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वास्तु दोष के कारण भी आपके घरों में होती हैं चोरियां,कैसे ? - श्रीनारद मीडिया

वास्तु दोष के कारण भी आपके घरों में होती हैं चोरियां,कैसे ?

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श्रीनारद मीडिया सेन्ट्रल डेस्क

आजकल चोरी और डाके जैसी घटनाओं में चोर या डकैत सम्पत्ति लूटने के साथ-साथ किसी की जान लेने से भी नहीं कतराते हैं।

आखिर क्यों चोर और डकैत किसी विशेष स्थान को ही अपनी वारदात का निशाना बनाते है? वास्तु चोरी और डाके जैसी घटनाओं में अपनी अहम् भूमिका निभाता है। देखते हैं ऐसे कौन-से वास्तुदोष हैं जो चोरी और डाके जैसी घटनाओं के कारण बनते हैं-

1.  आग्नेय स्थल में बने घर के लिए पूर्व आग्नेय दिशा अगे्रत हो तो या दक्षिणी आग्नेय का कोण, बढ़े अथवा पूर्व, दक्षिण दोनों के मिलन स्थल का कोना अग्रेत हो, साथ ही आग्नेय में ढलान हो उस दिशा में कुंए, गड्ढे हों, उत्तर दिशा की तुलना में दक्षिण दिशा में ज्यादा खाली स्थल हो, चारदीवारी की दक्षिण-नैऋत्य में फाटक हो या पूर्व-आग्नेय में फाटक हो, पश्चिम दिशा में पूर्व की अपेक्षा अधिक खाली स्थल हो तो ऐसे घर में चोरियां अवश्य होती हैं।

2. घर के पूर्व आग्नेय भाग में मुख्यद्वार हो तो उस घर में चोरों का भय तो होगा ही, साथ ही घर में कलह भी रहेगी।

3. घर के मुख्य दरवाजे की चौखट बाहर की ओर झुकी हुई हो तो उस घर में चोरी होने का भय बना रहता है। घर का मालिक भी अधिकतर घर से बाहर ही रहता है।

4.  खाली जगह और घर का आंगन व सभी कमरों से घर का आग्नेय भाग नीचा हो तो चोर और शत्रुओं का भय बना रहता है।

5. घर का उत्तर वायव्य आगे बढ़ा हुआ हो तो वहां चोरी की सम्भावना होती है।

6. पूर्व दिशा की ओर मुख-द्वार या अन्य द्वार इस प्रकार थोड़े तिरछे लगे हो, जिससे आग्नेय कोण दिखे ऐसे घरों में चोरियां होती हैं।

7. उत्तर दिशा में घर का मुख्यद्वार इस तरह से तिरछा लगा हो कि वहां से वायव्य कोण दिखाई दे तो ऐसे घरों में चोरी होने की सम्भावना होती है।

8. उपरोक्त किसी दोष के साथ यदि उस जगह का नैऋत्य कोण किसी भी प्रकार से नीचा हो या वहां पर भूमिगत पानी का स्रोत हो तो वहां माल के साथ-साथ जान का भी नुकसान होने का भय रहता है।

9.  जिन दुकानों, फैक्ट्रियों के मध्य अर्थात् ब्रह्म स्थान पर कोई भारी वस्तु रखी हो या भारी मशीन लगा रखी हो, साथ ही मुख्यद्वार उत्तर वायव्य में हो तो ऐसी दुकानों या फैक्ट्रियों में चोरियां अवश्य होती हैं।

10.  जिस घर में डाका पड़ता है वह घर हमेशा उत्तर दक्षिण होता है। उस घर के दरवाजे सब एक कतार में होते हैं। प्रवेश द्वार उत्तर वायव्य में होकर सब से पीछे का बाहर पड़ने का दरवाजा अगर दक्षिण नैऋत्य में होगा तो डाका पड़ सकता है। उसी प्रकार पूर्व आग्नेय से पश्चिम नैऋत्य में एक कतार के दरवाजे हो। पूर्व आग्नेय से पश्चिम नैऋत्य के दरवाजे वाले घर में डाके के दौरान हिंसा भी हो सकती है।

11. आग्नेय दिशा में ढलान नहीं हो। इस दिशा में गड्डे एवं बोरबेल, कुआं एवं पानी की टंकी नहीं हो। दक्षिण दिशा में उत्तर दिशा से अधिक सामान रखें, पश्चिम दिशा में पूर्व दिशा से कम खाली स्थान हो। चारदीवारी की दक्षिण नैऋत्य और पूर्व आग्नेय में मुख्य द्वार नहीं हो।

12.वास्तु शास्त्र के अनुसार, कभी भी घर या दुकान में कीमती गहने, जरूरी कागजात और पैसों को उत्तर-पश्चिम दिशा में नहीं रखना चाहिए. इस दिशा में इन चीजों को रखने से चोरी की आशंका बनी रहती है.

13.घर या दुकान में एक ही लाइन में तीन दरवाजे होने पर वास्तु दोष लगता है. इससे चोरी की आशंका बनी रहती है. इसलिए कभी भी एक लाइन मे तीन दरवाजे नहीं लगवाने चाहिए.

 

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