राजद्रोह कानून की व्याख्या की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह विशेषकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया के अधिकारों के संदर्भ में राजद्रोह कानून की व्याख्या की समीक्षा करेगा। अदालत ने कथित राजद्रोह को लेकर दो तेलुगू समाचार चैनलों टीवी 5 और एबीएन आंध्रज्योति के खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई पर सोमवार को रोक लगा दी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के बागी सांसद के. रघुराम कृष्ण राजू के ‘आपत्तिजनक’ भाषण प्रसारित करने के कारण आंध्र प्रदेश पुलिस ने दोनों चैनलों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया है।

आंध्र प्रदेश के दो समाचार चैनलों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर लगाई रोक

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एस. रवींद्र भट की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने कहा, ‘हमारा मानना है कि भारतीय दंड संहिता के प्रविधानों – 124ए (राजद्रोह) और 153 (विभिन्न वर्गो के बीच कटुता को बढ़ावा देना) की व्याख्या की जरूरत है, खासकर प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर।’ पीठ ने चैनलों की याचिकाओं पर राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। इन चैनलों के खिलाफ राजद्रोह सहित विभिन्न अपराधों के आरोप लगाए गए हैं।

दोनों मीडिया हाउसों ने आंध्र प्रदेश में राजद्रोह के मामले में अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद करने का अनुरोध करते हुए हाल में शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। एक मीडिया हाउस ने दावा किया कि यह प्रयास राज्य में समाचार चैनलों को डराने का प्रयास है, ताकि वे सरकार की आलोचना वाली सामग्री दिखाने से बचें।

टीवी 5 समाचार चैनल की स्वामी श्रेया ब्राडकास्टिंग प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि राज्य ऐसी भ्रामक प्राथमिकी दर्ज करके और कानून का दुरुपयोग कर अपने आलोचकों और मीडिया का मुंह बंद करना चाहता है।टीवी चैनलों के खिलाफ प्राथमिकी का संबंध सांसद राजू के विरुद्ध दर्ज राजद्रोह मामले से है जिन्हें आंध्र प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने उन्हें जमानत दे दी है। चैनलों का दावा है कि यह प्राथमिकी राजू के बयान दिखाने के कारण दर्ज की गई है जो अपनी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के आलोचक रहे हैं।

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