सुप्रीम कोर्ट ने गठित की टास्क फोर्स, ऑक्सीजन की उपलब्धता व भविष्य की चुनौतियों पर होगा काम.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सुप्रीम कोर्ट द्वारा देश भर में वैज्ञानिक, तर्कसंगत और न्यायसंगत आधार पर चिकित्सा ऑक्सीजन की उपलब्धता और वितरण को लेकर 12-सदस्यीय नेशन टास्क फोर्स का गठन किया गया है। यह टास्क फोर्स देश में ऑक्सीजन के आवंटन सहित जरूरी दवाओं की उपलब्धता और कोविड से निपटने की भविष्य की तैयारियों पर भी सुझाव देगा। बता दें कि शीर्ष अदालत द्वारा शुक्रवार को टास्क फोर्स का गठन करने का आदेश दिया गया था, जब ऑक्सीजन को लेकर केंद्र के आवंटन के कार्यों में बेहतरी की आवाज उठाई गई थी। अदालत ने कहा कि केंद्र एंबुलेंस, निचले स्तर के कोविड केयर सुविधाओं और होम क्वारंटाइन में रोगियों पर ध्यान देने में विफल रहा है।
टास्क फोर्स के गठन के पीछे एक मुख्य कारण सुप्रीम कोर्ट को ऑक्सीजन की जरूरत और डिस्ट्रीब्यूशन और कितने मरीजों को ऑक्सीजन रिकमंड की जा रही है, ऐसे कुछ सवालों पर सटीक रिपोर्ट भी चाहिए। बता दें कि देश में कोरोना की दूसरी लहर से हाहाकार मचा हुआ है। मरीज ऑक्सीजन, दवाएं व अस्पतालों में प्रवेश के लिए दरबदर भटक रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, टास्क फोर्स में दस प्रसिद्ध डॉक्टर समेत कैबिनेट सेक्रेट्री या उनकी तरफ से मनोनीत अधिकारी संयोजक भी शामिल होंगे। साथ ही स्वास्थ्य सचिव भी इसके एक सदस्य होंगे। टास्क फोर्स का नेतृत्व पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ भबतोष विश्वास द्वारा किया जाएगा।
इसमें डॉ नरेश त्रेहन (गुड़गांव के मेदांता हॉस्पिटल एंड हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर) और दिल्ली के सर गंगा राम हॉस्पिटल, वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, बेंगलुरु के नारायण हेल्थकेयर और मुंबई के फोर्टिस हॉस्पिटल के प्रमुख डॉक्टर शामिल होंगे।
बता दें कि बीते दिन सुप्रीम कोर्ट में कुछ राज्यों की तरफ से दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर सुनवाई की गई, जिसमें केंद्र से मांग की जा रही थी कि जल्द से जल्द ऑक्सीजन मुहैया कराई जाए। इसमें केंद्र को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि ऐसे हालात न पैदा करे कि हमें सख्त रुख अपनाना पड़े।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान विभिन्न अस्पतालों में हो रही ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को 12 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया है। जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच द्वारा बनाई गई इस नेशनल टास्क फोर्स का काम पूरे देश में ऑक्सीजन का मूल्यांकन करने, जरूरत देखना और उसका आवंटन करना होगा। टास्क फोर्स में देशभर के नामी-गिरामी अस्पतालों के प्रमुख डॉक्टरों को शामिल किया गया है। कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक दवाओं, मैनपावर और चिकित्सा देखभाल के मुद्दों पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर एक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया भी प्रदान करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने जिस नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है, उसमें शामिल 12 सदस्यों के नाम- वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. भाभातोश बिस्वास, दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल के चेयरपर्सन डॉ. देवेंद्र सिंह राणा, नारायणा हेल्थ केयर के चेयरपर्सन डॉ. देवीशेट्टी, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (वेल्लोर) के प्रोफेसर डॉ. गगनदीप कांग, डॉ. जेवी पीटर, मेदांता अस्पताल के चेयरपर्सन डॉ. नरेश त्रेहन, फोर्टिस अस्पताल के डॉ. राहुल पंडित, सर गंगाराम अस्पताल के डॉ. सौमित्र रावत, इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायलरी साइंस (दिल्ली) के डॉ. शिव कुमार, मुंबई स्थित ब्रीच कैंडी अस्पताल के डॉ. जरीर एफ., केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव और नेशनल टास्क फोर्स के संयोजक जोकि सरकार में कैबिनेट सचिव स्तर का अधिकारी होगा- हैं।
पिछले कई दिनों से देश के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी देखी जा रही है। इस वजह से विभिन्न राज्यों के हाई कोर्ट्स से लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। पटना, इलाहाबाद, दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑक्सीजन संकट को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को फटकार भी लगा चुका है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी पिछले दिनों सुनवाई के समय केंद्र को फटकार लगाई थी और दिल्ली को 700 मैट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई रोजाना देने के लिए कहा था।
कोर्ट ने कहा कि केंद्र को 700 मैट्रिक टन ऑक्सीजन की यह सप्लाई तब तक जारी रखनी होगी, जब तक कि आदेश की समीक्षा नहीं की जाती है या कोई बदलाव नहीं होता। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नसीहत देते हुए पिछले दिनों कहा था कि आप हमें कड़े फैसले के लिए मजबूर न करें। कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि कुछ भी छिपाने के लिए नहीं है तो फिर सरकार आगे आकर देश को यह बताना चाहिए कि किस तरह से केंद्र सरकार की ओर से ऑक्सीजन का आवंटन किया जा रहा है।
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