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पर्यटन दिवस का थीम है ‘पर्यटन और नौकरी: सभी के लिए एक बेहतर भविष्य’।

पर्यटन दिवस का थीम है ‘पर्यटन और नौकरी: सभी के लिए एक बेहतर भविष्य’।

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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विश्व पर्यटन दिवस

घूमना-फिरना, नई-नई जगहों पर जाना, नई-नई जगहों को देखना और इन जगहों से यादें बटोरकर लाना, भला किसे अच्छा नहीं लगता? लोग चाहें कितने भी व्यस्त क्यों न हो, लेकिन अपने इस बिजी शेड्यूल से वो घूमने का समय जरूर निकालते हैं। बस अंतर इतना है कि कोई अपने दोस्तों संग ट्रैवल करना पसंद करता है, तो कोई अपने परिवार संग ट्रिप प्लान करता है। लेकिन घूमने लगभग सभी लोग समय-समय पर जाते हैं।

इस्तांबुल  टर्की में अक्टूबर 1997 को बारहवीं UNWTO महासभा ने यह फैसला लिया  कि प्रत्येक वर्ष संगठन के किसी एक देश को हम विश्व पर्यटन दिवस मनाने के लिए सहयोगी रख सकते हैं इसी परिकल्पना में विश्व पर्यटन दिवस वर्ष 2006 में यूरोप में 2007 में साउथ एशिया में 2008 में अमेरिका में 2009 में अफ्रीका में तथा 2011 में मध्य पूर्व क्षेत्र यह देशों में मनाया गया। वर्ष 2013 में इस कार्यक्रम का विषय पर्यटन और पानी, हमारे साझे भविष्य की रक्षा था और 2014 में पर्यटन और सामुदायिक विकास।

द लेट इग्नेशियस अमदुवा अतिगबी  नामक एक नाइजीरिया के राष्ट्र ने यह विचार दिया कि प्रत्येक वर्ष 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाए और वर्ष 2009 में उनके अभूतपूर्व योगदान को देखते हुए इसे सहर्ष स्वीकार भी कर लिया गया।

ये है विश्व पर्यटन दिवस मनाने का उद्देश्य
दरअसल, इस दिन को मनाने का सीधा सा एक उद्देश्य है और वो है पर्यटन के जरिए लोगों के लिए रोजगार पैदा करना। जब किसी जगह पर लोग घूमने जाएंगे, तो वहां ठहरेंगे, नई-नई जगहों पर घूमेंगे, अपने लिए खरीदारी करेंगे, खानपान करेंगे आदि। ऐसे में वहां इन सुविधाओं को पूरा करने के लिए लोगों की जरूरत पड़ेगी, जिससे रोजगार के मौके पैदा होंगे।

भारत में पर्यटन पिछले कुछ दशकों में तेजी उभरता उद्योग बना है। केवल रोजगार के रूप में ही नहीं, घूमने फिरने का लुत्फ लेने, नई जगहों को एक्सप्लोर करने और लगभग हर छुट्टी का आनंद लेने के रूप में भी। पहले जहां लोग कभी कभार अपने शहर या गांव से बाहर की यात्रा पर जाते थे, वो भी विशेषकर तीर्थयात्रा के लिए, आजकल हर छोटी- बड़ी छुट्टी पर लोग सपरिवार या दोस्तों के साथ घूमने चल देते हैं। इस ट्रेंड पर कोरोना महामारी ने काफी लंबे समय तक रोक लगाये रखी। यही कारण था कि जैसे ही लॉकडाउन हटा, लोगों की भीड़ टूरिस्ट्स स्पॉट्स पर दिखाई देने लगी।

स्थिति ऐसी हो गई कि टूरिस्ट्स की वजह से कई ऐसी जगहों पर कोरोना संक्रमण बढ़ गया जहां केसेस थे ही नहीं या न के बराबर थे। इस टूरिज्म को ‘रिवेंज टूरिज्म’का नाम भी दिया गया। फिलहाल, कोरोना की दूसरी लहर के बाद तीसरी लहर और उससे होने वाले नुकसान को लेकर चर्चाएं जारी हैं। इसी बीच त्योहारों की लंबी छुट्टियां आएंगी और लोग फिर घूमने- फिरने का प्लान बनाएंगे। अब टूरिज्म एक उद्योग भी है इसलिए इसका चलते रहना भी जरूरी है। तो यात्राओं को बंद तो नहीं किया जा सकता। ऐसे में किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है

बड़ा उद्योग है टूरिज्म
विश्व टूरिज्म डे की इस वर्ष की थीम है ‘टूरिज्म फॉर इनक्लूसिव ग्रोथ’ यानी सबकी सम्मिलित वृद्धि। जाहिर है क्योंकि टूरिज्म उद्योग दुनिया भर में रोजगार बढ़ाने और इकोनॉमी को ऊंचा उठाने का जरिया है। कई देश तो पूरी तरह इस पर ही निर्भर हैं। इसलिए जरूरी है कि इस उद्योग को जीवंत रखा जाए। कोरोना के चलते पहले ही दुनियाभर में इस उद्योग को बहुत नुकसान उठाना पड़ा है। अब लॉकडाउन हटने के बाद एक बार फिर इस उद्योग को राहत मिलना शुरू हुई है।

ध्यान रखें और फिर करें यात्रा

कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है। इसलिए लोगों के मन में डर भी है। इस डर को हटा कर यात्रा की जा सकती है, यदि आप बाकी सावधानियां और नियम ध्यान में रखते हैं तो। इसलिए इन बातों पर गौर जरूर करें-

* सबसे पहली चीज है वैक्सीनेशन। विदेश जाने वाले लोगों से लेकर भारत में भी विभिन्न जगहों पर घूमने वाले लोगों तक हर व्यक्ति के लिए वैक्सीन के दोनों डोज़ बहुत बड़ी राहत हो सकते हैं। कई जगह तो इसके बिना प्रवेश ही सम्भव नहीं है। इसलिये वैक्सीन लगवाकर ही यात्रा का प्लान बनाएं। ध्यान रखें कि आपकी यात्रा वैक्सीन के तुरन्त बाद न हो। कम से कम 15 दिन बाद यात्रा करें।

अगर सिर्फ बोरियत खत्म करना और परिवार या मित्रों के साथ समय बिताना ही आपकी प्राथमिकता है तो कोशिश करें कि घर से ज्यादा दूर जाने की बजाय आस-पास ही घूमने जाएं।

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