है। बेहद साधारण परिवार से आने वाले मनीष के पिता मुसाफिर सिंह दवा दुकान में सेल्समैन की नौकरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। 2010 में अचानक उनके निधन के बाद पूरे परिवार के भरण-पोषण का दायित्व मनीष पर आ गया। छोटी उम्र से उन्होंने प्राइवेट ट्यूशन कर परिवार को संभाला और अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। कोविड काल में UPSC की तैयारी शुरू की और पहले प्रयास में ही सफलता प्राप्त करते हुए 581वां रैंक हासिल किया।

मनीष ने सहरसा के न्यू कॉलोनी स्थित मध्य विद्यालय से 8वीं और जिला स्कूल से 10वीं पास किया। रामकुमार सिंह महाविद्यालय से 2013 में स्नातक किया। फिर अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए परिवारिक दायित्व का निर्वहन करते रहे। मनीष के छोटे भाई अनिष भी BPSC की तैयारी कर रहे हैं। बहन मनीषा कुमारी की तीन महीने पहले ही शादी की है।

आर्थिक तंगी से जूझते हुए मनीष ने न सिर्फ अपनी मंजिल हासिल की, बल्कि कोशी का नाम भी रौशन किया। मनीष ने हिंदी माध्यम से इतिहास को वैकल्पिक विषय रख UPSC की तैयारी की थी। ऑनलाइन रिसोर्सेज का इस्तेमाल किया। कहा कि मजबूत इच्छाशक्ति हो तो मंजिल मिल ही जाती है। अपनी सफलता से खुश होने के बावजूद कहा कि तैयारी अभी भी जारी है। लक्ष्य IAS या IPS रैंक हासिल करना है।

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