‘…तो चौपट हो जाएगी म्यांमार की अर्थव्यवस्था,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
म्यांमार लगातार सैन्य शासन की तानाशाही की वजह से पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ता जा रहा है। वहां के सैन्य शासन ने प्राइवेट तौर पर चल रहे एक अंतिम अखबार पर भी रोक लगा दी है। इस तरह से म्यांमार का सैन्य शासन पूरी तरह से अपने खिलाफ उठने वाली किसी भी आवाज को दबाने में लगा हुआ है। म्यांमार में बेहद सीमित तौर पर ही इंटरनेट व्यवस्था काम कर रही है। आपको बता दें कि 1 फरवरी को म्यांमार के चीफ ऑफ डिफेंस सर्विस ह्लेनिंग ने वहां की चुनी गई ऑन्ग सॉन्ग सू की कि सत्ता का तख्तापलट कर शासन व्यवस्था अपने हाथों में ले ली थी। इसके बाद से ही वहां पर सैन्य शासन के खिलाफ लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी है। सैन्य शासन में इस प्रदर्शन को बड़ी ही बेरहमी से कुचला भी जा रहा है। प्रदर्शनकारियों पर गोलिया चलवाई जा रही हैं और उन्हें हिरासत में लिया जा र हा है।
संयुक्त राष्ट्र की फूड एजेंसी ने चेतावनी दी है कि वहां के हालात लगातार खराब हो रहे हैं। संगठन ने चेताया है कि वहां पर बढ़ते खाने-पीने की चीजों के दाम और तेल के दामों की वजह से गरीबी रेखा और इससे नीचे गुजर बसर करने वाले लोगों का जीवन और मुश्किल हो सकता है। इतिहासकार और लेखक थांट मिंट यू ने तो ट्विटर पर यहां तक कहा है कि कुछ समय के बाद यहां की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो जाएगी। उन्होंने ये भी कहा है कि ऐसी स्थिति में लाखों लोगों को आपात मदद की जरूरत होगी।
असिसटेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स एक्टिविटी ग्रुप के मुताबिक 1 फरवरी से अब तक यहां पर हुए प्रदर्शनों में सेना ने 217 लोगों की जान ली है। इस ग्रुप का ये भी कहना है कि असली संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। पश्चिमी देशों समेत पूरे विश्व ने इस तख्तापलट की निंदा की है और सैन्य सरकार से लोकतांत्रिक व्यवस्था को दोबारा बहाल करने की अपील की है। अंतरराष्ट्रीय संगठनों समेत सभी देशों ने मांग की है कि लोकतांत्रिक सरकार की मुखिया आंग सांग सू की को तुरंत बिना शर्त रिहा किया जाए। वहीं सैन्य शासन ने सू की के खिलाफ भ्रष्टाचार और नवंबर 2020 के चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली करने के गंभीर आरोप लगाए हैं।
रॉयटर्स के मुताबिक एशियाई देशों ने इस विवाद का हल निकालने में सहयोग करने की पेशकश की है, लेकिन म्यांमार का सैन्य शासन इसको बार-बार ठुकरा रहा है। आपको बता दें कि म्यांमार में काफी लंबे समय तक सैन्य शासन ही रहा है। कोरोना वायरस की वजह से बर्बाद हो चुकी म्यांमार की अर्थव्यवस्था को वहां पर हुए तख्तापलट से जबरदस्त झटका लगा है। इस कार्रवाई के बाद कुछ देशों ने म्यांमार के ऊपर कई तरह के प्रतिबंध भी लगाए हैं। इसकी बदौलत वहां की खराब होती अर्थव्यवस्था पर और संकट आ खड़ा हुआ है।
तख्तापलट के बाद विदेशी निवेशक वहां पर निवेश करने के बारे में दोबारा विचार करने लगे हैं। म्यांमार में छोटे स्तर पर जगह-जगह होने वाले प्रदर्शन हर जगह सेना के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। गुरुवार को सैकड़ों लोगों ने आंग सांग सू की जन्मस्थली नाटमॉक में सड़कों पर उतरकर सेना के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
यहां से ही कभी ब्रिटेन से म्यांमार की आजादी का संघर्ष भी शुरू हुआ था। इसके अलावा करीब 1 हजार लोगों ने टोंगो में सैन्य शासन के खिलाफ बाइक रैली में हिस्सा लिया। रॉयटर्स की खबर के मुताबिक रविवार को प्रदर्शन के बाद हिरासत में लिए गए 24 वर्षीय एक व्यक्ति की बुधवार को मौत हो गई। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि ये खबरें हिला देने वाली हैं।
म्यांमार में लोगों को सेना लगातार हिरासत में लेकर टॉर्चर कर रही है। सैन्य शासन के प्रवक्ता इस बारे में कोई जवाब देना तो दूर फोन तक नहीं उठाते हैं। सरकार ने इंटरनेट सेवा बंद कर दी है। खबरों में यहां तक कहा जा रहा है कि समुद्र के नीचे बिछी इंटरनेट केबल्स को भी काट दिया गया है। हालांकि रॉयटर्स ने अपनी तरफ से इस तरह की खबरों की पुष्टि नहीं की है।