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तारेगना टापू  पर कभी बहती थी धर्म अध्यात्म की बयार, आज है सिर्फ अवैध शराब की भट्ठीयाँ

तारेगना टापू  पर कभी बहती थी धर्म अध्यात्म की बयार, आज है सिर्फ अवैध शराब की भट्ठीयाँ

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श्रीनारद मीडिया, कृष्ण कुमार रंजन, आरा (बिहार):

कोईलवर प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर दक्षिण में सकड़ी नासरीगंज एस एच 81 मुख्य सड़क के किनारे पूर्व दिशा में स्थित है खंनगाओं गाँव ।इसी गांव के सटे पूरब दिशा में सोन नद बहता है। ठीक यहीं सोन नद के बीचोबीच स्थित है तारेगना टापू ।
सोन नद के बीचो बीच स्थित है तारेगना टापू ।इस टापू के चारो ओर से सोन नद बहता है।इसी टापू के पश्चिमी छोर पर खंनगाओं सूर्यमंदिर (झारखंडी बाबा )मंदिर के सामने टापू पर लगभग आधा दर्जन से ज्यादा अवैध शराब की भठियाँ चलती है।
इन शराब माफियाओं ने अपने तैयार शराब को नदी के रास्ते भोजपुर जिला के कई गांवों में शराब सप्लाई के लिए खानगांव में सोन नदी में पांच से छः की संख्या में छोटी छोटी नावों को नदी में हमेशा डाल कर रखा हुआ है।
इस अवैध शराब उत्पादन से भोजपुर जिला के कई गांवों को युवक एवं नौजवान विषाक्त शराब पी कर अपने जीवन को बर्बाद कर रहे हैं। पुलिस प्रशासन का आलम यह है कि जब भी यहां पर पुलिस छापेमारी करने जाती है तो शराब निर्माताओं के द्वारा टापू के चारो दिशा में सोन नदी में कूदकर फरार हो जाया जाता है । पुलिस इन अवैध शराब भठियों को तोड़कर मिट्टी में मिलाकर चली जाती है परंतु अवैध शराब निर्माताओं का मन इतना बढ़ा हुआ है कि पुलिस जाने के बाद अगले ही दिन ये फिर से अपना धंधा शुरू कर देते हैं ।
दो जिलों की सीमा होने के कारण दुविधा में रहती है पुलिस–सोन नदी का यह क्षेत्र (तारेगना टापू) का ज्यादातर हिस्सा पटना जिला में और कुछ हिस्सा भोजपुर जिला में पड़ता है दोनों जिलों में पड़ने वाले इस टापू के अधिकांश भाग पटना जिला के बिहटा थाना क्षेत्र में एवं कुछ भाग भोजपुर जिला के चांदी थाना क्षेत्र में पड़ता है।
दूर से देखने पर यहां कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता है । इस टापू पर ऊंचे ऊंचे सरकंडे के पौधे (झलासी) उग आए हैं।इसी की आड़ में शराब माफियाओं का अवैध कारोबार फल-फूल रहा है।
हमारे परिवर्तन न्यूज़ के संवाददाता ने जब आस-पास के गांव में कुछ ग्रामीणों से बातचीत की तो नाम नहीं छापने के शर्त के पर कुछ लोगों ने बताया कि इन अवैध शराब कारोबारियों को इस इलाके कुछ अवांछनीय तत्वों से भी संरक्षण हैं।
अब देखना यह है कि जिस तारेगना टापू पर कभी धर्म और अध्यात्म की बयार बहा करती थी साधु संत यज्ञ किया करते थे ,वहां फिर से कब इसके दिन बहुरते हैं।

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