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संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने अपनी वार्षिक फ्रंटियर्स रिपोर्ट जारी की है।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने ‘नॉइज़, ब्लेज़ एंड मिसमैच्स’ नाम से अपनी वार्षिक फ्रंटियर्स रिपोर्ट जारी की है।

  • इस रिपोर्ट को ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा की बैठक से 10 दिन पहले जारी किया गया है।
  • यह फ्रंटियर्स रिपोर्ट तीन पर्यावरणीय मुद्दों की पहचान कर उनके समाधान के उपाय प्रदान करती है ताकि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण एवं जैव विविधता के नुकसान के संकट को संबोधित किया जा सके। इन पर्यावरणीय मुद्दों में शामिल हैं- शहरी ध्वनि प्रदूषण, वनाग्नि और फेनोलॉजिकल बदलाव।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP): 

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) 5 जून, 1972 को स्थापित एक प्रमुख वैश्विक पर्यावरण प्राधिकरण है।
    • यह पर्यावरणीय चिंता के उभरते मुद्दों की पहचान करने और उन पर ध्यान आकर्षित करने की दिशा में कार्य करता है।
  • कार्य: यह वैश्विक पर्यावरण एजेंडा निर्धारित करता है, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर सतत् विकास को बढ़ावा देता है तथा वैश्विक पर्यावरण संरक्षण के लिये एक आधिकारिक वक्ता के रूप में कार्य करता है।
  • प्रमुख रिपोर्ट: उत्सर्जन गैप रिपोर्ट, एडेप्टेशन गैप रिपोर्ट, ग्लोबल एन्वायरनमेंट आउटलुक, फ्रंटियर्स, इन्वेस्ट इन हेल्दी प्लैनेट।
  • प्रमुख अभियान: बीट पॉल्यूशन, UN75, विश्व पर्यावरण दिवस, वाइल्ड फॉर लाइफ।
  • मुख्यालय: नैरोबी, केन्या।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA):

  • यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का शासी निकाय है।
  • यह पर्यावरण पर विश्व स्तरीय सर्वोच्च निर्णयन निकाय है।
  • यह वैश्विक पर्यावरण नीतियों के लिये प्राथमिकताएँ निर्धारित करने और अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कानून के निर्माण हेतु द्विवार्षिक बैठक करता है।
  • इसका गठन जून 2012 में सतत् विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान किया गया था, जिसे ‘रियो+20’ भी कहा जाता है।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • शहरी ध्वनि प्रदूषण:
    • सड़क यातायात, रेलवे या अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण अवांछित, लंबी और उच्च-स्तरीय ध्वनियाँ मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।
    • यातायात के कारण होने वाली झुंझलाहट और नींद की गड़बड़ी के परिणामस्वरूप बहुत कम उम्र में गंभीर हृदय रोग एवं चयापचय संबंधी विकार हो सकते हैं तथा अधिकतर व्यस्त सड़कों के निकट रहने वाले बुजुर्ग और हाशिये के समुदायों को प्रभावित करते हैं।
  • वनाग्नि:
    • वायुमंडलीय ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती सांद्रता एवं वनाग्नि के जोखिमकारी घटकों में वृद्धि के कारण आग की अधिक खतरनाक मौसमी स्थिति की प्रवृत्ति बढ़ने की संभावना होती है।
    • जलवायु परिवर्तन अत्यधिक वनाग्नि को प्रेरित कर तापमान में वृद्धि कर सकता है।
      • इस तरह की चरम घटनाएँ मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिये विनाशकारी हैं।
    • सवाना पारिस्थितिकी तंत्र में वनाग्नि भी अधिक आम हो गई है, जो सवाना पारिस्थितिकी तंत्र में एक-चौथाई प्रजातियों को प्रभावित करती है।
    • वनाग्नि, वायु प्रदूषण के लिये भी उत्तरदायी है।
      • सितंबर 2021 में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन के अनुसार, वनाग्नि से संबंधित प्रदूषण और इसके प्रभाव के कारण होने वाली मानव मृत्यु के बीच एक महत्त्वपूर्ण संबंध है।
    • इतिहास को देखने से पता चलता है कि जंगल की आग शायद ही कभी नम-उष्णकटिबंधीय जंगलों में फैलती है लेकिन वनों की कटाई और वन विखंडन के कारण वन अब अधिक संवेदनशील हो गए हैं।
  • फेनोलॉजिकल बदलाव:
    • पौधे और जानवर स्थलीय, जलीय एवं समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में तापमान, दिन की लंबाई या वर्षा का उपयोग इस बात के संकेत के रूप में करते हैं कि फल कब आएंगे या पलायन कब करना है।
    • जलवायु परिवर्तन इन प्राकृतिक आवर्तनों को बाधित करता है क्योंकि यह पौधों और जानवरों को प्रकृति के साथ ताल-मेल से दूर करता है, जिसके परिणामस्वरूप असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। उदाहरण के लिये शाकभक्षियों की तुलना में पौधों के जीवन चक्र में तेज़ी से परिवर्तन।
      • फेनोलॉजी जीवन चक्र चरणों की अवधि है, जो पर्यावरण कारकों द्वारा संचालित होती है, साथ ही यह इस तथ्य पर भी निर्भर करता है कि एक पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर क्रिया करने वाली प्रजातियाँ किस प्रकार बदलती परिस्थितियों का सामना करती हैं।

रिपोर्ट की सिफारिशें

  • स्वदेशी अग्नि प्रबंधन तकनीकों को अपनाना।
  • संवेदनशील समूहों को शामिल करके प्रतिक्रियाशील दृष्टिकोण के बजाय एक निवारक दृष्टिकोण वनाग्नि को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।
  • अग्निशमन क्षमताओं को बढ़ाना और सामुदायिक लचीलापन-निर्माण कार्यक्रमों को मज़बूत करना महत्त्वपूर्ण है।
  • लंबी दूरी के मौसम पूर्वानुमान पर ध्यान देना आवश्यक है।
  • रिमोट-सेंसिंग क्षमताओं जैसे- उपग्रहों और रडार के साथ-साथ डेटा हैंडलिंग पर ध्यान देना ज़रूरी है।

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