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मुझको मेरे बाद जमाना ढूंढेगा..... - श्रीनारद मीडिया

मुझको मेरे बाद जमाना ढूंढेगा…..

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कर्मयोगी कुमार बिहारी पांडेय कि 89वीं जयंती मनाई गई

✍️ राजेश पाण्डेय 

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जी हां आज जे.आर. कॉन्वेंट, जॉन इलियट आई. टी. आई व सुनीता ग्रुप का कंपनी के संस्थापक एवं सुनीता एजुकेशनल ट्रस्ट के मानक अध्यक्ष कर्मयोगी कुमार बिहारी पांडेय की 89वीं जयंती का सीवान जिले के दोन स्थित जे.आर. कान्वेंट के परिसर में ऐसा ही कुछ वातावरण था।  विद्यालय के बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करके सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।

इस अवसर पर विधालय के सभागार में दयानंद आयुर्वैदिक महाविद्यालय व चिकित्सालय सीवान के सलाहकार डॉ. प्रजापति त्रिपाठी, आईबीटी ग्रुप ऑफ स्कूल के संस्थापक युगल किशोर नाथ तिवारी, मैरवा रेफरल अस्पताल के स्वास्थ्य पदाधिकारी डॉ. रवि प्रकाश, लक्ष्मी नर्सिंग होम सीवान के संस्थापक डॉक्टर राजन कल्याण सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्तित्व इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे। परन्तु सभी की निगाहें एक व्यक्ति को ढूंढ रही थी कि वह किधर से भी निकाल कर आ जाए!

ओझल नहीं होता वह व्यक्तित्व

व्यक्ति चला जाता है लेकिन उसकी कृति रह जाती है। कृति ऐसी की जो पूरे समाज को आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हो। कुमार बिहारी पांडेय ने जे.आर. कान्वेंट के रूप में एक ऐसा पौधा लगाया है जो धीरे-धीरे वट वृक्ष की ओर बढ़ रहा है। विधालय में सौ से भी अधिक शैक्षिक कर्मचारियों द्वारा एक हजार से अधिक बच्चों का पठन-पाठन कराया जा रहा है। विधालय के बगल में जॉन इलियट आईटीआई में व्यावसायिक रूप से बच्चे प्रशिक्षित होकर जीवन के नए मुकाम की ओर अग्रसर हो रहे है।

आपकी पुस्तकों में ज्ञान का वह मर्म है जिसे पढ़ने के बाद ऐसा लगता है की एक व्यक्ति जिसे औपचारिक शिक्षा नहीं मिली लेकिन वह अपने जीवन के अनुभव को जिस तरह से इसमें पिरोया है वह अपने आप में कालजयी है।

जड़ से जुड़े व्यक्तित्व की कृति

कुमार बिहारी पांडे ने अपने जड़ों को कभी नहीं भूला। मुंबई जैसे महानगर में रहते हुए भी उन्होंने गांव के प्रति अपने फर्ज को निभाते हुए यहां एक विद्यालय के रूप में बगीचा लगाया, जो अब फल फूल रहा है। दो वर्ष पहले उनका स्वर्गवास हो गया, परन्तु अभी भी विद्यालय के परिसर में जब आप खड़े होते हैं तो ऐसा लगता है कि उनकी आंखें आपको निहार रही है, देख रही है। आपसे पूछ रही हैं कि आपने पानी पीया! अपने भोजन किया कि नहीं! एकदम से जमीन से जुड़े हुए व्यक्ति थे। उनके साथ कई संस्मरणों को लिखा पढ़ा जा सकता है। परन्तु कर्मयोगी कुमार बिहारी पांडेय जैसे व्यक्ति बिरले ही होते है।

सीवान की महान परंपरा के धरोहर इतिहास में जाकर जब आप सीवान को अगर समझाना चाहेंगे तो पाएंगे कि इस वसुंधरा ने अपने कई रत्न को पैदा किया जो इस भूमि को अपने परिश्रम से बहुत कुछ दिया,जो‌ पूरी मानवता के लिए एक नजीर है। उन्होंने अपने जीवन में ऐसा कार्य किए जिन्हें आज भी लोग याद रखते है।

सनातन संस्कृति में अटूट आस्था

कुमार बिहारी पांडेय अपने किसी भी कार्य के लिए कहते थे कि ईश्वर अदृश्य रहकर संसार के सारे क्रियाकलापों का संचालन करता है कर्ता भी वही है, कर्म भी वही है, फल भी वही है। वे लगातार निरंतर अपने कर्म में जुटे रहते थे। उन्हें परिश्रम करना बखूबी आता था। वह इतने बड़े कर्मवीर थे कि वे एक शून्य से प्रारंभ होकर इतने ऊंचे स्थान को प्राप्त किया था। परिश्रम के साथ अगर पुण्य जुट जाएं तो व्यक्ति जीवन में बहुत कुछ कर सकता है। कुमार बिहारी पांडे के साथ यही हुआ था, वे कहते थे जीवन में बड़ी सी बड़ी उपलब्धि ईश्वर प्रदत्त गुण, साहस, धैर्य, कर्मठता, ईमानदारी, लगन, घोर परिश्रम, दूरदर्शिता, व्यवहार कुशलता, सच्चरित्रता और विनम्रता से प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए द्वेष, शोषण,झूट की कोई आवश्यकता नहीं है।

बहरहाल जीवन में सफलता के कई आयाम है। सभी अपने-अपने तरह से इसका आकलन करते है। परन्तु भारतीय संस्कृति में सफलता समाज के लिए किए जाने वाले कार्यों अर्थात अपने जीवन से समाज को दिया जाने वाला भेंट, जो कई पीढ़ियों तक याद किया जाता है।

 

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