मौसम के तेवर अभी बने हुए है तल्ख,क्यों?

मौसम के तेवर अभी बने हुए है तल्ख,क्यों?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

केरल में आई मूसलाधार बारिश ने प्रदेश में भीषण तबाही मचाई है। इसी बारिश ने बीचे सितंबर में महाराष्ट्र, गुजरात, उप्र, बिहार और असम आदि राज्यों में भी कहर बरपाया था। मुंबई में लगातार तीसरे साल 3,000 मिलीमीटर के पार बारिश का आंकड़ा पहुंच गया। कोरोना की मार से अभी केरल उबरा भी नहीं था कि भीषण बारिश के चलते आई बाढ़ ने इसकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

jagran

वहीं भूस्खलन ने अचानक आई इस तबाही को बढ़ाने में और अहम भूमिका निभाई है। केरल के कोट्टायम और इड्डुक्की आदि जिलों के पहाड़ी इलाकों में वर्ष 2018 की विनाशकारी बाढ़ जैसे हालात बने हैं। नदियां खतरे के निशान को पार कर गई हैं। हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। हालांकि संकट की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने हाईअलर्ट जारी कर दिया है। राज्य सरकार के अनुसार तो अभी तक 36 लोगों की ही मौत हुई है, लेकिन कहा जा रहा है कि वहां मरने वालों की तादाद इससे कहीं अधिक हो सकती है। वहीं लापता लोगों की संख्या अभी तक स्पष्ट नहीं है। कोट्टायम के कोट्टिकल इलाके में मरने वालों की तादाद सबसे ज्यादा है।

jagran

असल में केरल और उत्तराखंड में अचानक आई इस बाढ़ को वैज्ञानिक बादल फटने की घटना से जोड़कर देख रहे हैं। कोचीन स्थित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भी इस बात की पुष्टि करता है कि इसके पीछे छोटे बादलों का फटना अहम वजह है। केरल के पश्चिमी घाट का ऊंचाई वाला पहाड़ी इलाका भूस्खलन की दृष्टि से अति संवेदनशील है। कोट्टायम और इड्डुक्की जिले के सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में केवल दो घंटे के भीतर ही पांच सेमी से अधिक बारिश हुई है। मौसम विभाग की भी मानें तो एक छोटी सी अवधि में पांच से 10 सेमी की बारिश छोटे बादलों के फटना से ही होती है। भारी बारिश के चलते कोट्टायम, इड्डुक्की, त्रिशूर आदि जिलों में रेड अलर्ट और तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, कोङिाकोड और वायनाड में आरेंज अलर्ट जारी किया गया है।

jagran

केरल में मंगलवार को इडुक्की बांध के गेट भारी बारिश से जलस्तर बढ़ने पर खोल दिए गए। प्रेट्र

कुछ ऐसा ही नजारा बीते सितंबर के महीने में देखने को मिला था। अक्सर सितंबर के आखिर में मानसून का प्रभाव कम हो जाया करता है और बारिश भी खत्म हो जाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ और देश में सितंबर के आखिर तक बारिश का सिलसिला जारी रहा।

इससे सर्वत्र हाहाकार मच गया। इस साल सितंबरे में हुई भारी बारिश की बात करें तो इसका प्रमुख कारण मानसून का देरी से विदा होना, निम्न दबाव प्रणाली का जल्दी बनना और जलवायु परिवर्तन के चलते हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में लगातार होने वाली हलचलें हैं।

इसका एक और कारण चक्रवाती तूफान ‘गुलाब’ भी है। इन सबके चलते ही देश में लंबे समय तक भारी बारिश हुई है। इसका सर्दियों के मौसम पर भी दुष्प्रभाव पड़े बिना नहीं रहेगा। उत्तराखंड और केरल में भीषण बारिश के पीछे भी इन कारणों को नकारा नहीं जा सकता।

Leave a Reply

error: Content is protected !!