गुरुजी और विद्यार्थी जी को दुनिया युगों तक करेगी याद
श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):
घनश्याम शुक्ला
जन चेतना जगाकर दक्षिणांचल में शिक्षा का अलख जगाने वाले, सामाजिक और साहित्यिक गतिविधियों का हिस्सा रहे घनश्याम शुक्ल बहुत याद आयेंगे। वर्ष 2021 गुजर गया । लेकिन आपकी यादें जनमानस में सदियों खलती रहेगी। दुनिया गुरुजी के जज्बे और जीवट को सलाम करती रहेगी।
चाहे बच्चों की पढ़ाई हो या भोजपुरी और भोपुरिया में नवचेतना जगाने ‘ आखर’ का ऐतिहासिक आयोजन हो। या फिर खेत-खेलिहानों से बच्चियों को लाकर राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं के लिए तैयार करना हो या शहीदों के परिजन का सम्मान देना हो। आप तमाम आयामों को धरातल पर लाकर उन्हें मूर्त्त रुप दिया,उन्हें जीवन बक्शा।
गुरुजी अपनी जिंदगी की आखिरी सांस तक बच्चे -बच्चियों का भविष्य संवारते रहे। उनके सुनहरे भविष्य के सपने बुनते रहे। यही कारण है कि रघुनाथपुर सिसवन, आंदर प्रखंड के सैकड़ो घर मे सरकारी नौकरियां देखी जा रही है। और सीवान,बिहार ही नहीं। देश के कोने-कोने से गुरुजी के निधन के बाद आहें निकल रही है।
बिस्मिल्लाह खान संगीत महाविद्यालय के स्वरसाधकों के सुर की जगह रुदन-क्रंदन की आवाज आने लगी हैं।स्वर बेसुरे हो गये हैं। इस क्षेत्र में गुरुजी की प्रेरणा इस कदर हावी रही है कि क्षेत्र के देश की सर्वोच्च प्रतियोगी परीक्षाओं में अपना लोह मनवाकर मिसाल कायम किया है। क्षेत्र में गांधीजी के नाम से चर्चित घनश्याम शुक्ल ने 2021 के अंत में भले ही दुनिया को अलविदा कह दिया।लेकिन इस संन्यासी को दुनिया युगों तक सुकृत्य के लिए याद करती रहेगी।
पंजवार में बिस्मिल्लाह खान संगीत महाविद्यालय, कस्तूरबा बालिका उच्च विद्यालय, जय-प्रभा डिग्री कॉलेज इस सत्याग्रही की कृतियों में शुमार है। गुरुजी अपनी स्थापित शिक्षण संस्थाओं के पर्ति जीवन के अंतिम क्षण में भी मोह त्याग नहीं सके और गुरुजी की इच्छा अनुसार कॉलेज के समीप ही उनकी अंत्येष्टि कर कॉलेज परिसर में ही स्मारक बनाने की तैयारी चल रही है।
गुरुजी के पहले ही उनके एक सहयोगी रघुनाथपुर के शिक्षक और समाजसेवी मोहन प्रसाद विद्यार्थी का देहांत भी इसी वर्ष एक नवंबर हो गया। क्षेत्र में शिक्षा का अलख जगाने में शामिल विद्यार्थी जी का जाना भी क्षेत्रवासियों को बहुत खलेगा। विद्यार्थी जी का शिक्षा , कला और सांस्कृतिक कार्यक्रमो के क्षेत्र में अहम योगदान रहा है।वे ताउम्र शहीद स्मृति न्यास के जरिये शहीदों और उनके परिजनों को सम्मान दिलाते रहे। दुनिया इन दोनों साधकों को युग-युगांतर तक याद करती रहेगी।
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