Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
लोहड़ी की परंपरा है ख़ास,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

लोहड़ी की परंपरा है ख़ास,कैसे?

लोहड़ी की परंपरा है ख़ास,कैसे?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी मनाया जाता है। यह सिख समुदाय के लोगों का खास पर्व है। इस साल 13 जनवरी 2025 को लोहड़ी मनाई जाएगी। लोहड़ी के दिन शाम को अग्नि जलाकर उसकी परिक्रमा की जाती है और अलाव में मूंगफली, रेवड़ी, खील, तिल के लड्डू इत्यादि डालते हैं। लोहड़ी का पर्व रबी की फसल पकने की खुशी में मनाया जाता है।

नवविवाहित जोड़े के बीच शादी के बाद अपनी पहली लोहड़ी को लेकर काफी उत्साह का माहौल रहता है। इस मौके पर दूल्हा और दुल्हन सज-धज कर लोहड़ी की पवित्र अग्नि के सामने फेरे लेते हैं और परिवार के सदस्यों के साथ एकत्रित होकर बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ लोहड़ी मनाते हैं। यह परंपरा बहुत लंबे समय से चली आ रही है।आइए जानते हैं नवविवाहित जोड़े के लिए पहली लोहड़ी क्यों खास होती है और कुछ नियम…

लोहड़ी की परंपरा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, लोहड़ी से जुड़ी परंपरा का संबंध भगवान भोलेनाथ और देवी पार्वती से है। मान्यताओं के अनुसार, देवी पार्वती अपने पूर्वजन्म में दक्ष प्रजापति की पुत्री सती हुई और पिता के मर्जी के विरूद्ध जाकर भगवान भोलेनाथ से विवाह किया, जिसे प्रजापति दक्ष नाराज हो गए थे और उन्होंने शिवजी और अपनी पुत्री सती को त्याग दिया था। एक बार प्रजापति दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया। सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया लेकिन शिवजी और माता सती को आमंत्रण नहीं दिया।

शिवजी के मना करने के बावजूद वह अपने पिता के द्वारा आयोजित यज्ञ में शामिल होने चली गईं।देवी सती को देखकर पिता दक्ष ने शिवजी और सती माता का खूब अपमान किया। इससे दुखी होकर देवी यज्ञ कुंड में कूद गई। इसके बाद भगवान भोलेनाथ ने प्रलय मचा दिया। बाद में प्रजापति दक्ष को अपने गलती का एहसास हुआ और उन्हें अपने पुत्री के अपमान और भष्म होने का बड़ा दुख हुआ। अगले जन्म में जब देवी सती पार्वती बनी और भगवान शिव के साथ उनका विवाह संपन्न हुआ, तब लोहड़ी के मौके पर प्रजापति दक्ष ने उपहार भेजकर अपनी भूल का प्रायश्चित किया। मान्यता है कि उस दिन से ही लोहड़ी के दिन नवविवाहित कन्या के मायके से उपहार भेजने की परंपरा शुरू हो गई। यह भी मान्यता है कि लोहड़ी की आग सेंकने से नवविवाहित जोड़े को नजर दोष नहीं लगता है।

लोहड़ी के दिन इन बातों का रखें ध्यान

नवविवाहित जोड़े को शादी के बाद पहली लोहड़ी के दिन नए और रंग-बिरंगे कपड़े पहनना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। इस दिन महिलाओं को नए कपड़े, ज्वेलरी और हाथों मेहंदी लगाकर तैयार होना चाहिए।

लोहड़ी के दिन नए मैरिड कपल्स को अपने घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना नहीं भूलना चाहिए। मान्यता है कि इससे वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और प्रेम-संबंधों में मधुरता बनी रहती है।

लोहड़ी के पर्व पर नई दुल्हन और दूल्हे को अग्नि जलाकर उसकी परिक्रमा करनी चाहिए और अग्नि में गुड़, रेवड़ी, मूंगफली, तिल के लड्डू इत्यादि अर्पित करना चाहिए। साथ ही अपने खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना करना चाहिए।

लोहड़ी के दिन नवविवाहित जोड़े को अग्नि की 7 बार परिक्रमा करनी चाहिए। मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और जीवन में खुशहाली आती है।

लोहड़ी के पर्व पर साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। नई दुल्हन और दूल्हे को शुद्धता और सफाई का ख्याल रखना चाहिए। घर को साफ-सुथरा रखें। स्नानादि के बाद नए और स्वच्छ कपड़े धारण करें, फिर लोहड़ी का जश्न मनाएं।

Leave a Reply

error: Content is protected !!