अति पिछड़ा आयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किया बिहार सरकार से जवाब तलब
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में नगर निकाय चुनाव पर एक बार फिर बड़ा ग्रहण लग गया है. नगर निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण के लिए रिपोर्ट तैयार करने वाले बिहार राज्य अति पिछड़ा वर्ग आयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. ऐसे में नगर निकाय चुनाव में फिर पेंच फंस गया है. इस संबंध में भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक ट्वीट की है.
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अति पिछड़ा आयोग को डेडिकेटेड कमीशन पर रोक लगा दी है. भाजपा पहले से कह रही थी कि नया कमीशन बनाइए, परंतु नीतीश कुमार अपनी ज़िद पर अड़े रहे. फिर एक बार नीतीश कुमार का अति पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर हो गया.
हाई कोर्ट केआदेश के बाद रद्द हुई थी चुनाव प्रक्रिया
पटना हाईकोर्ट ने कहा था कि बिहार सरकार ने निकाय चुनाव में पिछड़ों को आऱक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन नहीं किया है. कोर्ट ने पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य सीट करार देकर चुनाव कराने को कहा था. जिसके बाद सरकार ने पिछले चार अक्टूबर को पूरी चुनावी प्रक्रिया रद्द कर दी थी. साथ ही सरकार ने घोषणा की कि पिछड़ों पर रिसर्च कराया जायेगा. इस आय़ोग की रिपोर्ट के आधार पर चुनाव में पिछड़ों के लिए आरक्षण तय किया जायेगा. बिहार के अति पिछड़ा वर्ग आयोग को इसका जिम्मा सौंपा गया. पटना हाईकोर्ट ने इसकी मंजूरी दे दी.
सुप्रीम कोर्ट में फंस गया पेंच
चुनाव पर फंस गया है पेंच
सुप्रीम कोर्ट ने साफ साफ आदेश दे रखा है कि स्थानीय निकाय चुनाव में राज्य सरकार पिछड़े वर्ग को तभी आरक्षण दे सकती है जब वह ट्रिपल टेस्ट कराये. कोई भी राज्य सरकार बिना ट्रिपल टेस्ट कराये हुए ओबीसी वर्ग को स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण नहीं दे सकती है. ट्रिपल टेस्ट वाले अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने डेडिकेटेड आयोग बनाने को कहा था.
बिहार सरकार ने अति पिछड़ा वर्ग आय़ोग को ये काम सौंप दिया. अब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि अति पिछड़ा वर्ग आयोग डेडिकेटेड आयोग नहीं है. हालांकि राज्य सरकार को चार सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट में जवाब देना है. अगर सुप्रीम कोर्ट उसकी दलीलों से संतुष्ट होता है तो फिर चुनाव का रास्ता साफ हो सकता है. लेकिन फिलहाल तो मामला लटक गया है.